अब सेना अमर होगी: गोली-बम का नहीं होगा असर, कांप उठेंगे सारे दुश्मन देश

वुल्वरीन या एक्समैन केवल एक कैरेक्टर नहीं रह गए हैं, बल्कि अमेरिकी सेना गंभीरता से इस तरफ बढ़ रही है कि वो अपने सैनिकों में एक्समैन वाली खूबियां डाल सकें। हालांकि ये खूबियां ह्यूज जैकमैन जैसी खूंखार नहीं होंगी।

Update: 2021-02-21 07:40 GMT
अब सेना अमर होगी: गोली-बम का नहीं होगा असर, कांप उठेंगे सारे दुश्मन देश

वॉशिंगटन: हॉलीवुड की बहुत जबरदस्त सीरीज एक्स मैन तो आपने देखी होगी। ऐसे में Wolverine सीरीज बहुत ज्यादा अच्छी है। हालाकिं वुल्वरीन या एक्समैन केवल एक कैरेक्टर नहीं रह गए हैं, बल्कि अमेरिकी सेना गंभीरता से इस तरफ बढ़ रही है कि वो अपने सैनिकों में एक्समैन वाली खूबियां डाल सकें। हालांकि ये खूबियां ह्यूज जैकमैन जैसी खूंखार नहीं होंगी, बल्कि उसके तेजी से भरते घावों की तरफ अमेरिकी सेना का रूख है।

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मामूली खरोंच या घाव उन्हें रोक नहीं सकेगी

ऐसे में अमेरिकी एयरफोर्स की तरफ से जारी किए गए एक रिसर्च पेपर में इस बात की जानकारी दी गई है कि अमेरिकी वैज्ञानिक एक ऐसा सेल डेवलप कर रहे हैं, जो अमेरिकी सैनिकों में वुल्वरीन की खूबियां भरेगा। जिससे उनके घाव बहुत तेजी से भरेंगे।

इस पर अमेरिकी सेना की कोशिश है कि वो ऐसा सेल डेवलप करे और अमेरिकी सैनिकों में उन्हें डाले, इससे किसी भी जंग या परिस्थिति के दौरान अगर वो घायल हो भी जाते हैं, तो उनके घाव तेजी से भरें। लेकिन एक मामूली खरोंच या घाव उन्हें रोक नहीं सकेगी और वो कुछ ही समय बाद पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे।

तो अब ऐसा करने के पीछे एक ही मकसद है कि तबाही के मैदान में कम से कम सैनिकों की मौत हो और अगर वो घायल हो जाते हैं तो जल्द से जल्द ठीक होकर वो मैदान में दोबारा मोर्चा संभाल सकें।

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सैनिक ही आक्रामक तेवरों वाले

इस पर एक अमेरिकी लेखक ने दावा किया था कि अमेरिकी सेना द्वितीय विश्वयुद्ध के समय खूंखार नहीं थी। पर उनकी ट्रेनिंग में मानवीय पक्ष ज्यादा थे। ऐसे में 100 में से सिर्फ 15 प्रतिशत सैनिक ही आक्रामक तेवरों वाले होते थे। जिसकी वजह से अमेरिकी सेना को युद्ध जीतने में लंबा समय लग गया।

वहीं जर्मनी का हर सैनिक न सिर्फ खूंखार होता था, बल्कि किसी भी दुश्मन को देखते ही मरने और मारने के लिए तैयार रहता था. इस रिपोर्ट के बाद अमेरिकी सेना की ट्रेनिंग में बदलाव किया गया और आज अमेरिकी सील कमांडो दुनिया के सबसे घातक कमांडो माने जाते हैं.

यही नहीं, अमेरिकी सेना में शामिल ग्रीन बैरेट्स के बारे में दुनिया को कम ही पता होता है, लेकिन ग्रीन बैरेट्स का कोई एक सिपाही भी अपने आप में एक यूनिट आम सैनिकों के बराबर होता है. ऐसे में अब अमेरिका ने उन्हें और भी खूंखार और सुरक्षित बनाने के लिए कमर कस ली है, जिसमें उनका साथ दे रही है मिशीगन यूनिवर्सिटी.

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