पाक सेना सबसे अमीर: सरकार करती है गरीबी का दिखावा, नेपाल कर रहा नकल
सेना के हिस्से में आए ज्यादातर बिजनेस चैरिटी के नाम पर चलते हैं और उनकी टैग लाइन में कहीं न कहीं इसका जिक्र रहता है कि ये सेना द्वारा चल रहे हैं इसलिए ज्यादा ईमानदारी से काम करते हैं।
नई दिल्ली: विभाजन से लेकर अब तक की पाकिस्तान सरकारों का मुख्य मुद्दा अपनी सेना को मजबूत करना ही रहा है। पाकिस्तान सरकार लगभग 6 करोड़ लोग गरीबी रेखा से भी नीचे जीवन बिता रहे हैं। इसी साल वहां की मिनिस्ट्री ऑफ प्लानिंग एंड डेवलपमेंट ने ये आंकड़े दिए। इसके मुताबिक देश की 29.5% प्रतिशत आबादी बेहद गरीब की श्रेणी में आती है। दूसरी ओर पाकिस्तान आर्मी दुनिया की कुछ सबसे अमीर सेनाओं में से है।
पाकिस्तान में 34 साल सैन्य शासन
साल 1947 में भारत विभाजन के बाद अपने निर्माण से लेकर अब तक पाकिस्तान में 34 साल सैन्य शासन रहा। तीन अलग-अलग हिस्सों में पाक सेना के मिलिट्री जनरलों ने देश को संभाला। वर्तमान में इमरान खान सरकार के बारे में भी यही माना जाता है कि भले ही वे जनता के चुने हुए लगें लेकिन असल में सेना ने ही उन्हें चुना और बने रहने में मदद की। कुल मिलाकर सैन्य और राजनैतिक ताकत के मामले में पाकिस्तान आर्मी अपने देश में काफी ताकतवर मानी जाती है। लेकिन ये ताकत इतने तक ही सीमित नहीं, पाकिस्तान की सेना के पास इतनी संपत्ति है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है।
पाक सेना का बिजनेस में बड़ा हिस्सा
पाक सेना के पास अपने देश के सबसे मुनाफा देने वाले सभी बिजनेस में शेयर हैं। यहां तक कि पाकिस्तानी आर्मी पूरी तरह से कॉर्पोरेट आर्मी में बदल चुकी है। क्वार्ट्ज।कॉम के अनुसार ये आर्मी साल 2016 में ही 50 से ज्यादा व्यापारिक संस्थानों की मालिक बन चुकी थी, जिसकी कीमत 20 बिलियन डॉलर से भी कहीं ज्यादा थी। ये कीमत अब और ऊपर जा चुकी है। पेट्रोल पंप, इंडस्ट्रिअल प्लांट, बैंक, स्कूल-यूनिवर्सिटी, दूध से जुड़े उद्योग, सीमेंट प्लांट और यहां तक कि सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली बेकरीज भी सेना के हिस्से हैं। देश के आठ बड़े शहरों में हाउसिंग प्रॉपर्टी में भी सेना का सबसे बड़ा शेयर है।
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ज्यादातर बिजनेस चैरिटी के नाम पर चलते हैं
पाक सेना ये काम देशभक्ति की भावना को भड़काते हुए करती आई है। वहां सेना के हिस्से में आए ज्यादातर बिजनेस चैरिटी के नाम पर चलते हैं और उनकी टैग लाइन में कहीं न कहीं इसका जिक्र रहता है कि ये सेना द्वारा चल रहे हैं इसलिए ज्यादा ईमानदारी से काम करते हैं। सीधे सेना के जनरल इन उद्योगों से जुड़ते हैं ताकि शक की कोई गुंजाइश न रहे। जैसे फौजी फाउंडेशन को ही लें तो वो पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया में सबसे ज्यादा विविधता वाला बिजनेस समूह है। इसके तहत 25 कंपनियां आती हैं, जिनमें से 4 पर फाउंडेशन का मालिकाना हक है तो बाकी 21 कंपनियां एसोसिएटेड बताई जाती हैं।
