Russia-Ukraine War: पड़ोसी देशों ने यूक्रेन के लोगों के लिए खोले दरवाजे, शरणार्थियों का कर रहे स्वागत
Russia-Ukraine War: यूक्रेन में चल रहे भीषण युद्ध के बीच पड़ोसी देशों ने शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया आदि देशों की ओर से यूक्रेन से आने वाले लोगों की भरपूर मदद की जा रही है।
Russia-Ukraine War: यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई (Russia Military Operation) की शुरूआत के बाद अब रूसी सेनाओं (Russian Army) की ओर से भारी गोलाबारी की जा रही है। रिहायशी इलाकों, स्कूलों और पुलों को भी निशाना बनाया जा रहा है। यूक्रेन भी रूस के खिलाफ सैन्य मोर्चे पर पूरी तरह डटा हुआ है और यूक्रेन की ओर से एक हजार रूसी सैनिकों को मारे जाने का दावा (Ukraine Killed Russian Troops) किया गया है। रूस के हमले के बाद पूरे यूक्रेन में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है और काफी संख्या में लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक, अभी तक एक लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं।
यूक्रेन में चल रहे भीषण युद्ध के बीच पड़ोसी देशों ने शरणार्थियों (Refugees) के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया आदि देशों की ओर से यूक्रेन से आने वाले लोगों की भरपूर मदद की जा रही है। यहां तक कि यूक्रेन के लोगों की मदद करने के लिए इन देशों की ओर से नियम और कानून की प्रक्रिया में भी ढील दी गई है। दरअसल, कई देशों की ओर से रूस की आक्रामक नीति का जमकर विरोध किया जा रहा है और इसीलिए इन देशों ने यूक्रेन के लोगों की मदद की पहल की है।
तेजी से हो रहा है लोगों का पलायन
रूस की सैन्य ताकत के सामने यूक्रेन (Ukraine News) कमजोर पड़ता दिख रहा है। हालांकि अभी तक वह रूसी सेनाओं को भरपूर जवाब देने की कोशिश में जुटा हुआ है। यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) सहित अन्य इलाकों पर रूसी सेनाओं की ओर से किए जा रहे हमले के कारण यूक्रेन के लोगों में दहशत का माहौल दिख रहा है। काफी संख्या में लोग बंकरों और मेट्रो स्टेशनों पर जान बचाने के लिए छिपे हुए हैं। इसके साथ ही काफी संख्या में लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
जानकारों के मुताबिक, हमले की शुरुआत के बाद 48 घंटे के भीतर करीब 50 हजार लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण लेकर जान बचाने की कोशिश की है। इसके बाद भी लोगों का पलायन (People Migrating From Ukraine) बड़ी तेजी से जारी है और एक अनुमान के मुताबिक, अभी तक एक लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। अभी और लोगों के देश छोड़कर जाने का सिलसिला जारी है और माना जा रहा है कि अगर युद्ध कुछ लंबा खींचा है तो 50 लाख लोग पड़ोसी मुल्कों में शरण लेंगे।
शरणार्थियों की मदद कर रहे पड़ोसी देश
यूरोपीय यूनियन (European Union) की ओर से रूस की आक्रामक सैन्य नीति का जमकर विरोध किया जा रहा है। ऐसे में यूक्रेन के पड़ोसी देशों ने शरणार्थियों के लिए अपने देश के दरवाजे खोल दिए हैं। खास तौर पर पोलैंड और हंगरी की ओर से यूक्रेन के शरणार्थियों की ज्यादा मदद की जा रही है। इन दोनों देशों के अलावा रोमानिया, स्लोवाकिया और मोल्दोवा की ओर से भी यूक्रेन के लोगों को शरण देने के साथ ही खाद्य सामग्री भी मुहैया कराई जा रही है।
कोराना महामारी (Covid19 Mahamari) के दौर में कोविड की जांच को जरूरी बना दिया गया था मगर मौजूदा हालात में शरणार्थियों को कोविड की जांच से भी छूट दे दी गई है। इससे समझा जा सकता है कि पड़ोसी देशों ने यूक्रेन के लोगों की मदद के लिए खुले दिल से स्वागत की पहल की है।
किसी भी साधन से भाग निकलने की हड़बड़ी
यूक्रेन में ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है जो किसी भी तरह पड़ोसी देश के बॉर्डर तक पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं। तमाम लोग कार और ट्रेन का सहारा ले रहे हैं और जिसे दूसरे साधन नहीं मिल पा रहे हैं वे पैदल ही सीमा तक पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यूक्रेन में जगह-जगह सीमा की ओर जाने वाले वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई है। देश के सीमावर्ती इलाकों में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है।
लोग रूस की मिसाइलों का निशाना बनने से पहले यूक्रेन को छोड़ देने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी काफी ज्यादा है जो बड़े शहरों को छोड़कर ग्रामीण कस्बों व गांवों में शरण ले रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि रूस पहले राजधानी कीव के साथ ही देश के बड़े शहरों को निशाना बनाने की कोशिश करेगा। ऐसे में उन्हें ग्रामीण इलाकों में अपनी जान सुरक्षित महसूस हो रही है।
युवाओं को देश छोड़ने की अनुमति नहीं
वैसे यूक्रेन की सरकार की ओर से रूसी सेनाओं का सामना करने के लिए ऐसे नागरिकों के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है जो सेना में भर्ती होने लायक हैं। सूत्रों का कहना है कि केवल महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को ही देश छोड़कर जाने की अनुमति दी जा रही है। युवा और सेना में भर्ती होने लायक लोगों को विभिन्न स्थानों पर ट्रेनों और अन्य वाहनों से उतारा जा रहा है।
यूक्रेन की सरकार (Ukraine Government) का मानना है कि संकट की इस घड़ी में ऐसे लोगों को देश नहीं छोड़ना चाहिए। कई स्थानों पर ऐसा नजारा भी दिखा जहां परिजनों के साथ पड़ोसी देशों की ओर पलायन कर रहे युवाओं को वाहनों से उतार लिया गया है ताकि वे देश की सेवा कर सके।
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