TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जियो ने संचार मंत्री को पत्र लिखकर कही ये बड़ी बात

दूरसंचार क्षेत्र में एक समान स्तरीय प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाए रखने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए, रिलायंस जियो ने दूरसंचार मंत्री रविशंकर

Shivakant Shukla
Published on: 3 Nov 2019 6:35 PM IST
जियो ने संचार मंत्री को पत्र लिखकर कही ये बड़ी बात
X

नई दिल्ली: दूरसंचार क्षेत्र में एक समान स्तरीय प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाए रखने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए, रिलायंस जियो ने दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के लिए वैधानिक तौर पर बीते 14 सालों से बकाया राशि का भुगतान ना करने को लेकर दंडात्मक कार्रवाई को अमल में ना लाए जाने के कदम को अनुचित ‘वित्तीय लाभ’ दिए जाना करार दिया है। इस कदम से ना सिर्फ उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले का उल्लंघन किया जा रहा है बल्कि इससे कंपनियों के लिए गलत मिसाल भी कायम हो रही है|

जुर्माना माफ करना फैसले का उल्लंघन होगा

जियो, जिसके 2016 में लॉन्च होने के बाद से मोबाइल फोन पर मुफ्त कॉल और बेहद सस्ते डेटा की पेशकश ने भारत को दुनिया में सबसे कम दूरसंचार दरों वाला देश बनाने में मदद की, ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर के आदेश में स्पष्ट रूप से इस आधार पर मामले का निपटान किया है कि दूरसंचार लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क जैसे लेवी का भुगतान करना होगा और पिछले 14 वर्षों की देय राशि पर ब्याज और जुर्माना माफ करना फैसले का उल्लंघन होगा।

ये भी पढ़ें—जियो का आरोप, लैंडलाइन नंबर से ‘खेल’ कर रहीं एयरटेल, वोडा

1 नवंबर को लिखे गए पत्र के अनुसार ‘‘निर्णय दूरसंचार विभाग (डीओटी) की ओर से इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करता है कि पार्टियों के बीच अनुबंध के अनुसार ब्याज और जुर्माना सख्ती से लगाया जा रहा है और इसमें निहित ब्याज और जुर्माना प्रावधानों में कोई कमी, संशोधन या परिवर्तन किया गया है। लाइसेंस समझौते पर समझौते को फिर से लिखने की क्षमता होगी। इस विवाद को माननीय न्यायालय ने स्वीकार किया है।’’

सर्वोच्च न्यायालय ने 24 अक्टूबर डीओटी के इस फैसले को बरकरार रखा था कि गैर-दूरसंचार राजस्व वार्षिक समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का हिस्सा होना चाहिए - जिसका एक प्रतिशत सरकार को सांविधिक देय के रूप में भुगतान किया जाता है।

1.4 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित देनदारी

 रिलायंस जियो

1.4 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित देनदारियों के साथ, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया, दूरसंचार क्षेत्र की एसोसिएशन सीओएआई के माध्यम से, विलंबित भुगतानों पर कम से कम जुर्माना और ब्याज की माफी की मांग कर रहे हैं, जो कि कुल छूट का लगभग आधे हिस्सा बनता है। ये एक तरह से अतीत की सभी देनदारियों की पूरी तरह से माफी या छूट है।

किसी भी बकाए को अब ऐसे ही माफ नहीं किया जाना चाहिए

जियो ने कहा कि अपनी स्थिति को दोहराते हुए कि टेलीकॉम कंपनियों के पास देयता को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। पत्र में जियो ने कहा कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियों ने एक बड़ा बोनान्जा तब प्राप्त किया था जब वे लगभग दो दशक पहले सांविधिक देय राशि का भुगतान करने के लिए एक राजस्व शेयर पद्धति में चले गए थे और ऐसे में बिना किसी प्रावधान के अतीत के किसी भी बकाए को अब ऐसे ही माफ नहीं किया जाना चाहिए।

ये भी पढ़ें—ग्राहकों के हक में नहीं है IUC पर ट्राई का कंसल्टेशन पेपर: रिलायंस जियो

जियो ने कहा है कि ‘‘ब्याज और जुर्माना लगाने से संबंधित मुद्दे पर विचार करते समय, निर्णय विस्तृत तर्क से संबंधित होता है जो कुछ कारणों के लिए समय-समय पर विभिन्न मंचों में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के उदाहरण पर उठाए गए कई कार्यवाहियों की पेंडेंसी को कवर करता है और निष्कर्ष निकालता है।

