World Population Day : जनसंख्या नियंत्रण से होती किसी भी देश की प्रगति

World Population Day : पूरे विश्व में 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस के रूप में जागरूकता के लिए मनाया जाता है। जनसंख्या में चीन पहले, भारत दूसरे स्थान पर है।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Sushil Shukla
Update:2021-07-10 14:39 IST

(फोटो साभार सोशल मीडिया)

World Population Day : मानव संसाधन किसी भी देश की प्रगति में बहुत बड़ा सहायक होता है ,लेकिन अगर यही मानव की संख्या किसी भी देश की परिस्थिति से अधिक होती है तो लाभ की जगह नुकसान पहुंचाती है क्योंकि उस देश की अर्थव्यवस्था ,व्यवस्थाएँ, रोजगार जो भी सरकार द्वारा योजना की जाती है वह निष्क्रिय या निष्फल हो जाती है इसलिए जनसंख्या नियंत्रण विश्व के हर देश व समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है |पूरे विश्व के लिए 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस के रूप में जागरूकता के लिए मनाया जाता है|

आज अगर देश और दुनिया की जनसंख्या की बात करें तो प्रथम स्थान चीन का है और दूसरा स्थान भारत का है| भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उसे अनेक प्रकार की विकास के पथ पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसी भी मानव की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा, मकान स्वरोजगार होता है |जनसंख्या के बढ़ने से भारत सरकार द्वारा बनाई गई योजनाएं अपने मूर्त रूप नहीं ले पाती हैं और विकास में हम पिछड़ जाते हैं इसीलिए भारत सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण कानून भी लाया गया था |इस विषय में हम लोग उसके अनेक पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

विश्व जनसंख्या दिवस के दिन बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाने के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है। तेजी से जनसंख्या की वृद्धि कई वजहों से समाज और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो जाती है। आज भी भारत में गैरकानूनी होते हुए भी देश के कई पिछड़े इलाकों में आज भी बाल विवाह की परंपरा है। इसकी वजह से कम उम्र में ही महिलाएं मां बन जाती हैं। जो कि देश के साथ बच्चे और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए घातक है।भारत देश में रूढ़िवादी समाज में आज भी लड़के की चाह में पुरुष, परिवार नियोजन अपनाने को तैयार नहीं होते। आज भी कई बार महिलाओं पर लड़का पैदा करने का दबाव ज्यादा होता है और इसकी वजह से कई महिलाओं अनेक बच्चों को जन्म देने को मजबूर रहती हैं।आज की तरह लड़कियों को शादी से पहले गर्भ निरोधक के उपाय संबंधित जानकारी नहीं दी जाती है। दरअसल, जनसंख्या बढ़ने की इन वजहों में गरीबी और अशिक्षा भी है। अशिक्षा की वजह से लोग परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझते और मातृत्व स्वास्थ्य एवं लैंगिक समानता के महत्व को कमतर आंकते हैं।शिक्षित होते हुए भी परिवार की यह सोच कि लड़का उनके बुढ़ापे का सहारा।गर्भ निरोधक का इस्तेमाल बहुत से समाज में लोग इसलिए नहीं करते है क्योंकि पराकृतिक ( ईस्वर )का उपहार मानते हैं| जबकि जानते हैं देश व परिवार भी जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी की समस्या ,स्वस्थ ,आर्थिक विपांत के साथ अनेक अन्य दंश झेलता है।

कार्यक्रमों से किया जाता जागरूक

विश्व जनसंख्या दिवस के दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है| जिनमें जनसंख्या वृद्धि की वजह से होने वाले खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया जाता है।घर-घर तक पहुंचकर लोगों को जनसंख्या रोकने के तरीके व विकल्प बताये जाते हैं।युवाओं का 25-30 की उम्र से पहले विवाह न करें और 2 बच्चों के बीच कम से कम 5 साल का अंतर रखने की वजह समझाएं ।जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए इसे सामाजिक और धार्मिक स्तर पर जोड़ेंते हैं।अधिक बच्चे पैदा करने वालों का सामाजिक स्तर पर बहिष्कार करें, क्योंकि दूसरे भी यदि जो ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं, तो इसका असर आपके बच्चों के भविष्य पर कम देश की अर्थ व्यवस्था पर अधिक पड़ेगा। आपके बच्चों के लिए प्रतिस्पर्धा और देश में बेरोजगार होने की आशंका बढ़ेगी।फलस्वरूप प्रतिस्पर्धा ज्यादा और इस प्रकार पूरे समाज, दुनिया में असमानता व भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा।नक्सलवाद / अपराध जैसी समस्याओं का मूल कारण भी यही जनसंख्या है, जो आगे जाकर लोगों में गरीबी-अमीरी के बीच फासले बढ़ाती है।देश में साधन से अधिक आबादी होगी तो विकास का लाभ सभी को बराबरी से नहीं मिल सकेगा। नतीजा अराजकता व देश की तरक्की धीमी होती है।



