Pakistan News: मशहूर पाकिस्तानी क्रिकेटर सिकन्दर बख्त को बंगलुरू में मिली मदद

Pakistan News: मशहूर पाकिस्तानी क्रिकेटर सिकन्दर बख्त की बेटी की एक दुर्लभ और घातक बीमारी, जिसका सफल इलाज बंगलुरू के एक अस्पताल में किया गया।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2022-10-22 07:01 GMT

 पाकिस्तानी क्रिकेटर सिकन्दर बख्त ने अपनी बेटी का ईलाज बेंगलुरू में करवाया (Pic: Social Media)

Pakistan News: पाकिस्तान के मशहूर पूर्व क्रिकेटर सिकंदर बख्त को 1979 में दिल्ली में सुनील गावस्कर की कप्तानी में खेले गए टेस्ट मैच के लिए हमेशा याद किया जाता है। सिकंदर बख्त अब एक नामचीन कमेंट्रेटर हैं। भारत के साथ उनका जुड़ाव इन दिनों फिर सामने आया है। वजह है सिकंदर की बेटी की एक दुर्लभ और घातक बीमारी, जिसका सफल इलाज बंगलुरू के एक अस्पताल में किया गया। उस बीमारी और उपचार ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर लिया है और भारत - पाक के बीच की प्रतिद्वंद्विता में एक मानवीय दृष्टिकोण जोड़ दिया है।

कराची, पाकिस्तान से सिकंदर बख्त अपनी दो साल की बच्ची अमायरा के इलाज के लिए बंगलुरू आये। इस बच्ची को मुकोपॉलीसेकेराइडोसिस टाइप I (एमपीएस-I) नामक एक दुर्लभ, संभावित घातक बीमारी है।

दरअसल, सिकंदर ने ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के जरिए अपनी छोटी बेटी को बचाने के लिए अपना बोन मैरो डोनेट किया है। उपचार और प्रक्रियाएं बंगलुरू के नारायण हेल्थ सिटी में की गईं, और प्रक्रिया के चार महीने बाद लड़की ठीक होने की राह पर है। एमपीएस-I एक दुर्लभ बीमारी है जो लाइसोसोमल अल्फा एंजाइम की कमी का कारण बनती है। इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क और आंखों सहित शरीर के विभिन्न अंगों में शर्करा के अणुओं का निर्माण होता है, जो विभिन्न घातक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जिसमें मस्तिष्क और आंखों पर इसके हानिकारक प्रभाव भी शामिल हैं। अमायरा की मां सदफ खान ने कहा कि अमायरा सिर्फ 18 महीने की थी, जब उसकी हालत का पता चला। बच्ची को शुरू में केवल कान में बार-बार होने वाला संक्रमण था। उसकी लगातार होने वाली समस्या का कारण जानने के लिए विभिन्न डॉक्टरों के साथ परामर्श के माध्यम से ही उन्हें अस्थि घनत्व की समस्या का पता चला, जिसके कारण अंततः इसे एमपीएस -1 के रूप में निदान किया गया।

सदफ ने कहा - हमें इस बीमारी की जानकारी नहीं थी। इसे समझने और उपयुक्त एक्सपर्ट्स को खोजने में हमने बहुत शोध किया और बंगलुरू के इस अस्पताल का पता लगाया। अमायरा का परिवार अब खुश है कि उसकी स्थिति का जल्द निदान किया जा सका है। सदफ ने लोगों में ऐसी स्थितियों के बारे में जागरूकता पैदा करने और निदान और उपचार को अधिक सुलभ बनाने का आग्रह किया। एमपीएस-1 से प्रभावित अपने बच्चे के अनुभव से गुजरने के बाद, सदफ ने सुझाव दिया कि माता-पिता यह सुनिश्चित करें कि उनके बच्चे प्रारंभिक अवस्था में नैदानिक ​​उपचार पर ध्यान दें। 

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