Panjshir Valley: अजेय पंचशीर जिसने तालिबान को घुटनों के बल आने को मजबूर किया

Panjshir Valley: आखिर क्या है पंजशीर की खासियत जो उसे अजेय बनाती है? जिस पर न तो सोवियत संघ की सेना के आने का असर पड़ा न अमेरिका के आने का असर हुआ।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Monika
Update: 2021-08-26 09:14 GMT

तालिबान (फोटो : सोशल मीडिया )

Panjshir Valley:अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ पंजशीर ( Panjshir Valley) का नाम बहुत तेजी से उभरा है। इसकी खास वजह यह है कि केवल पंजशीर इकलौता ऐसा इलाका है जो न सिर्फ तालिबान को चुनौती दे रहा है बल्कि उसने अजेय बनाते हुए तालिबान को समझौते के लिए झुकने को मजबूर कर दिया है।

आखिर क्या है पंजशीर की खासियत (specialty of Panjshir) जो उसे अजेय बनाती है? जिस पर न तो सोवियत संघ की सेना के आने का असर पड़ा न अमेरिका के आने का असर हुआ। न ही उसको अमेरिका या सोवियत संघ से कभी कोई मदद मिली।

पंजशीर जिसका अर्थ "पांच शेर" से लिए जाने के कारण पंजशेर और पंजशीर भी कहा जाता है । अफगानिस्तान के चौंतीस प्रांतों में से एक है। यह पंजशीर घाटी के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। प्रांत को सात जिलों में विभाजित किया गया है । इसमें 512 गांव हैं। 2021 में अनुमानतः पंजशीर प्रांत की जनसंख्या लगभग एक लाख 73 हजार थी। इसका बजरक जिला प्रांतीय राजधानी के रूप में कार्य करता है। पंजशीर और बगलान उन दो प्रांतों में से हैं जो कथित तौर पर तालिबान के आक्रमण के बाद उसके नियंत्रण में नहीं आए हैं। यहां उसके तमाम लड़ाके मारे गए हैं। पंजशीर 2004 में परवान प्रांत से अलग होकर एक स्वतंत्र प्रांत बना था। इसकी सीमा उत्तर में बगलान और तखर, पूर्व में बदख्शां और नूरिस्तान, दक्षिण में लगमन और कपिसा और पश्चिम में परवन से लगती है।

पंचशीर घाटी (फोटो : सोशल मीडिया )

महाभारत के पांडव काल से जुड़ा इतिहास 

अगर इतिहास की बात करें तो कुछ लोग इसे महाभारत के पांडव काल से भी जोड़ते हैं। इस क्षेत्र पर 16 वीं शताब्दी की शुरुआत और 18 वीं शताब्दी के मध्य तक बुखारा के खानटे का शासन था। बाद के पंजशीर सहित परवान क्षेत्र, अहमद शाह दुर्रानी द्वारा जीत लिया गया। आधिकारिक तौर पर दुर्रानी साम्राज्य के एक हिस्से के रूप में बुखारा के मुराद बेग द्वारा, दोस्ती की संधि पर या लगभग 1750 में हस्ताक्षर किए जाने के बाद स्वीकार किया गया था। दुर्रानी के शासन के बाद बरकजई राजवंश का शासन था। 19वीं शताब्दी के दौरान, यह क्षेत्र ब्रिटिश आक्रमणों से अप्रभावित रहा।

1973 में, मोहम्मद दाउद खान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली और पाकिस्तान में पश्तून-प्रधान क्षेत्र के बड़े हिस्से पर दावा करना शुरू कर दिया। इसके बाद 1975 में युवा अहमद शाह मसूद और उसके साथियों ने पंजशीर में एक विद्रोह शुरू किया। लेकिन उन्हें पाकिस्तान के पेशावर में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां उन्हें तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का समर्थन मिला। कहा जाता है कि भुट्टो ने अप्रैल, 1978 में काबुल में सौर क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे दाऊद ने अफगान सशस्त्र बलों को ग्रामीण इलाकों में फैला दिया।

