Love Jihad Case: हिन्दू लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाते हैं मुस्लिम लड़के, देखें Y-Factor...

जो लोग केवल हिंदू मुसलमान की शक्ल देना चाहते हैं, उनके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है...

Written By :  Yogesh Mishra
Published By :  Praveen Singh
Update:2021-07-27 16:58 IST

Love Jihad Case: वैसे भी जो लोग इस क़ानून को भगवाकरण के चश्मे से देखने के आदी हैं। जो लोग इसेधर्मनिरपेक्षता व सांप्रदायिकता की लड़ाई बनाना चाहते हैं, जो लोग केवल हिंदू मुसलमान की शक्लदेना चाहते हैं, उनके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि इस मुद्दे को पहली बार भाजपा या उसके समर्थक किसी संगठन ने नहीं छेड़ा। न ही किसी भाजपा शासित राज्य से इसकी शुरुआत हुई।

सितंबर,2009 में केरल की कैथोलिक बिशप काउंसिल ने आरोप लगाया कि साढ़े चार हजार गैरमुस्लिम लड़कियों को टार्गेट कर उनका धर्मांतरण कराया गया। 10 दिसंबर, 2009 को केरल हाईकोर्ट ने कहा कि 1996 से यह सिलसिला जारी है। 

इसमें कुछ मुस्लिम संगठन शामिल हैं, जो अच्छेघरों की हिंदू और ईसाई लड़कियों को टार्गेट करते हैं। अदालत ने कहा कि सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाये। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि लव जिहाद होता है। मुस्लिम युवक हिंदू लड़कियों को अपने प्यार केजाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाकर लव जिहाद करते हैं। 

इसकी शुरुआत तब हुई जब केरल हाईकोर्ट ने हिंदू महिला अखिला अशोकन का मुस्लिम शफीन से हुए निकाह को रद कर दिया। निकाह से पहले अखिला ने धर्म परिवर्तन करके अपना नाम हादिया रखा।जिसके खिलाफ अखिला के माता-पिता केरल हाईकोर्ट गये। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में फिदायीन बनाने के लिए लव जेहाद का सहारा लिया गया।

अखिला के पति शफीन ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामलेकी एनआईए जांच के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा, "जिस तरह इंटरनेट गेम ब्लू व्हेल में किसी लड़के यालड़की को टास्क दिए जाते हैं। जिसमें उसे आखिर में सुसाइड करना होता है, उसी तरह आजकल किसी को भी खास मकसद के लिए राजी करना आसान हो गया है।" कोर्ट ने कहा है कि जांच रिपोर्टऔर केरल पुलिस से मिली जानकारी पर गौर करने और पीड़ित महिला से बात करने के बाद ही वह अपना फैसला सुनाएगी।

उसके बाद जुलाई, 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री और माकपा नेता वीएस अच्युतानंदन ने आरोप लगाया कि शादी के नाम पर गैर-मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराकर केरल को मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की कोशिश हो रही है। 

दिसंबर 2011 में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में 84 लापता लड़कियों का मुद्दा उठाया। बरामदगी के बाद 69 लड़कियों ने कहा कि उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया।जिहाद के साथ लव हो ही नहीं सकता। प्रेम में धर्म कोई रोड़ा नहीं होना चाहिए। प्रेम दोतरफ़ाहोता है। 

विवाह के लिए यदि धर्मांतरण अनिवार्य शर्त हो तो विवाह धोखा हो जाता है। इस धोखे के शिकार को असलियत तब पता चलती है जब सब कुछ उसके हाथ से निकल चुका होता है। बॉलीवुड में म्यूजिक डायरेक्ट साजिद-वाजिद की जोड़ी में से वाजिद खान का निधन 1 जून, 2020 को हो गया। उनकी पत्नी कमालरुख खान ने इंस्टा पर अंतर धार्मिक विवाह पर लम्बा चौड़ा पोस्टशेयर किया है। जिसमे उनका दर्द बयां है। कमालरुख खान ने लिखा है कि वाजिद खान के परिजन उन पर धर्म परिवर्तन के लिए दवाब डाल रहे हैं।पति के मौत के सदमे से बाहर नहीं आ पाई हूँ। उनके परिवार वालें परेशान किये जा रहे हैं। वह मूलत: पारसी हैं। 

