Russia Ukraine War: आर्थिक प्रतिबंधों के जवाब में रूस के पास तेल, गैस और चीन से दोस्ती की ताकत

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद अमेरिका और यूरोपियन देशों ने रूस पर कई तरह का आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि इस दौरान चीन आर्थिक मोर्चे पर रूस का साथी बना हुआ है।

Report :  Neel Mani Lal
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-03-02 17:38 IST

व्लादिमीर पुतिन (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। रूस (Russia) पर यूरोपियन देशों (European countries) और अमेरिका ने कठोर प्रतिबंध लगाए हैं। रूसी बैंकों पर रोक लगाई गईं हैं। एप्पल, जनरल मोटर्स, यूट्यूब आदि कई निजी कंपनियों ने भी रूस में कामकाज रोक दिया है। रूसी एयरलाइन्स पर रोक लगाई गई है। आर्थिक प्रतिबंधों का इम्पैक्ट रूसी मुद्रा रूबल पर देखने को मिल रहा है। लेकिन क्या इससे रूस टूट रहा है? शायद नहीं। क्योंकि रूस के पास तेल, गैस, मेटल और अनाज की बहुत बड़ी ताकत है। सच्चाई ये भी है कि अमेरिका और यूरोप आज भी रूस से कच्चा तेल खरीद रहे हैं। यूरोपीय देशों में रूस से अनाज वगैरह जा रहा है।

एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि रूस तेल व गैस की बिक्री और देश के सोने और चीनी मुद्रा के भंडार के बल पर वित्तीय प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने का प्रयास करेगा। इसके अलावा पुतिन छोटे रूसी बैंकों और उन कुलीन परिवारों के खातों के माध्यम से धन स्थानांतरित करने की भी उम्मीद है जो प्रतिबंधों के दायरे में नहीं हैं। पुतिन क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन और चीन के साथ रूस के संबंधों पर के दम पर भी वित्तीय आक्रमण को झेल सकते हैं। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग की वित्तीय खुफिया और प्रवर्तन शाखा के पूर्व निदेशक जॉन स्मिथ ने कहा भी है कि, अभी रूस के पास सबसे बड़े दो रास्ते चीन और ऊर्जा हैं।

तेल की ताकत

अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस के सबसे बड़े बैंकों और रूस के रईस वर्ग पर प्रतिबंध लगाए हैं, रूस के बाहर स्थित देश के सेंट्रल बैंक की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है, और उसके वित्तीय संस्थानों को स्विफ्ट बैंक मैसेजिंग सिस्टम से बाहर कर दिया है। लेकिन रूस के तेल और प्राकृतिक गैस पर कोई प्रतिबंध नहीं है और उनकी शेष विश्व में स्वतंत्र रूप से सप्लाई जारी है।

रूस प्रतिदिन करीब 1.1 करोड़ बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है। वह अपनी आंतरिक मांग के लिए इस उत्पादन का लगभग आधा उपयोग करता है और प्रति दिन 5 से 6 मिलियन बैरल निर्यात करता है। आज रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है। उसका नम्बर अमेरिका के बाद और सऊदी अरब से आगे है लेकिन कभी-कभी यह क्रम बदल भी जाता है।

तेल के खरीदार

रूस के निर्यात किए गए तेल का लगभग आधा - लगभग 2.5 मिलियन बैरल प्रति दिन - जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पोलैंड, फिनलैंड, लिथुआनिया, ग्रीस, रोमानिया और बुल्गारिया सहित यूरोपीय देशों को भेजा जाता है। इसका लगभग एक-तिहाई हिस्सा बेलारूस से ड्रुज़बा पाइपलाइन के माध्यम से यूरोप में आता है। इस पाइपलाइन से प्रतिदिन 700,000 बैरल तेल गुजरता है। इस सप्लाई पर किसी तरह के प्रतिबंध लग सकते हैं। 2019 में यूरोपीय देशोंने कई महीनों के लिए ड्रुज़बा लाइन से डिलीवरी लेना बंद कर दिया था। वजह ये थी कि इसके माध्यम से बहने वाला कच्चा तेल कार्बनिक क्लोराइड से दूषित हो गया जो प्रोसेसिंग के दौरान तेल रिफाइनरियों को नुकसान पहुंचा सकता था। इसके बाद रूस ने इस पाइपलाइन से तेल शिपमेंट में कमी कर दी। अब यूरोप में रूसी कच्चे तेल का शेष निर्यात मुख्य रूप से जहाजों द्वारा किया जाता है।

मोटी कमाई

रूस ने 2021 में तेल निर्यात से 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की, जो विदेशों में प्राकृतिक गैस की बिक्री से उसकी आय से दोगुना है। अकेले अमेरिका ही रूस से रोजाना 7 करोड़ डॉलर का तेल खरीदता है।

जी 7 देशों ने रूसी तेल की खरीद कम करने की योजना बनाई है जिसके चलते रूस ने सप्लाई घटने के अंदेशे से तेल के दाम में कमी की है। लेकिन खरीदार अब भी मौजूद हैं। भारत ने ही रूसी कच्चे तेल के टैंकर बढ़िया डिस्काउंट पर खरीदे हैं जो पहले से ही समुद्र में थे। रूस कच्चे तेल में और छूट देकर जी -7 को जवाब दे सकता है। अतीत में भी यही पैटर्न देखा गया था जब देशों ने वेनेजुएला और ईरानी तेल को मंजूरी दी थी तब भी उन देशों को इसके बावजूद खरीदार मिलते रहे।

चीन एक बड़ा खरीदार

चीन प्रतिदिन 16 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल का आयात करता है। इसका आधा हिस्सा पूर्वी साइबेरिया प्रशांत महासागर पाइपलाइन के माध्यम से आता है। ये पाइपलाइन जापान और दक्षिण कोरिया सहित अपने अंतिम बिंदु पर एक बंदरगाह के माध्यम से अन्य ग्राहकों को भी सेवा प्रदान करती है। पिछले महीने रूस और चीन ने 30 साल के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें रूस चीन को गैस की आपूर्ति करेगा, हालांकि उस गैस को ले जाने के लिए पाइपलाइन का काम कम से कम तीन साल तक पूरा नहीं होगा। इसके अलावा, चीन ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि वह पहली बार रूस के सभी हिस्सों से गेहूं के आयात की अनुमति देगा।

निजी कंपनियां

एप्पल, जनरल मोटर्स और अन्य कंपनियों ने रूस में सप्लाई रोक दी है लेकिन इससे रूस पर मामूली असर ही होगा। निजी कंपनियों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध से बहुत बड़ा इम्पैक्ट होने की उम्मीद किसी को नहीं है। रूस अधिकांश चीजें खुद भी प्रोड्यूस करता है सो इस पहलू का भी मामूली असर होगा।

Tags:    

Similar News