1980 के दशक का सोवियत-अफगान युद्ध

पंजशीर पर सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान अहमद शाह मसूद और उसकी सेना के खिलाफ कई बार हमला किया गया था। एक क्षेत्रीय विद्रोह के बाद 17 अगस्त, 1979 से पंजशीर क्षेत्र विद्रोहियों के नियंत्रण में था। अपने पहाड़ी इलाके से सहायता प्राप्त इस क्षेत्र का 1980 के दशक के सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान पीडीपीए सरकार और सोवियत संघ के खिलाफ मुजाहिदीन कमांडरों द्वारा अच्छी तरह से बचाव किया गया था।

1992 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के पतन के बाद यह क्षेत्र इस्लामिक स्टेट ऑफ अफगानिस्तान का हिस्सा बन गया। वर्तमान में काबुल के पतन के बाद, अफगानिस्तान के इस्लामी गणराज्य के प्रति वफादार तालिबान विरोधी ताकतें पंजशीर प्रांत में भाग गईं। उन्होंने पंजशीर प्रतिरोध का नेतृत्व किया और चल रहे पंजशीर संघर्ष के साथ अफगानिस्तान के नए तालिबानी इस्लामी अमीरात से संघर्ष जारी रखा। नए प्रतिरोध बलों ने उत्तरी गठबंधन का पुराना झंडा फहराया। पंजशीर प्रतिरोध तालिबान को पीछे धकेलना और पंजशीर प्रांत में नियंत्रण हासिल करना जारी रखता चाहता है।

पंजशीर की भौगोलिक स्थिति उसे अजेय बना रही है। काबुल से 150 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित पंजशीर घाटी हिंदुकुश के पहाड़ों के करीब है। उत्तर में पंजशीर नदी इसे अलग करती है। पंजशीर का उत्तरी इलाका पंजशीर की पहाड़ियों से भी घिरा है। वहीं दक्षिण में कुहेस्तान की पहाड़ियां इस घाटी को घेरे हुए हैं। ये पहाड़ियां सालभर बर्फ से ढकी रहती हैं। इस से यह समझना आसान है कि घाटी का इलाका कितना दुर्गम है। यहां घुसने के बाद बाहर निकलना मुश्किल है। खास बात यह है जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे कि पंजशीर के 512 गांवों और 7 जिलों में बिजली और पानी तक की सप्लाई की व्यवस्था नहीं है। यहां केवल लोग रेडियो सुन सकते हैं। दूसरी आधिकारिक रिपोर्ट्स कहती हैं कि पंजशीर घाटी के पास इतना खाना और मेडिकल सप्लाई है कि अगली सर्दियों तक उसका काम चल सकता है। इसलिए उसे सप्लाई रोके जाने की या घेराबंदी की कोई चिंता नहीं है।

पंचशीर (फोटो : सोशल मीडिया )

क्यों महत्वपूर्ण है पंचशीर

ध्यान देने की बात यह हैं कि यह घाटी चांदी के खनन के लिए मशहूर है। इस घाटी में पन्ना का अनछुआ भंडार है। यह जिसके हाथ लग जाएगा वह मालामाल हो जाएगा।यह क्षेत्र पन्ना खनन का हब बन जाएगा। 1985 तक इस घाटी में करीब 190 कैरेट क्रिस्टल पाया गया था। कहा जाता है कि यहां पाए जाने वाले क्रिस्टल की क्वॉलिटी कोलंबिया की मुजो खदानों जैसी है। मुजो खदानों के क्रिस्टल दुनिया में सबसे बेहतरीन होते हैं।

लेकिन ऐसा लग रहा है कि यहां के दुर्गम हालात तालिबान जैसे क्रूर लड़ाकों को भी डरा रहे हैं तभी तो वह अंततः सुलह समझौते पर उतर आया है।

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