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बदली रणनीति: नीतीश का पुराना जादू फेल, मोदी फैक्टर पर ज्यादा जोर

बिहार चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुराना जादू नहीं दिख रहा है। कई जनसभाओं में तो नीतीश को जन विरोध का भी सामना करना पड़ा है।

Monika
Published on: 27 Oct 2020 3:50 AM GMT
बदली रणनीति: नीतीश का पुराना जादू फेल, मोदी फैक्टर पर ज्यादा जोर
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बदली रणनीति: नीतीश का पुराना जादू फेल, मोदी फैक्टर पर ज्यादा जोर

नई दिल्ली। बिहार चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुराना जादू नहीं दिख रहा है। कई जनसभाओं में तो नीतीश को जन विरोध का भी सामना करना पड़ा है। इस कारण भाजपा नेतृत्व की ओर से अब बदली रणनीति में मोदी फैक्टर को भुनाने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे का ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव लड़ने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को ही पार्टी की ओर से ज्यादा प्रमुखता दी जा रही है। पार्टी के चुनावी पोस्टरों में भी मोदी ही छाए हुए हैं और मतदाताओं के बीच भी केंद्र सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं की ज्यादा चर्चा की जा रही है।

कई जनसभाओं में नीतीश का विरोध

जानकार सूत्रों के अनुसार पहले चरण की 71 सीटों पर चुनाव प्रचार के दौरान कुछ स्थानों पर नीतीश को विरोध का सामना करना पड़ा है और इससे भाजपा नेतृत्व सतर्क हो गया है। नीतीश की बेगूसराय और कुछ अन्य स्थानों पर हुई जनसभाओं में मुर्दाबाद के नारे लगने के साथ ही युवा मतदाताओं ने रोजगार देने की मांग कर डाली।

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नीतीश कुमार 15 वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं मगर यह पहला चुनाव है जिसमें उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। नीतीश के खिलाफ बढ़ते इस गुस्से के कारण भाजपा ने अब सतर्क रवैया अपना लिया है।पार्टी के बड़े नेताओं की ओर से राजद और कांग्रेस पर लगातार हमले किए जा रहे हैं मगर इसके साथ ही पार्टी अपनी रणनीति पर भी तेजी से काम कर रही है। सत्ता विरोधी माहौल ने भाजपा की चिंताएं बढ़ा रखी हैं और पार्टी को नीतीश कुमार के घटते जादू का एहसास हो गया है।

मोदी का चेहरा भुनाने की कोशिश

पार्टी के एक प्रमुख नेता का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव और इस चुनाव में राजनीतिक समीकरण काफी बदले हुए हैं। यही कारण है कि पार्टी की ओर से अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। चुनावी माहौल में किसी भी चीज की अनदेखी नहीं की जा सकती और यही कारण है कि भाजपा नेतृत्व की ओर से अब बदली रणनीति पर काम किया जा रहा है। पार्टी की ओर से की जा रही जनसभाओं में गठबंधन उम्मीदवारों के लिए वोट जरूर मांगे जा रहे हैं मगर प्रचार के केंद्र में शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी ही बने हुए हैं। पार्टी यह कदम उठाकर राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के असर को कम करने में जुटी हुई है।

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रैलियों में मोदी के सशक्त नेतृत्व की चर्चा

बदली रणनीति के अनुसार पार्टी की ओर से लगातार लोगों को यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को बिहार में भी काफी तेजी से लागू किया जाएगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और पार्टी के अन्य नेता अपनी चुनावी जनसभाओं में राष्ट्रीय मुद्दों की चर्चा करते हुए मोदी के सशक्त नेतृत्व की प्रशंसा करने से नहीं चूकते। पार्टी का मानना है कि मोदी अभी भी चुनाव के दौरान बड़े फैक्टर हैं और यह फैक्टर मतदाताओं को जरूर प्रभावित कर सकता है।

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एनडीए गठबंधन को मिलेगा फायदा

भाजपा नेतृत्व का मानना है कि मोदी फैक्टर से एनडीए गठबंधन में शामिल अन्य दलों जदयू, वीआईपी और हम को भी फायदा होगा। बिहार में पहले चरण वाली 71 सीटों पर चुनावी प्रचार समाप्त हो चुका है मगर दूसरे और तीसरे चरण की सीटों पर बदली रणनीति के हिसाब से काम किया जा रहा है।

नीतीश पर तेजस्वी लगातार हमलावर

दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए गए तेजस्वी यादव लगातार अपनी जनसभाओं में नीतीश कुमार पर हमले कर रहे हैं। राजद की ओर से रोजगार और विकास को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। तेजस्वी को इस मामले में काफी हद तक कामयाबी भी मिली है क्योंकि इन दोनों मुद्दों पर उन्हें अपनी जनसभाओं में समर्थन भी मिल रहा है।

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अपनी रैलियों में उमड़ रही भीड़ से तेजस्वी उत्साहित भी हैं। उन्होंने सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में दस लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा कर रखा है और रोजगार का मुद्दा युवाओं से जुड़ा हुआ है। इसीलिए भाजपा नेतृत्व की ओर से अब मोदी फैक्टर को भुनाकर महागठबंधन को जवाब देने की रणनीति बनाई गई है।

अंशुमान तिवारी

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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