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नैसकॉम फाउंडेशन और सीजीआई ने भारत की 'टेक फॉर गुड' रिपोर्ट की जारी

नैसकॉम फाउंडेशन ने सीजीआई के साथ मिलकर भारत की पहली टेक फॉर गुड रिपोर्ट जारी कर दी है।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 1 April 2021 3:43 PM IST
NASSCOM Foundation
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NASSCOM Foundation, Photo- Social Media

नई दिल्ली। नैसकॉम फाउंडेशन ने सीजीआई के साथ मिलकर भारत की पहली टेक फॉर गुड रिपोर्ट जारी कर दी है। इसका उद्देश्य सामाजिक भलाई के लिए संस्थानों, सामाजिक उपक्रमों और नागरिक समाज के इरादे तथा फोकस का प्रदर्शन करना था। टेक फॉर गुड रिपोर्ट में 548 संस्थानों से मिली जानकारी शामिल है। इनमें 305 गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), 124 सामाजिक उपक्रम और स्टार्टअप तथा 119 कॉरपोरेट हैं। रिपोर्ट में अनूठी जानकारी है और बताया गया है कि उद्योग कैसे परंपरागत कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) से आगे के काम करते हैं और टेक फॉर गुड समाधान तैयार करते हैं ताकि एक बेहतर, ज्यादा स्थायी समाज बनाने में सहायता मिले। इसमें सामाजिक टेक्नालॉजी की मांग और पूर्ति में जो अंतर है के साथ उन चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है जिनका सामना सामाजिक उपक्रम करते हैं।

रिपोर्ट के मुख्य नतीजों में शामिल हैं

टेक फॉर गुड को लेकर स्पष्ट फोकस: 91 प्रतिशत संस्थान टेक फॉर गुड को एक रणनीतिक फोकस के रूप में देखते हैं। 61 प्रतिशत ने पहले ही टेक फॉर गुड को स्थापित कर लिया है जबकि 30.3 प्रतिशत के लिए यह एक रणनीतिक फोकस है और वे इसके लिए काम कर रहे हैं। 6 प्रतिशत एक नया टेक फॉर गुड प्रैक्टिस बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं और 2.5 प्रतिशत इस समय टेक फॉर गुड की तलाश में नहीं है।

टेक फॉर गुड के लिए शिक्षा और आजीविका शिखर के फोकस क्षेत्रों के रूप में उभरे: 56.9 प्रतिशत संगठनों ने शिक्षा को सर्वोच्च टेक फॉर गुड फोकस के लिए रेट किया। आजीविकाओं ने इसे 50.43 प्रतिशत संस्थानों के लिए फोकस क्षेत्र के रूप में इसका अनुसरण किया।

टेक फॉर गुड कारोबारी रणनीति से तालमेल में रहता है: 93.97 प्रतिशत के लिए, टेक फॉर गुड डेवलपमेंट (विकास) के लिए उनकी कारोबारी रणनीति के साथ तालमेल में रहता है, जबकि 66.38 प्रतिशत पूर्ण तालमेल की रिपोर्ट करते हैं और 27.6 प्रतिशत अपनी योजना के साथ आंशिक तालमेल प्रदर्शित करते हैं।

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चालू स्थानीय मुद्दे टेक फॉर गुड को वैश्विक मुद्दों से ज्यादा प्रभावित करते हैं: 55.26 प्रतिशत ने स्थानीय मुद्दों को सुलझाने के लिए टेक फॉर गुड से तालमेल की सूचना दी, जबकि 42.9 प्रतिशत संस्थानों ने अपने वैश्विक मुद्दों को हल करने के लिए टेक फॉर गुड से तालमेल किया।

कर्मचारी रखना और नवाचार क्वोटेंट: 54.3 प्रतिशत संस्थान अपने टेक फॉर गुड को कर्मचारी के जुड़ाव और नवाचार क्वोटेंट विकास से तालमेल में रखते हैं।

टेक फॉर गुड के लिए समर्पित टीम: 65 प्रतिशत से ज्यादा संस्थानों के पास टेक ऑफ गुड के लिए समर्पित टीम है, इनमें से 36 प्रतिशत संस्थानों के पास ऐसी टीम भिन्न कारोबारी इकाइयों में मौजूद हैं।

टेक फॉर गुड के लिए बजट: स्पष्ट टेक फॉर गुड प्रैक्टिस वाली एक कंपनी टेक्नालॉजी पर प्रति वर्ष औसतन $ 36,515 खर्च करती है। यह उनके नियमित सीएसआर योगदान से अलग और उसके ऊपर है।

मोबाइल और वेब ऐप्स पसंदीदा विकल्प हैं: मोबाइल ऐप (81.36%) और वेब ऐप्स (84.48%) टेक फॉर गुड डेवलपमेंट के क्षेत्र में सबसे पसंदीदा ऐप के रूप में राज करते हैं जबकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (64.10%), बिग डेटा (54.78%) और क्लाउड (72.65%) भी इस खास क्षेत्र में बढ़ रहे हैं।

