Pfizer: दुनिया के सबसे गरीब देशों की मदद के लिए आगे आई फाइजर कंपनी, सस्ते में देगी वैक्सीन-दवाएं
US pharma company Pfizer: वर्तमान में 45 देशों में बहुत कम दवाएं और टीके उपलब्ध हैं। फाइजर इन देशों में अपनी दवाओं और टीके की सिर्फ उत्पादन लागत और न्यूनतम वितरण खर्च ही लेगा।
US pharma company Pfizer: अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर (Pfizer) ने कहा है कि वह दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों (world poorest countries) में बिना किसी प्रॉफिट पर लगभग दो दर्जन वैक्सीनें और दवाइयां उपलब्ध कराएगी। कंपनी के पास पांच प्रमुख श्रेणियों की बीमारियों के लिए 23 दवाओं के पेटेंट हैं।
फाइजर ने स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (world economic forum) की वार्षिक सभा में ये घोषणा की और कहा कि इसका उद्देश्य 45 गरीब देशों में स्वास्थ्य समानता में सुधार करना है। इनमें से अधिकांश देश अफ्रीका में हैं, लेकिन सूची में हैती, सीरिया, कंबोडिया और उत्तर कोरिया भी शामिल हैं। अगर किसी देश के पास कोई उत्पाद पहले से और कम दाम में उपलब्ध है तो वो कम दाम ही लागू होगा।
45 देशों में बहुत कम दवाएं और टीके उपलब्ध
फाइजर की इस पहल में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन में व्यापक रूप से उपलब्ध उत्पादों में 23 दवाएं और टीके शामिल हैं जो संक्रामक रोगों, कुछ कैंसर और कुछ दुर्लभ बीमारियों का इलाज करते हैं। कंपनी के प्रवक्ता पाम ईसेले ने कहा है कि वर्तमान में 45 देशों में बहुत कम दवाएं और टीके उपलब्ध हैं। फाइजर इन देशों में अपनी दवाओं और टीके की सिर्फ उत्पादन लागत और न्यूनतम वितरण खर्च ही लेगा। फाइजर ने सार्वजनिक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए प्रशिक्षण और दवा आपूर्ति प्रबंधन में सहायता प्रदान करने की भी योजना बनाई है।
फाइजर के चेयरमैन और सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने दावोस में कहा कि सबसे ताजा इलाज तक पहुंच वाले लोगों और इलाज तक ना पहुंच पाने वाले लोगों के बीच के इस अंतर को खत्म करने की शुरुआत करने का समय आ गया है।
फाइजर समूह की अध्यक्ष अंगेला ह्वांग ने कहा कि इस कदम से अमेरिका और यूरोपीय संघ में उपलब्ध फाइजर के पेटेंट वाली दवाइयां करीब 1 अरब 20 करोड़ लोगों तक पहुंच सकेंगी। ह्वांग ने माना कि अधिकांश गरीब देशों (world poorest countries) के लिए यह दाम देना भी चुनौती भरा होगा और इसलिए हम वित्त संस्थानों से समर्थन मांग रहे हैं।
दूसरी कंपनियों को भी न्योता
'एक ज्यादा स्वस्थ दुनिया के लिए एक संधि' नाम की इस पहल में बीमारियों की पांच श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना है - संक्रामक बीमारियां, कैंसर, इन्फ्लेमेशन, दुर्लभ बीमारियां और महिलाओं का स्वास्थ्य। इस पहल में शामिल होने के लिए फाइजर सरकारों, बहुराष्ट्रीय संगठनों, एनजीओ और दूसरी दवा कंपनियों को भी निमंत्रण देगी। पांच देशों ने इस पहल में शामिल होने का फैसला ले लिया है, जिनमें रवांडा, घाना, मलावी, सेनेगल और युगांडा शामिल हैं।
इनके अलावा कम आय वाले 27 और देश और कम से मध्यम आय वाले 18 और देश इसमें भाग लेने के लिए फाइजर के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने के योग्य हैं। रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे ने कहा है कि फाइजर के इस कदम ने एक नया मानक स्थापित कर दिया है और हम उम्मीद करते हैं कि और कंपनियां भी इसकी बराबरी करेंगी।
विकासशील देशों पर दुनिया की बीमारियों का 70 प्रतिशत भार पड़ता है लेकिन उन तक वैश्विक स्वास्थ्य खर्च का सिर्फ 15 प्रतिशत हिस्सा पहुंच पाता है, जिससे भयानक नतीजे सामने आते हैं। कम आय और माध्यम आय वाले देशों में कैंसर से होने वाली मौतें भी ज्यादा होती हैं। इन सब की पृष्ठभूमि में है ताजा दवाओं तक पहुंच की कमी। आवश्यक दवाओं और टीकों को सबसे गरीब देशों तक पहुंचने में चार से सात साल लगते हैं।