बलूचिस्तान में सोने के खदान हथियाने की कोशिश
हाल ही में पाक सेना ने बलूचिस्तान में सोने की खुदाई के काम में हाथ डालने की शुरुआत की है। हालांकि बलूच लोग आजादी की मांग कर रहे हैं। बलूचिस्तान समर्थकों का तर्क है कि पाकिस्तान ने सिर्फ पंजाब और सिंध प्रांत में विकास किया। वे पाकिस्तानी सेना को अपने यहां नेचुरल रिसोर्सेज पर हाथ डालने नहीं दे रहे। इसपर जब-तब विवाद भी होते रहते हैं। खदानों के अलावा पाक सेना के पास देश की सबसे उपजाऊ जमीन का बड़ा हिस्सा है। हालांकि इसका कोई उल्लेख कहीं स्पष्ट रूप से नहीं मिलता है।
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देश में सबसे अमीर बिजनेस समूह
देश में सबसे अमीर बिजनेस समूह होने के बाद भी सेना ने अपने मुनाफे को दिखाने में अपारदर्शिता दिखाई। डेलीओ।इन के अनुसार इस बात का कोई पक्का डाटा नहीं है कि सेना को बिजनेस से कितना मुनाफा हो रहा है। साल 2007 में सैन्य मामले की जानकार डॉ आयशा सिद्दीका ने कहा था कि आर्मी के पास 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत का बिजनेस है। यही डाटा साल 2016 में पाकिस्तानी संसद ने भी दिया। इससे साफ है कि कॉर्पोरेट में बदल चुकी पाक सेना अपने बिजनेस प्रॉफिट को छिपाकर रखना चाहती है।
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अमीर होने के बाद भी सेना को बजट में से अपना हिस्सा
इतनी अमीर होने के बाद भी सेना को बजट में से अपना हिस्सा चाहिए होता है। साल 2018 में कुल बजट का लगभग 21 प्रतिशत पाक सेना के पास गया। देश का काफी सारा पैसा सेना के पास जाना भी देश में आम जनता की गरीबी की एक वजह मानी जा रही है। यहां तक कि साल 2019 में खुद वर्ल्ड बैंक (World Bank) को कहना पड़ा था कि पाकिस्तान को अपना सैन्य बजट कुछ कम करना चाहिए।
पाकिस्तान की तर्ज पर नेपाल की सेना
इस बीच पाकिस्तान की तर्ज पर नेपाल की सेना भी कॉर्पोरेट आर्मी बनने की तैयारी में है। यानी वो सेना जो मुनाफे वाली बिजनेस में पैसे लगाकर उससे पैसे कमाया करेगी। खबरों के मुताबिक सेना में इस बदलाव के लिए एक ड्राफ्ट भी दिया जा चुका है। काठमांडू पोस्टग की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल डिफेंस फोर्स ने एक ड्राफ्ट पेश किया है ताकि नेपाली आर्मी एक्टग को बदला जा सके। इसके तहत सेना ने अपने फंड को अलग-अलग बिजनेस में लगाने के लिए सलाह भी मांगी है। ऐसे में सेना एक तरह से इनवेस्टर बन जाएगी जो उद्योगों में पैसे लगाते हैं।
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नेपाल आर्मी एक्ट 2006 को बदलने की कोशिश
फिलहाल नेपाल आर्मी एक्ट 2006 के मुताबिक सेना बड़े-बड़े प्रोजेक्ट जैसे हाइड्रोपावर या बैंकिंग सेक्टर में पैसे नहीं लगा सकती है। इसी एक्ट को बदलने के लिए सेना के अधिकारी जोर लगा रहे थे ताकि सेना के जरिए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। फिलहाल नेपाल की सेना मेडिकल कॉलेजों, स्कूल, पेट्रोल पंप और बोतलबंद पानी की कंपनियों पर पैसे लगा रही है। इससे उतना मुनाफा नहीं हो पा रहा।