चीन पर बड़ा हमला करेगा अमेरिका! इस अहम दस्तावेज पर किये हस्ताक्षर
सीमा विवाद को लेकर भारत से बढ़ते तनाव के बाद चीन की मुश्किलें लगातार बढती ही जा रही हैं। चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत और अमेरिका समेत कई बड़े मुल्क पहले से खफा हैं।
वाशिंगटन: सीमा विवाद को लेकर भारत से बढ़ते तनाव के बाद चीन की मुश्किलें लगातार बढती ही जा रही हैं। चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत और अमेरिका समेत कई बड़े मुल्क पहले से खफा हैं।
भारत दूसरे मुल्कों के साथ रक्षा सौदा करके अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहा है। वहीं अमेरिका ने हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मालदीव के साथ रक्षा सहयोग को लेकर समझौता किया है।
फिलाडेल्फिया में 10 सितंबर को दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिये उप सहायक रक्षा मंत्री रीड वर्नर और मालदीव की रक्षामंत्री मारिया दीदी ने रक्षा व सुरक्षा समझौते के लिये प्रारूप पर हस्ताक्षर किये।
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अमेरिका लगातार बढ़ा रहा अपनी ताकत
इसकी जानकारी शुक्रवार को अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की तरफ से दी गई। यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब ट्रंप प्रशासन क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत को और भी ज्यादा मजबूत कर रहा है।
इस करार के बारे में जानकारी देते हुए अमेरिका के रक्षा विभाग ने कहा, 'यह रूपरेखा हिंद महासागर में शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दोनों देशों के गहरे संबंधों और सहयोग को निर्धारित करने के साथ ही रक्षा साझेदारी की दिशा में आगे की तरफ बढ़ाया गया एक अहम कदम है।'
दोनों के बीच पहले 'रक्षा और सुरक्षा संवाद' का कार्यक्रम तय करने को लेकर भी सहमति बनी। पेंटागन ने कहा कि दोनों पक्षों ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई।'
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भविष्य में सहयोग की गुंजाइश पर भी चर्चा
एक बयान में बताया गया कि मारिया दीदी ने कहा कि मालदीव सरकार इस प्रारूप को मालदीव और अमेरिका के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र के अहम समझौते के रूप में देखती है। वर्नर और दीदी ने इस द्वीपीय राष्ट्र के कोविड-19 से निपटने में अमेरिका की सहायता के साथ ही उन विषयों पर भी चर्चा की जिनमें भविष्य में सहयोग की गुंजाइश है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, इस करार में द्विपक्षीय गतिविधियों, वरिष्ठ नेताओं के स्तर पर संवाद, भागीदारी और समुद्री क्षेत्र में सहयोग, प्राकृतिक आपदा, राहत कार्यों में सहयोग के पहलू भी शामिल हैं।
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