‘मलाला’ को जान से मारने की धमकी, कौन हैं ये, तलिबान क्यों मानता है दुश्मन

मलाला युसूफजई शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुहिम चलाई थी, शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें नोबल पुरस्कार दिया गया था।

Update:2021-02-18 13:08 IST
मलाला द्वारा लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुहिम चलाने से तालिबान नाराज है। 9 अक्टूबर 2012 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी में उनके ऊपर हमला किया था।

इस्लामाबाद: नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई एक बार फिर तालिबानी आतंकियों के निशाने पर हैं। एक तालिबानी आतंकी ने मलाला को धमकी देते हुए ट्विटर पर लिखा है , 'इस बार गलती नहीं होगी।'

गौर करने वाली बात ये है कि यह धमकी उसी आतंकी ने दी है, जिसने 9 साल पहले मलाला को गोली मारी थी। फिलहाल ट्विटर ने मलाला को धमकी देने वाले आतंकी का अकाउंट ब्लॉक कर दिया है।

मलाला ने नाराजगी जाहिर करते हुए पाकिस्तान सरकार से इस मामले पर सवाल पूछा है। जिसके बाद से अब पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है।

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‘मलाला’ को जान से मारने की धमकी, कौन हैं ये, तलिबान क्यों मानता है दुश्मन(फोटो: सोशल मीडिया)

धमकी मिलने के बाद क्या बोलीं मलाला

पाक तालिबानी हमलवार से धमकी मिलने के बाद मलाला यूसुफजई ने इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

मलाला ने ट्वीट करके पाकिस्तान सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान से पूछा कि उन पर हमला करने वाला एहसानुल्ला एहसान कैसे सरकारी हिरासत से भाग गया।

बता दें कि, एहसान को 2017 में अरेस्ट किया गया था, लेकिन जनवरी 2020 में वह सेफ हाऊस से भाग गया, जहां उसे पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ने रखा था।

भागने के बाद एहसानुल्ला एहसान ने ट्विटर के जरिए पत्रकारों से संर्पक साधा था। उनसे काफी देर तक बातचीत भी की थी। उसने इसी दौरान मलाला को भी धमकी दी थी।

पाकिस्तानी तालिबान या तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकी एहसानुल्ला एहसान ने मलाला युसूफजई को वापस घर लौटने के लिए कहा। एहसान ने कहा, 'तुम और तुम्हारे पिता लौट आओ, क्योंकि तुमसे बदलना लेना है, इस बार कोई गलती नहीं होगी।'

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‘मलाला’ को जान से मारने की धमकी, कौन हैं ये, तलिबान क्यों मानता है दुश्मन(फोटो: सोशल मीडिया)

कौन हैं मलाला युसूफजई

मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूबनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में हुआ। मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन यूसुफजई है। साल 2007 से मई 2009 तक स्वात घाटी पर तालिबानियों ने खूब आतंक मचा रखा था। तालिबान आतंकियों के डर से लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था। मलाला तब आठवीं की छात्रा थीं और उनका संघर्ष यहीं से आरंभ होता है।

लेकिन 2012 की एक घटना के बाद मलाला दुनिया भर में अपने नाम से पहचानी जाने लगीं। दरअसल हुआ यूं था कि तालिबानी आतंकी उस बस पर सवार हो गए, जिसमें मलाला अपने साथियों के साथ स्कूल जाती थीं।

उनमें से एक ने बस में पूछा, ‘मलाला कौन है?’ सभी खामोश रहे लेकिन उनकी निगाह मलाला की ओर घूम गईं. इससे आतंकियों को पता चल गया कि मलाला कौन है। उन्होंने मलाला पर एक गोली चलाई जो उसके सिर में जा लगी।

मलाला पर यह हमला 9 अक्टूबर 2012 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी में किया था। गंभीर रूप से घायल मलाला को इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया। यहां उन्हें क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया। देश-विदेश में मलाला के स्वस्थ होने की प्रार्थना की गई और आखिरकार मलाला वहां से स्वस्थ होकर लौटीं।

आखिर क्यों मलाला की जान का दुश्मन बना हुआ है तालिबान

मलाला युसूफजई शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुहिम चलाई थी, शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें नोबल पुरस्कार दिया गया था। मलाला द्वारा लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुहिम चलाने से तालिबान नाराज है।

धमकी मिलने के बाद नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा, ' एहसान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का पूर्व प्रवक्ता है, जो मुझ पर और कई निर्दोष लोगों पर हमले का दावा करता है। वह अब सोशल मीडिया पर लोगों को धमकी दे रहा है, तालिबानी आतंकी एहसान पर पाकिस्तानी सेना के पब्लिक स्कूल पर 2014 में आतंकी हमले का आरोप है, जिसमें 134 बच्चे मारे गए थे।

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