Uighur Muslims: मुस्लिमों पर चीन की क्रूरता आई सामने, उइगर के मुद्दे पर घिरा

Uighur Muslims: चीन ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट (Michelle Bachelet) से इस रिपोर्ट को वापस लेने की अपील की थी। जिसे मिशेल ने खारिज कर दिया था।

Written By :  aman
Update: 2022-09-01 12:20 GMT

चीन के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो)

UN Report on Uyghurs : चीन तकनीक सहित अन्य क्षेत्रों में भले ही खूब तरक्की कर ले, मगर मानवाधिकार के मुद्दे पर हमेशा ही वो दुनिया के निशाने पर रहा है। अमेरिका सहित पश्चिम देश अक्सर चीन पर उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार हनन (Human Rights Violations) का आरोप लगाते रहे हैं। इस कड़ी में नया नाम अब संयुक्त राष्ट्र (UN) का भी जुड़ गया है। दरअसल, यूनाइटेड नेशन (UN) ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि चीन का उइगर मुसलमानों (Uighur Muslims) तथा अन्य अल्पसंख्यकों को हिरासत में रखना 'मानवता के खिलाफ अपराध' है।

गौरतलब है कि, चीन के शिनजियांग प्रांत (Xinjiang Province) में उइगरों सहित अन्य जातीय अल्पसंख्यकों पर नरसंहार की खबरें अक्सर पूरी दुनिया को विचलित करती रही हैं। 

UN की रिपोर्ट में क्या? 

आपको बता दें कि, UN ने लंबे समय तक इंतज़ार के बाद इस रिपोर्ट जारी किया। बुधवार 31 अगस्त को यूएन ने जिनेवा में इस रिपोर्ट को जारी किया। रिपोर्ट में चीनी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर जमकर लताड़ लगाई है। साथ ही, इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चीन ने शिनजियांग के पश्चिमी क्षेत्र में उइगर (Uighur) सहित अन्य अल्पसंख्यकों को हिरासत में रखा है। यह अंतरराष्ट्रीय अपराध (International Crime) है। जो विशेष तौर पर मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आ सकता है। इस रिपोर्ट में अधिकारों के उल्लंघन व यातनाओं के पैटर्न का भी हवाला दिया गया है।

चीन के खिलाफ कार्रवाई की मांग

इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) तथा विश्व समुदाय (World Community) से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के चीन के अभियान में मानवता और अधिकारों के उल्लंघन पर तत्काल ध्यान देने की मांग उठाई गई है। आपको बता दें कि, इसी रिपोर्ट के जारी नहीं होने को लेकर UN के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट (UN High Commissioner Michelle Bachelet) को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। जिसके बाद, बाचेलेट के इस्तीफे की मांग हो रही थी। 

चीन को सख्त चेतावनी, बाज आएं ऐसी हरकतों से  

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है, कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों (UN Human Rights Experts) ने चीन में मुस्लिम उइगरों के कथित हिरासत तथा जबरन काम कराने के बारे में गंभीर चिंता जताई है। इसके साथ ही, ये भी कहा है कि बलात्कार सहित यौन व लिंग आधारित हिंसा के आरोप विश्वसनीय दिखते हैं। इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि, अगर चीन अपनी इन हरकतों से बाज नहीं आया तो सख्त कदम उठाए जाएंगे। 

चीन ने की रिपोर्ट वापस लेने की अपील

दूसरी तरफ, चीन ने संयुक्त राष्ट्र के इस रिपोर्ट का विरोध किया है। चीनी राजदूत (Chinese Ambassador) ने कहा, 'हमने इस रिपोर्ट को अभी तक देखा नहीं है। मगर, हम इस तरह की रिपोर्ट का पूरी तरह विरोध करते हैं। उन्होंने कहा, हमें नहीं लगता कि ऐसा कोई जुल्म हमारी ओर से किया जा रहा है। वो ये भी कहते हैं कि चीन की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसी रिपोर्ट पश्चिमी देशों द्वारा लाए जाते हैं, जो एक अभियान का हिस्सा है।

चीन ने मानवाधिकार प्रमुख से रिपोर्ट वापस लेने को कहा था

यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, चीन ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट (Michelle Bachelet) से इस रिपोर्ट को वापस लेने की अपील की थी। जिसे मिशेल ने खारिज कर दिया था। बता दें, बाचेलेट ने इसी साल मई में चीन के शिनजियांग प्रांत का दौरा किया था। जिसके बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया था।

चीन की हिरासत में कितने उइगर मुसलमान?

UN की इस रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है, कि चीन के शिनजियांग प्रांत में करीब 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमान तथा अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को मनमाने तरीके से हिरासत में रखा गया है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इन डिटेंशन सेंटर (Detention Center in China) में उइगरों मुसलमानों को यातनाएं दी जाती हैं। उनकी नसबंदी तक की जाती हैं। उनकी महिलाओं के साथ रेप भी होता है।

चीन ने स्वीकारा डिटेंशन सेंटर्स हैं 

हालांकि, चीन भी स्वीकार करता है कि उसने डिटेंशन सेंटर्स बना रखे हैं। वह इन सेंटर्स को कट्टरपंथ से लड़ने के लिए बनाए गए वोकेशनल स्किल्स ट्रेनिंग सेंटर (Vocational Skills Training Center) कहता है। ज्ञात हो कि, शिनजियांग की आबादी कुल 2.5 करोड़ है। इनमें हान जाति के लोगों की जनसंख्या करीब 1 करोड़ है। जबकि, उइगर मुसलमानों की आबादी करीब 1.4 करोड़ है। साल 1953 में अल्पसंख्यकों की संख्या तकरीबन 44 लाख थी, जो 2020 में बढ़कर 1.4 करोड़ हो गई है।

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