Vaccine for Children: 12 से 15 साल के बच्चों को लगेगा कोरोना का टीका, Pfizer को मिली मंजूरी
Vaccine for Children: ब्रिटेन में बच्चों को भी कोरोना का टीका लगाया जाएगा। फाइजर कंपनी को मंजूरी दे दी गई है।
Vaccine for Children: कोरोना वायरस ( coronavirus ) से बचाव के लिए विश्व के सभी देशों में वैक्सीनेशन ( vaccination ) अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन बच्चों को लेकर काफी देशों में अभी भी वैक्सीनेशन को मंजूरी नहीं मिली है। हालांकि कम उम्र बच्चों के वैक्सीनेशन (Child Vaccination) के प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में ब्रिटेन की मेडिसिन रेगुलेटरी बॉडी ने अमेरिकी फार्मा कंपनी ( american pharma company ) फाइज़र की वैक्सीन ( Pfizer Vaccine ) को 12-15 साल उम्र के बच्चों में इस्तेमाल की छूट दे दी है। देश की रेगुलेटरी अथॉरिटी ने वैक्सीन को इस आयु समूह के लिए पूरी तरह सेफ बताया है।
आपको बता दें कि ब्रिटेन में काफी समय से फाइजर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल ( clinical trial ) चल रहा था। इस बारे में अथॉरिटी कहा कि हमने इस वैक्सीन का 12 से 15 साल की उम्र के बच्चों में सफल ट्रायल किया है। ये वैक्सीन इस आयु समूह के लिए पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावकारी पाई गई है। इसमें किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं दिखा है। हालांकि अब ये देश में वैक्सीन की एक्सपर्ट कमेटी पर निर्भर है कि वो इस आयुसमूह में वैक्सीनेशन की छूट देगी या नहीं।
2000 बच्चों पर किया गया ट्रायल
बता दें, वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में 2000 बच्चों को शामिल किया गया था। कमीशन ऑन ह्यूमन मेडिसिन के चेयरमैने प्रोफेसर सर मुनीर पीरमोहम्मद ने कहा कि बच्चों में ट्रायल करते वक्त हम विशेष खयाल रख रहे थे। विशेष तौर पर इसके साइड इफेक्ट्स ( side effects ) का।
अमेरिका में भी जा चुकी है छूट
इससे पहले अमेरिका ( America ) में भी फाइज़र वैक्सीन 12 साल तक के बच्चे को लगाने की अनुमति दी चुकी है। मई महीने में 2,000 से अधिक अमेरिकी वॉलंटियर्स पर किये गये ट्रायल के आधार पर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा था कि फाइजर वैक्सीन सुरक्षित है और 12 से 15 साल के किशोरों को मजबूत सुरक्षा देता है।
कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर भारी
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसे में अब बच्चों के टीकाकरण को लेकर भी लगातार दवाब बन रहा है। अब इस पर सरकार की तरफ से अहम फैसला कब तक होता है, इसका सभी को इंतजार रहेगा। अभी के लिए भारत से पहले अमेरिका और ब्रिटेन ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।