Tax Free Nations: दुनिया के ये देश खर्चे के लिए टैक्स पर नहीं हैं निर्भर, जानें कैसे चलती है इनकी इकोनॉमी

Tax Free Nations: देश के मौजूदा करदाता भी चाहते हैं कि उन्हें सरकार की ओर से अधिक से अधिक कर में राहत में मिले। वहीं, सरकार की कोशिश होती है कि अधिक से अधिक लोग कर के दायरे में आए।

Update:2023-02-11 12:10 IST

Tax Free Nations: किसी भी सरकार के लिए टैक्स उसकी कमाई का सबसे अहम जरिया होता है। जिन देशों में टैक्सपेयर्स की संख्या जितनी अधिक होती है, वहां की सरकार उतनी अधिक आर्थिक रूप से बलशाली होती है। उन्हें दैनिक जरूरतों के लिए कर्ज का मुंह नहीं देखना पड़ता। भारत जैसे देश में जहां अब भी करदाताओं की संख्या आबादी के मुकाबले बेहद कम है, कल्याणकारी योजनाओं और बड़े बुनियादी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विदेशों से ऋण की दरकार पड़ती है।

देश के मौजूदा करदाता भी चाहते हैं कि उन्हें सरकार की ओर से अधिक से अधिक कर में राहत में मिले। वहीं, सरकार की कोशिश होती है कि अधिक से अधिक लोग कर के दायरे में आए। इस रस्साकशी के विपरीत दुनिया में कुछ ऐसे देश हैं, जहां इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसलिए इन्हें ‘टैक्स हैवेन’ कहा जाता है। भारत समेत दुनिया के तमाम मुल्कों के रईस अक्सर अपनी संपत्ति को बचाने के लिए इन देशों में शरण लेते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि दुनिया के ये टैक्स फ्री देश अपने देश में विकास योजनाओं के लिए धन कहां से लाते हैं। आखिर इनकी इकोनॉमी कैसे चलती है।



टैक्स नहीं लेने वाले देश

तेल और गैस का अकूत भंडार वाले कुछ खाड़ी देशों में आयकर नहीं लगता। यहां के लोगों को अपनी कमाई पर सरकार को कोई टैक्स भरना नहीं होता है। इनमें यूएई, कतर, बहरीन, सऊदी अरब और ओमान जैसे देश शामिल हैं। इसके अलावा दुनियाभर के रईसजादों के फेवरेट हॉलीडे डेस्टिनेशन के रूप में विख्यात कैरेबियन द्वीप समूह में स्थित बरमुडा भी अपने नागरिकों से टैक्स नहीं वसूलता। इस सूची में एक और देश मौनेको है। ये सभी देश काफी अमीर हैं और यहां की सरकारों के सामने कभी पूंजी की कमी नहीं रही।

खाड़ी देशों की कमाई

एशिया के मध्य-पूर्व में स्थित विशाल रेगिस्तान में दुनिया के कई सबसे अमीर और संसाधन संपन्न देश हैं। खेती और पानी जैसे मूल चीजों के अभाव के बावजूद इन देशों में तरक्की की रफ्तार आसमान छू रही है। जनता से टैक्स न वसूलने के बावजूद संयुक्त अरब अमीरात की इकोनॉमी पर कोई फर्क इसलिए नहीं पड़ता क्योंकि यहां की सरकार को तेल के साथ – साथ टूरिज्म से जबरदस्त कमाई होती है। दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में शामिल यूएई में बड़ी संख्या में पर्यटक भी घूमने आते हैं। रेत पर बसे दुबई शहर की चकाचौंध किसे नहीं आकर्षित करती। यूएई सरकार को तेल की बिक्री और टूरिज्म से ही इतनी आमदनी हो जाती है कि उसे अपने नागरिकों से टैक्स लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती। कुछ ऐसा ही हाल अन्य टैक्स फ्री खाड़ी देशों का भी है। हालांकि, बहरीन में आयकर तो नहीं लगता लेकिन वहां की सरकार सामाजिक सुरक्षा के नाम पर इनकम पर सात प्रतिशत टैक्स वसूलती है। इसके अलावा वहां लैंड टैक्स भी लगता है।

बरमुडा की कमाई का मुख्य जरिया

कैरेबियाई देश दुनिया के नक्शे पर मौजूद उन देशों में शुमार है, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक छुट्टियां मनाने पहुंचते हैं। यहां रहना और घूमना इतना महंगा है कि सुपर रीच ही इसे अफॉर्ड कर पाते हैं। इसी कैरेबियाई द्वीप समूह में स्थित है एक देश, जिसका नाम है बरमुडा। खूबसूरत लेकिन काफी महंगा होने के बावजूद यहां पर्यटक की भारी भीड़ रहती है। ये देश भी अपने नागरिकों से टैक्स नहीं लेता है। लेकिन यहां पर रहने वालों को कई अन्य प्रकार के टैक्स देने होते हैं। कंपनी या कारखाने चलाने वालों को टैक्स भरना होता है। इसके अलावा अगर कोई यहां लंबे समय से यहां किराये पर रह रहा है तो उसे लैंड टैक्स देना होता है। बरमुडा की कमाई का मुख्य जरिया यही है।



बेहिसाब अमीरी वाला मौनेको

मात्र 2.02 वर्ग किलोमीटर में फैला मौनेको की आबादी 40 हजार है। जिसमें से केवल 12 हजार ही इस देश के मूल नागरिक हैं। बाकी सभी विदेशी मूल के लोग हैं। यह देश भी अपने नागरिकों से कर नहीं वसूलता। टैक्स हेवेन और अपनी उत्तम जलवायु के कारण यह छोटा सा देश यूरोपीय एवं पश्चिमी देशों के रईस लोगों के बीच काफी फेमस है। पश्चिमी देशों के अमीर इस देश में बसकर यहां से पूरी दुनिया में अपना व्यापार करते हैं और टैक्स बचाते हैं।

सर्दियों के समय पूरा यूरोप कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए मौनेको में उमड़ पड़ता है। वैसे तो यहां सालभर मौसम अच्छा रहता है लेकिन विंटर सीजन में पश्चिमी देशों की पर्यटक सबसे अधिक पहुंचते हैं। उनके मनोरंजन के लिए यहां एक से बढ़कर होटल, रिजॉर्ट एवं कैसिनो है। इस देश में रहने के लिए आपको लीगल रेजीडेंट परमिट की आवश्यकता पड़ती है। इस परमिट को हासिल करने के लिए आपको यहां के बैंक अकाउंट में करीब 45 लाख रूपये जमा करने होते हैं। सारी अर्हताएं पूरी करने पर मात्र तीन महीने में आपको परमिट मिल जाएगा। इस तरह मौनेको की पूरी इकोनॉमी टूरिज्म और बैंकिंग पर निर्भर है। कोई टैक्स न वसूलने के बावजूद यहां की सरकार के पास खूब सारा धन है। 

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