भारत की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए स्व इंदिरा गांधी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से पहले 'हम दो, हमारे दो' का नारा दिया था। ताकि भारत देश को बढ़ती हुई आबादी के दंश से बचाया जा सके |यह उनकी दूरदर्शिता भी कही जा सकती है हालांकि, उनकी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण अभियान पर सवाल भी उठते हैं। इंदिरा गांधी सरकार पर लोगों की जबरन नसबंदी कराने के भी आरोप लगे थे। 'हम दो, हमारे दो' नारे को हिंदी के मशहूर कवि बालकवि बैरागी ने लिखा था।एक यह स्लोगन भी काफी प्रचलित था छोटा परिवार सुखी परिवार|

हर राष्ट्र में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि आज दुनिया के हर विकासशील और विकसित दोनों तरह के देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं। विकासशील देश अपनी आबादी और जनसंख्या के बीच तालमेल बैठाने में मथ्थापच्ची कर रहे हैं, तो विकसित देश पलायन और रोजगार की चाह में बाहर से आकर रहने वाले शरणार्थियों की वजह से परेशान हैं। विश्व जनसंख्या दिवस 2021 का विषय है "अधिकार और विकल्प इसका अर्थ हैं चाहे बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है।"

जनसंख्या को लेकर कुछ आंकड़े इस प्रकार हैं

हर सेकंड 4 बच्चे जन्म लेते हैं |वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या 12 अरब हो जाएगी |आबादी के मामले में पहले नंबर पर चीन 1.3अरब है| दूसरे नंबर पर भारत 1.2 अरब है |ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2030 में भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा |50 परसेंट से अधिक की आबादी 25 वर्ष से कम है|

1989 में पहली बार मनाया गया था जनसंख्या दिवस  

दुनियाभर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने इस दिवस को 1989 से हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। यह दिन 11 जुलाई इसलिए मनाया जाता है, 11 जुलाई, 1987 को विश्व जनसंख्या 5 अरब लोगों के रूप में दर्ज की गई थी।इस दिवस को पहली बार 11 जुलाई 1990 को 90 से अधिक देशों में चिह्नित किया गया था। तब से कई देश के कार्यालयों, अन्य संगठनों और संस्थानों ने सरकारों और नागरिक समाज के साथ साझेदारी में यह दिवस पूरी दुनिया में बीते 32 सालों से मनाया जा रहा है।इस दिन लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और मातृत्व स्वास्थ्य व दुस्परिदम के बारे में जानकारी दी जाती है |

नाइजीरिया में सबसे तेजी से बढ़ रही जनसंख्या

वर्तमान में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया है, जिसके वर्ष 2050 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। दुनियाभर में बुजुर्गों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 1950 में बुजुर्गों से कहीं ज्यादा संख्या में युवा थे। भारत विकासशील देशों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है परंतु इसकी बढ़ती हुई जनसंख्या इसके विकास में रोड़ा बन रही है |इसी बात को मद्देनजर रखते हुए वर्तमान के प्रधानमंत्री सर्व श्री मोदी सरकार जी भी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनसंख्या कानून लाने का विचार कर रही है| जो सभी धर्मों के लिए लागू होगा । देश में अलग-अलग धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं ऐसे में अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून व नागरिकता समानता कानून पास करवाना थोड़ा मुश्किल है| प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने लाल क़िले से जब से जनसंख्या पर बात कही है तब से पार्टी के नेताओं ने नागरिकता समानता कानून व जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग उठाते कहा था कि जनता का समर्थन मिलेगा| सरकार के साथ समाज के लोगों को भी जनसंख्या के प्रति समाज को जागरूक करना होगा तभी हम एक सबसे विकासशील भारत का निर्माण कर पाएंगे|     

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