धन की कमी: 92 प्रतिशत सामाजिक उपक्रमों ने बताया कि अपने टेक फॉर गुड सोल्यूशंस को बड़ा करें इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती है। केवल 27 प्रतिशत सामाजिक उपक्रमों को स्केलिंग अप (बड़ा करने के लिए) सीएसआर से फंड प्राप्त हुआ।

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तकनीक निर्माण और उपयोग में अंतर: कंपनियों द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित समाधानों के विकास और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा उनके उपयोग में 40 प्रतिशत का भारी अंतर है। बिग डेटा (29.21), क्लाउड (31.01) और ब्लॉकचैन (27.98) में भी एक बड़ा अंतर भी है।

एनजीओ के टेक कौशल में कमी: यह अध्ययन एनजीओ के लिए सभी मोबाइल एपलीकेशन उपयोग कौशल में न्यूनतम 20 प्रतिशत पॉइंट की कमी और एआई आधारित समाधानों के उपयोग के लिए अधिकतम 50 प्रतिशत पॉइंट गैप के साथ एनजीओ के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल अंतर को भी उजागर करता है।

कोविड-19 लॉकडाउन से परिवर्तन की शुरुआत: कई संस्थानों ने महामारी के कारण तनाव महसूस किया। 72 प्रतिशत सामाजिक उपक्रमों ने दावा किया कि उनका व्यवसाय कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ है और 57 प्रतिशत गैर सरकारी संगठनों ने अपनी निगरानी क्षमताओं में बाधा की सूचना दी है।

संपूर्ण पारिस्थितिकी ने प्रतिकूल स्थितियों में नए मौके पाए। 63.5 प्रतिशत संस्थानों (कॉरपोरेट्स, सामाजिक उफक्रम और एनजीओ) ने भिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए नई तकनीक का निर्माण करते हुए नए अवसर पाए।

55.6 प्रतिशत ने दूर से काम करने के लिए तकनीक बनाने के काम किये।

55.9 प्रतिशत ने दूर से शिक्षा के लिए तकनीक पर काम किया।

55.9 प्रतिशत ने निगरानी और रिपोर्टिंग के नए तरीकों पर काम किया।

रिपोर्ट जारी करते हुए नैसकॉम फाउंडेशन के सीईओ अशोक पमिदी ने कहा, "भारत नवीनता की संभावनाओं से भरा हुआ देश है जहां प्रौद्योगिकी उद्योग सबसे आगे चल रहा है। यहां कारोबारी नवाचार एक नियम है और पिछले कुछ वर्षों में उद्योग ने अर्थपूर्ण प्रौद्योगिकी आधार वाले सामाजिक नवाचार में निवेश देखा है। उद्योग की इस 'टेक फॉर गुड' संभावना, इसके सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों और ज्यादा संस्थाओं को अनुसरण करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से नैसकॉम फाउंडेशन को भारत की पहली टेक फॉर गुड रिपोर्ट पेश करते हुए गर्व हो रहा है।"

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उन्होंने आगे कहा कि रिपोर्ट में 548 संस्थानों के इनपुट हैं। इनमें कंपनियां, सामाजिक उपक्रम और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) शामिल हैं। यह कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया कराती है ताकि नई टेक फॉर गुड नवीनताएं तैयार की जा सकें और यह टेक इकोसिस्टम (तकनीकी पारिस्थितिकी) और एनजीओ कौशल में मौजूद अंतर को उजागर करता है। हम सीजीआई में समान विचार वाले साझेदारों के साथ खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि रिपोर्ट एक बेसलाइन का काम कर सकती है और उन सभी कंपनियों के लिए एक प्रेरणा की तरह होगी जो टेक फॉर गुड के प्रति एक रणनीतिक इरादा रखती है ताकि देश के सामाजिक मुद्दों के लिए स्केलेबल और स्थायी समाधान तलाशे जा सकें।

एशिया पैसिफिक ग्लोबल डिलीवरी सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस, सीजीआई के प्रेसिडेंट, जॉर्ज मैट्टक्कल ने कहा, प्रौद्योगिकी और नवीनता हमारे समाज की संपूर्ण सामाजिक और आर्थिक भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने आगे कहा, हम इस रिपोर्ट पर नैसकॉम फाउंडेशन के साथ साझेदारी करके खुश हैं। यह टेक फॉर गुड से संबंधित जानकारियों पर प्रकाश डालती है, जो दूसरे संस्थानों और हमारी सहायता करेगा ताकि समुदायों के समर्थन में प्रासंगिक और जिम्मेदार नवाचार में मदद मिले।

टेक फॉर गुड रिपोर्ट के साथ, नैसकॉम फाउंडेशन और सीजीआई ने दूसरे टेक फॉर गुड अवार्ड्स की भी शुरुआत की। कॉरपोरेट, सामाजिक उपक्रम और गैर-सरकारी संगठन इस पुरस्कार के लिए निम्नलिखित श्रेणियों में आवेदन कर सकते हैं: शिक्षा, अभिगम्यता, स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण, आजीविका, आपदा प्रबंध और कोविड-19 (विशेष श्रेणी) www.tech4good.in पर।

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Raghvendra Prasad Mishra

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