शेख हसीना: कभी सोचा न था ऐसा होगा

Sheikh Hasina: खून खराबे के बीच पीएम हसीना पूरे समय अलग-थलग और संवेदनहीन दिखीं, उन्होंने मृत छात्रों को "देशद्रोही" और "आतंकवादी" करार दिया। प्रदर्शनकारियों को "रजाकार" की संज्ञा दी जो लोगों को बेहद अपमानजनक लगी।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-08-05 19:21 IST

Sheikh Hasina 

Sheikh Hasina: शेख हसीना को इस तरह बांग्लादेश छोड़ना पड़ेगा ये शायद ही किसी ने सोचा होगा। उनका पतन खासतौर पर नाटकीय है क्योंकि यह अचानक से ही फैल गया। शायद उनकी सबसे बड़ी गलती यह थी कि उन्होंने अपनी अवामी लीग पार्टी की आक्रामक छात्र शाखा "छात्र लीग" को शुरू में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों का सामना करने के लिए भेज दिया था। उन झड़पों ने सुरक्षा बलों द्वारा क्रूर दमन को बढ़ावा दिया। इसके बाद देश भर में कर्फ्यू और इंटरनेट ब्लैकआउट ने दक्षिण एशिया की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में लोगों को अलग-थलग कर दिया और उथल पुथल कर डाला। पुलिस की गोली से बड़ी संख्या में हुई मौतों ने हालात को शांत करने की बजाए आग में घी का काम किया।


- खून खराबे के बीच पीएम हसीना पूरे समय अलग-थलग और संवेदनहीन दिखीं, उन्होंने मृत छात्रों को "देशद्रोही" और "आतंकवादी" करार दिया। प्रदर्शनकारियों को "रजाकार" की संज्ञा दी जो लोगों को बेहद अपमानजनक लगी।

- शेख हसीना का रुख हमेशा बांग्लादेश की सेना पर निर्भर रहा है, जो ऐतिहासिक रूप से राजनीति में दखल देती रही है, हालांकि हाल ही में वह अवामी लीग की कट्टर समर्थक रही है। फिर भी अब जनरल वकर-उज़-ज़मान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सशस्त्र बल “हमेशा लोगों के साथ खड़े रहे हैं।” जबकि उनके प्रभावशाली पूर्ववर्ती जनरल इकबाल करीम भुइयां ने “घृणित अभियान” और “घोर हत्याओं” की निंदा की है और सैनिकों से बैरकों में लौटने का आह्वान किया है।


- बहरहाल, शेख हसीना का पतन केवल पहला कदम है। जनता में सुरक्षा सेवाओं, सेना, अदालतों और सिविल सेवा के प्रति अविश्वास गहरा है। अगर कोई प्रभावी सुलह प्रक्रिया नहीं होती है तो देश गहरे अंधेरे में जा सकता है।

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