Russia Ukraine Conflict: अन्तरिक्ष तक पहुंचा यूक्रेन संकट
लन्दन स्थित 'वनवेब' कंपनी वैश्विक इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए काम करती है और एलोन मस्क के स्टारलिंक उपग्रह इंटरनेट समूह की एक प्रमुख प्रतियोगी है।
Russia Ukraine Conflict: यूक्रेन में युद्ध का नतीजा अब बाहरी अंतरिक्ष तक फैलने वाला है। रूस ने अन्तरिक्ष सहयोग से हाथ खींचना शुरू कर दिया है जिसके चलते सैटेलाइट प्रक्षेपण तक टल गए हैं और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का अस्तित्व खतरे में आ गया है।
लन्दन स्थित 'वनवेब' कंपनी वैश्विक इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए काम करती है और एलोन मस्क के स्टारलिंक उपग्रह इंटरनेट समूह की एक प्रमुख प्रतियोगी है। वनवेब को 4 मार्च को 36 इंटरनेट उपग्रहों का एक बैच लॉन्च करना था। लेकिन वे योजनाएँ अब ख़तरे में हैं क्योंकि रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने इसमें अड़ंगा लगा दिया है। दरअसल, इन उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने के लिए
रूसी निर्मित सोयुज रॉकेट को इस्तेमाल में लाया जाता है और ये काम फ्रांस की एरियनस्पेस एसए संचालित करती है। इन राकेटों को कजाकिस्तान में रूस के स्वामित्व वाले बैकोनूर कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया जाना था जिसके लिए वनवेब और रूस ने एक बहु-वर्षीय समझौता किया हुआ है। अब 'रोस्कोस्मोस' के महानिदेशक और पूर्व उप प्रधान मंत्री दिमित्री रोगोज़िन ने यूके के प्रतिबंधों के जवाब में रॉकेट लॉन्च करने से इनकार कर दिया है। 'रोस्कोस्मोस' रॉकेट लौन्चिंग के लिए कुछ शर्तें रख दीं हैं
कि यूके सरकार 'वनवेब' में सभी हिस्सेदारी बेच दे और कंपनी गारंटी दे कि उपग्रहों का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा। रोस्कोस्मोस ने जोर देकर कहा है कि उसकी मांगें "रूस के प्रति ब्रिटेन के शत्रुतापूर्ण रुख के कारण" हैं।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का भी मसला
शीत युद्ध के बाद से बीते 21 सालों में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन आईएसएस अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल रहा है। तमाम राजनीतिक संकट आए लेकिन किसी ने उसके अस्तित्व पर ऐसा खतरा पैदा नहीं किया जैसा रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद हुआ है। अब रूस ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को अपना सहयोग रोकने की धमकी दी है। हाल ही में रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने कहा था कि अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में रूस भी अंतरिक्ष वाली साझेदारी से बाहर निकल सकता है। उन्होंने इस संभावना का जिक्र किया कि अगर रूस अन्तरिक्ष स्टेशन से अपना 400 टन का हिस्सा निकाल लेता है तो वह उसे अपने देश को छोड़कर धरती पर कहीं भी गिरा सकता है।
आईएसएस पर अमेरिकी पक्ष पावर और लाइफ सपोर्ट के लिए काम करता है जबकि रूस प्रोपल्शन और स्टेशन को कक्षा में बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। रूस इसके लिए समय समय पर प्रोग्रेस स्पेसक्राफ्ट को छोड़ता रहता है। इससे स्टेशन को इतना बूस्ट मिलता है कि वह धरती से लगभग 250 मील (400 किलोमीटर) की ऊंचाई पर कक्षा में बना रहता है।
यूक्रेन में रूसी हमला शुरु होने के बाद स्पेस एक्स के प्रमुख एलॉन मस्क ने एक ट्वीट किया था कि रूस के असहयोग की स्थिति में उनकी कंपनी आईएसएस को गिरने से बचाएगी।
इसी साल रूस की मदद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी मंगल पर एक रोवर भेजने वाली है। लेकिन रूस पर लगी पाबंदियों के मद्देनजर अब उस मिशन का लॉन्च हो पाना लगभग असंभव लगा रहा है। इस रोवर का मकसद मंगल की मिट्टी को खोद कर उसमें जीवन के निशान खोजना है।