बर्लिन : ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स और वॉक फ्री फाउंडेशन के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में 4 करोड़ लोग नए जमाने की दास प्रथा की चपेट में हैं। हमने इतिहास की किताबों में दास प्रथा के बारे में पढ़ा है, जिसमें एक ताकतवर शख्स या समुदाय अपने से कमजोर तबके को गुलाम बनाता है। नए जमाने में गुलामी कानूनी तौर पर अपराध है, लेकिन यह समाज मौजूद है। मानव तस्करी के खिलाफ मुहिम चलाने वाले संगठन इंटरनेशनल जस्टिस मिशन के जर्मन ऑफिस के चेयरमैन डाइटमर रोलर कहते हैं, 'यह उस गिरगिट की तरह है जो छिप कर रहता है।'
नए जमाने की गुलामी का मतलब है कि किसी शख्स ने दूसरे की आजादी छीन ली हो। दूसरे इंसान का अपने शरीर, काम करने या न करने पर अधिकार खत्म हो जाए और उसे प्रताडि़त किया जाए। इस आजादी को डर, हिंसा, दबाव या ताकत के जरिए खत्म किया जाता है। आधुनिक युग में गुलामी अलग-अलग तरीके की होती है। मसलन, मानव तस्करी, कर्ज का दबाव या जबरन कराई गई शादी आदि में इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं।
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लीबिया, कतर और कांगो जैसे देशों से नई गुलामी की खबरें अक्सर आती रहती हैं। यूरोप में भी मानव तस्करी और जबरन मजदूरी कराने के मामले बढ़े हैं। जर्मनी में ही 1.64 लाख लोग गुलामी के शिकार हैं। फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस (बीकेए) के मुताबिक, जर्मनी में अप्रवासियों में गुलामी के मामले अधिक पाए गए हैं। घरेलू कामकाज, केटरिंग इंडस्ट्री या कृषि में इनकी संख्या अधिक देखी गई है। पिछले साल पूर्वी यूरोप में 11 जांचें हुईं जिनमें 180 ऐसे मजदूरों की पहचान हुई जिनसे जबरन काम कराया जा रहा था।
जर्मनी यूरोप में कानूनन देह व्यापार गढ़ सरीखा है। बीकेए के आंकड़ों के अनुसार 2017 में जबरन देह व्यापार के 327 मामले सामने आए। इनमें से ज्यादातर महिलाएं बुल्गारिया, रोमानिया और जर्मनी की रहने वाली थीं। बीकेए की रिपोर्ट में नाइजीरिया के पीडि़तों में इजाफा होने का जिक्र है। ऐसे मामलों में दलालों की बड़ी भूमिका होती है। भोलीभाली किशोरियों और युवतियों से ये दलाल पहले अफेयर चलाते हैं और फिर उन्हें फुसलाकर देह व्यापार की अंधेरी दुनिया में धकेल देते हैं।
ज्यादातर मामलों में वे खुद को कर्ज से दबा बताते हैं और युवतियों को भरोसा दिलवाते हैं कि कर्ज चुकाने के लिए यह धंधा जरूरी है। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल जर्मनी में 50 से 60 मामले जबरन शादी करने के आते हैं। दुनिया में कई लोग अप्रत्यक्ष रूप से गुलामी को समर्थन दे रहे हैं। अर्थशास्त्री एवी हार्टमन ने 2016 में लिखी किताब आपके पास कितने गुलाम हैं में जिक्र किया है कि औसतन एक जर्मन अप्रत्यक्ष रूप से 60 गुलामों से जुड़ा हुआ है। एशिया और अफ्रीका में भी नई गुलामी फैलती जा रही है और पीडि़तों को न्यायायिक सहायता नहीं मिल पाती है। सबसे बड़ी मुश्किल पैसों की है जिसे दुरुस्त किए जाने की जरूरत है।