सैन फ्रांसिस्को: कई लोग अपनी खूबसूरती के लिए चर्चित हो जाते हैं मगर अपनी बदसूरती के लिए चर्चित होने वाले के बारे में आपने अब तक नहीं सुना होगा। दुनिया में हर कोई सुंदर दिखना चाहता है, लेकिन क्या कोई भद्दा होकर भी चर्चा का विषय बन सकता है? दरअसल हम बात कर रहे हैं अमेरिका में होने वाली एक प्रतियोगिता में जिसमें चुना जाता है दुनिया का सबसे भद्दा कुत्ता। सैन फ्रांसिस्को में हुई इस प्रतियोगिता में जसा जसा नामक कुत्ते को सबसे भद्दे कुत्ते का खिताब दिया गया।
तीस साल से हो रही इस प्रतियोगिता में खिताब पाकर जसा ने अपनी मालकिन का दिल जीत लिया। इस कुत्ते ने अपने भद्देपन से इन दिनों सोशल मीडिया पर कोहराम मचा रखा है। प्रतियोगिता में दुनिया भर के कुत्ते भाग लेते हैं और अपना टेलेंट दिखाते हैं। जो कुत्ता ये प्रतियोगिता जीतता है इसे इनाम के तौर पर रुपये और ट्राफी भी मिलती है। प्रतियोगिता जीतने वाले जसा नामक इस कुत्ते की उम्र 9 साल है। प्रतियोगिता में जसा को दुनिया के सबसे भद्दे व उग्र कुत्ते का खिताब दिया गया।
जसा देखने में काफी भयानक किस्म का कुत्ता लगता है। बड़े-बड़े दांत, जमीन पर लटकती जीभ उसे दूसरे कुत्तों से अलग बनाती है। अपनी इसी खासियत के बल पर जसा को दुनिया का सबसे भद्दा कुत्ता चुना गया। जसा ने 13 अन्य कुत्तों को हराकर इस प्रतियोगिता में बाजी मारी। प्रतियोगिता जीतने पर जसा पर इनामों की बरसात भी हुई। उसे 1,500 डॉलर (भारतीय करेंसी में करीब एक लाख रुपये), एक ट्रॉफी और मीडिया के प्रदर्शन के लिए न्यूयॉर्क की मुफ्त यात्रा का मौका मिलेगा। जसा के बारे में मिस्टर ब्रेनार्ड ने बताया कि लंबी जीभ और दांतों की वजह से ही जसा बाकी कुत्तों से अलग है। उसका रेड कार्पेट पर चलने का अलग ही अंदाज है जो और जजों को भी पसंद आया।
बेहद खास है यह आयोजन
ब्रेनार्ड ने इस अलग तरह के आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सैन फ्रांसिस्को के उत्तर में सोनोमा-मैरीन फेयरग्राउंड्स में होने वाला यह आयोजन बेहद खास है। यह आयोजन कई पालतू जानवरों को गोद लेने में मदद भी करता है। जसा को एक रेस्क्यू के दौरान बचाया गया था। उस समय वह काफी छोटा था। बाद में जसा को पेटकॉम की वेबसाइट से खरीद लिया गया था।
मिलती है जानवरों को घर दिलाने में मदद
आयोजन से जुड़े प्रवक्ता क्रिस्टी जेनेट्री ने कहा कि दुनिया के सबसे बुरे कुत्तों की प्रतियोगिता सोनोमा-मैरीन फेयर की एक प्रतिष्ठित परंपरा है। यह आयोजन आगे भी होता रहेगा। जेनेट्री ने बताया कि इससे हमें कुत्तों को गोद लेने के लिए लोग मिल जाते हैं। इससे इन प्यारे जानवरों को रहने के लिए घर मिलने में मदद मिलती है।
प्रतियोगिता का मकसद जानवरों के लिए इंसानों के मन में प्यार की भावना को जगाना था। साथ ही जिन कुत्तों को घर नहीं मिल पा रहा, उन्हें घर मुहैया कराना है। दरअसल विदेशों में काफी तादाद में कुत्तों को पालने के बाद सडक़ों पर छोड़ दिया जाता है। बाद में यही कुत्ते उग्र होकर दूसरे की जान लेने पर उतारू हो जाते है। फिलहाल इस प्रतियोगिता का मकसद कुत्तों के गोद लेने के संबंध में जागरुकता को बढ़ाना है।