इन विवादों को एक निर्धारित तरीके से नहीं उठाया गया था

उन्होंने कहा कि इन विवादों को एक निर्धारित तरीके से नहीं उठाया गया था, बल्कि वे किसी भी तरह से या अन्य भुगतान करने के उद्देश्य से थे, यहां तक कि उन सिर / वस्तुओं पर भी, जिन पर वे पहले की कार्यवाही में हार गए थे। जियो ने कहा कि ‘‘भुगतान दायित्वों को पूरा करने में अक्षमता किसी भी कारण या एक घटना या एक प्रभाव के कारण नहीं है जो पार्टियों को प्रत्याशित या नियंत्रित नहीं कर सकती थी।’’

ये भी पढ़ें—रिलायंस जियो को बंपर फायदा, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया को लगा झटका

उन्होंने कहा कि ‘‘बल्कि, निर्णय की स्पष्ट रीडिंग से जो स्थिति उभरती है वह यह है कि लाइसेंसधारियों ने कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है और जानबूझकर फालतू और कानूनी रूप से अस्थिर आधार पर बकाया भुगतान में देरी की है।’’

यह कहते हुए कि सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार कहा है कि स्पेक्ट्रम एक परिमित और कीमती प्राकृतिक संसाधन है, जियो ने कहा कि ‘‘भारत सरकार की ओर से किसी भी कार्रवाई को अनपेक्षित बकाए पर ब्याज और दंड से संबंधित संविदात्मक प्रावधानों को संशोधित करने या माफ करने के लिए कानूनी रूप से देय नहीं होगा।’’ विशेष रूप से जब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में विशेष रूप से निपटा गया है।

छूट के किसी भी प्रस्ताव से सरकारी खजाने को नुकसान

अदालत ने कहा कि ‘‘न्यायालय के फैसले से उत्पन्न होने वाले लाइसेंसधारियों की वित्तीय देयता में कोई भी कमी, उनके उचित बकाए के भुगतान में देरी के लिए तुच्छ और जबरदस्त कार्यवाही शुरू करने में उनके आचरण के लिए उन्हें पुरस्कृत करेगी। छूट के किसी भी प्रस्ताव को सरकारी खजाने को नुकसान और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विपरीत माना जाएगा।’’

ये भी पढ़ें—एयरटेल और वोडा-आइडिया के ब्लैकमेल के आगे ना झुके सरकार: जियो

JIO

इसके अलावा, ‘‘इस तरह के अनुचित लाभ, यदि प्रदान किए जाते हैं, तो अन्य क्षेत्रों सहित समान स्थितियों में दूसरों को समान रूप से प्रोत्साहित करने और प्रोत्साहित करने के लिए एक अविश्वसनीय मिसाल बन जाएगा और इसी तरह के उल्लंघन करने और इसे दूर करने के लिए पूरे उद्योग में फैल जाएगा।’’

रिकॉर्ड पर अपनी टिप्पणी नहीं जारी रखने और केवल दो चुनिंदा सदस्यों - भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के एजेंडे को प्रचारित करने के लिए इसने ‘‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’’ (सीओएआई) को आगे कर रखा है।

तीन महीने के भीतर अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय

उन्होंने कहा कि इसके दो चुनिंदा सदस्यों को सरकार से वित्तीय मदद मिलने के बावजूद, सीओएआई वास्तव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाने के लिए उतावला है। ‘सुप्रीम कोर्ट ने ऑपरेटरों द्वारा उठाए गए सभी तुच्छ आधारों को बहुत ही निष्पक्ष और स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है और साथ ही ऑपरेटरों को तीन महीने के भीतर अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दिया है।’

ये भी पढ़ें—वाह जियो वाह! Jio फोन पर बचायें 800 रुपए, और पाइये स्पेशल ऑफर

JIO

पत्र में कहा गया है कि ‘‘मामले की पृष्ठभूमि को देखते हुए, हमारा मानना है कि सरकार के पास सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जाने का विकल्प नहीं है और सीओएआई द्वारा मांगी गई किसी भी राहत को कानूनी तथ्यों के सादा पढ़ने के बाद भी प्रदान ना किए जाने का आधार प्रदान करता है।’’



\
Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story