जिन्ना ने अपने दोस्त की बेटी से प्रेम विवाह किया था। जिन्ना की पत्नी का नाम रती बाई पेंतित था।वह पारसी थीं। जिन्ना से चौबीस साल छोटी थीं। रती की आख़िरी इच्छा यह थी कि उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति से किया जाये। पर जिन्ना ने इसे पूरा नहीं किया। जवाहर लाल नेहरू की बहनपंडित विजया लक्ष्मी सैय्यद हुसैन नाम के नौजवान से प्रेम संबंधों के बाद विवाह करना चाहती थीं।पर शर्त यह थी सैयद हुसैन वेद मंत्र पढ़ें। हिंदू बने। हुसैन ने यह करने से मना कर दिया। 

उत्सर्ग एक ही क्यों करें? लड़की ही 

कलमा पढने को मजबूर क्यों हो? महबूबा 

कोमज़हब से बड़ी क्यों नहीं होने दिया जाता। जब मज़हब बड़ा रहे तब शादी के अवैध होने का फ़ैसला ही एकमात्र रास्ता है।  हालाँकि हमारे यहां स्पेशलमैरिज एक्ट 1955 का प्रावधान है। फिर इस रास्ते को क्यों नहीं चुना जाता है। क्योंकि इसमें धर्मबदलने की अनिवार्यता पर अंकुश लगता है। मजिस्ट्रेट को विवाह संपन्न कराने के लिए तीस दिन कासमय मिलता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने जो क़ानून बनाया है। उसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने काप्रावधान है। धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। बताना होगा कि धर्म परिवर्तन जबरन, दबाव डालकर, लालच देकर या किसी तरह के छल कपट से नहीं किया जा रहा है। अनुमति के लिए2 महीने का नोटिस देना होगा। अगर कोई सिर्फ लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए उससे शादी करेगा तो शादी अवैध मानी जाएगी। 

सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले की सजा 10 साल तक कर दी गयी है। इसके अलावा कम सेकम 50,000 रुपये का जुर्माना भी देना होगा। धर्म परिवर्तन में शामिल संगठनों का रजिस्ट्रेशन निरस्तकर कार्रवाई की जाएगी। नाम छिपाकर शादी करने वाले के लिए भी 

दस साल तक की सजा का भीप्रावधान है। यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में गैर जमानती हो गया है। सुनवाई प्रथम श्रेणी मैजिस्ट्रेट के कोर्ट में होगी। उत्तर प्रदेश के बरेली के उवैश अहमद लव जिहाद के क़ानून की जद में आने वाले पहले व्यक्ति बने। योगी सरकार जो क़ानून लाई है उसमें कहीं भी लव जिहाद का ज़िक्र  नहीं है।इसे 'विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम उत्तर प्रदेश-2020' नाम दिया गया है। 

एक ऐसे समय जबउत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की इलाहाबाद पीठ ने अंतर धार्मिक विवाह के मामले में दो अलग अलग फ़ैसलेदिये हों तब इस क़ानून की अहमियत और बढ़ जाती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक न्यायाधीश की बेंच ने शादी के लिए धर्म बदलने को ग़लत बताया।

दो न्यायाधीशों की बेंच ने लव जिहाद से जुड़े एक फैसले में कहा कि दो वयस्क लोगों को जीवन साथी चुनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन और आजादी के अधिकारमें निहित है। हाईकोर्ट ने इससे पहले शादी के लिए धर्म परिवर्तन को गलत ठहराने वाले पहले के फैसले को खराबकानून बताया।

पर सवाल यह शेष रह जाता है कि विवाह दो व्यक्तियों का केवल रिश्ता कैसे हो सकता है? दो लोगोंकी निजी रस्म  इसे कैसे माना जा सकता है? इसमें दो परिवारों का सरोकार भी होता है। जिस लवमें विवाह के लिए धर्म परिवर्तन एक अनिवार्य सा तत्व हो उसे सिर्फ़ जीवन साथी चुनने के अधिकारके चश्मे से देखना ग़लत होगा। 

इस तरह भाजपा सरकारें लव जिहाद के सवाल पर जिस तरह आगे बढ़ रही है, उसमें अंतर धार्मिक शादियों से ज़्यादा ज़ोर छल पूर्वक विवाह पर है।यह अगर किसी को नहीं दिख रहा है तो सरकार व क़ानून कानहीं, नज़र व नज़रिये का दोष है। 

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