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बॉलीवुड का शहंशाह बनना नहीं था आसान, हर फिल्म से मिली एक अलग पहचान

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के एक कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन के पिता डॉ हरिवंश राय बच्चन एक प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन स्टेज शो में भाग लेती थी।

Shivani
Published on: 11 Oct 2020 3:08 AM GMT
बॉलीवुड का शहंशाह बनना नहीं था आसान, हर फिल्म से मिली एक अलग पहचान
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श्रीधर अग्निहोत्री

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का आज जन्म दिन है। जिन्हे लोग बिग बी के नाम से भी जानते हैं। अमिताभ बच्चन एक ऐसा नाम है जिनके बिना हिन्दी फिल्मों की कल्पना ही नही की जा सकती है। फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले देश और विदेश के हर घर में उनके फैन हैं। पचास साल के लम्बे फिल्मी कैरियर में लगभग 200 फिल्में कर चुके अमिताभ बच्चन का अभी फिल्मी सफर जारी है।

उनके इस फिल्मी सफर के बारे में आज कुछ जानकारियों से Newstrack.Com आपका परिचय करा रहा हैं-

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के एक कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन के पिता डॉ हरिवंश राय बच्चन एक प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन स्टेज शो में भाग लेती थी। आरंभ में अमिताभ बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था। पढाई लिखाई में तेज अमिताभ बच्चन ने बीस साल की उम्र में कोलकता की एक शिपिंग फर्म की नौकरी छोड़कर फिल्मों में पदार्पण किया।

पहली ही फिल्म में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार

अपने कैरियर की शुरूआत उन्होंने ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी फिल्म सात हिन्दुस्तानी के सात कलाकारों में एक कलाकार के तौर पर की। फिल्म तो सफल नहीं रही पर अपनी पहली ही फिल्म में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।

इसके बाद उनकी फिल्म आनंद आई जिसमें उन्होंने राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हे सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद अमिताभ ने ‘परवाना’ में काम किया। इस बीच उनकी कई फिल्में आई जिनमें रेशमा और शेरा, ‘बॉम्बे टू गोवा’ प्रमुख थी पर वह फिल्मे असफल रही। कुछ फिल्मों में उन्होंने सहायक कलाकार के तौर पर भी काम किया।

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार

जब प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फिल्म जंजीर में इंस्पेक्टर विजय खन्ना की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो यहीं से इनके कैरियर में नया मोड़ आ गया। और वह बॉलीवुड के एक्शन हीरो बन गए। यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

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इसी साल उनका विवाह अभिनेत्री जया भादुडी से हुआ और उनकी और जया बच्चन की फिल्म अभिमान भी रिलीज हुई। इसके बाद उन्होंने ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘मजबूर’, ‘चुपके-चुपके’, से लेकर अपराध पर आधारित फिल्म ‘फरार’ और रोमांटिक फिल्म ‘मिली’ में अपने अभिनय के जौहर दिखाए।

यश चोपड़ा की ‘दीवार’ के अलावा रमेश सिप्पी की ‘शोले’ जबरदस्त हिट साबित हुई। इन फिल्मों के अलावा ‘कभी-कभी’ ‘अमर अकबर एन्थनी’ ‘चुपके चुपके’ ‘कस्मे वादे’ ‘त्रिशूल’ ‘मुकद्दर का सिकन्दर’ आदि हिट रही। 1979 में पहली बार अमिताभ बच्चन को मि० नटवरलाल नामक फिल्म के लिए अपनी सहयोगी कलाकार रेखा के साथ काम करते हुए गीत गाने के लिए अपनी आवाज का उपयोग किया।

‘काला पत्थर’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार

इस फिल्म में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और पार्श्व गायक का भी सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्हे ‘काला पत्थर’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। बिग बी की दोस्ताना वर्ष 1980 की शीर्ष फिल्म साबित हुई। इसके बाद ‘सिलसिला’ ‘राम- बलराम’ ‘शान’ ‘लावारिस’ और ‘शक्ति’ जैसी फिल्में शामिल थी। 1982 में कुली फिल्म में शूटिंग के दौरान एक सीन में उन्हे गहरी चोट लगी। उनके मरने तक अफवाहें फैली। बहुत से भारतीयों ने मंदिरों में पूजा अर्चनाएं तक की। इस घटना बाद लोगों के दिलों में अमिताभ बच्चन ने अपनी जगह और मजबूत बना ली।

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इलाहाबाद लोकसभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को चुनाव में हराया

1984 में अमिताभ ने अपने पुराने मित्र राजीव गांधी की सपोर्ट में राजनीति में उतरेे। उन्होंने इलाहाबाद लोकसभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को चुनाव में हराया था। इसके बाद बोफोर्स मामले में नाम आने के बाद अमिताभ ने राजनीति से किनारा कर लिया। 1988 में अमिताभ बच्चन फिल्मों में तीन साल की छोटी सी राजनीतिक अवधि के बाद वापस लौट आए और टीनू आनंद की ‘शहंशाह’ में शीर्षक भूमिका की। 1981 की हिट फिल्म ‘हम’ और फिल्म अग्निपथ में माफिया डॉन की यादगार भूमिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते।

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इसके बाद 1992 में खुदागवाह और 1994 में इन्सान्यित रिलीज हुई। फिल्मों का सफर उनका यहीं नहीं रुका। इसके बाद भी उन्होंने मोहब्बतें कभी ख़ुशी, कभी गम, (2001) और बागबान 2003 फिल्में की । फिर अक्स (2001), आंखें (2002), खाकी (2004), देव (2004) और ब्लैक (2005) जैसी फिल्मों के लिए इन्हें अपने आलोचकों की प्रशंसा भी प्राप्त हुई। 2005 और 2006 में उन्होंने अपने बेटे अभिषेक के साथ बंटी और बबली (2005), द गॉडफादर श्रद्धांजलि सरकार (2005), और कभी अलविदा ना कहना (2006) जैसी हिट फिल्मों में स्टार कलाकार की भूमिका की। ये सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अत्यधिक सफल रहीं।

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इसके अलावा वह टीवी की दुनिया में भी विभिन्न विज्ञापनों के जरिए छाए रहते हैं। वर्ष 2000 से अमिताभ बच्चन टीवी सीरियल कौन बनेगा करोड़पति में आकर अपना योगदान दे रहे हैं।

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