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शरीर में है एंटीबॉडीज, तो कोरोना को हरा देंगे, जानिए क्या है इस दावे का सच

विश्व स्वास्थ्य संगठन( डब्ल्यूएचओ) की डॉ. मारिया वैन केरखोव का कहना है कि एंटीबॉडी जांच के द्वारा क्षमता की जानकारी मिल सकती है लेकिन एंटीबॉडी के स्तर से आप ये दावा बिल्कुल भी नहीं कर सकते कि आप पर कोरोना का अटैक नहीं होगा, या फिर आप कोरोना को हरा देंगे।

Aditya Mishra
Published on: 25 April 2020 12:40 PM GMT
शरीर में है एंटीबॉडीज, तो कोरोना को हरा देंगे, जानिए क्या है इस दावे का सच
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नई दिल्ली: पूरा देश इस समय कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कारगर है। इसको लेकर पहले से ही तमाम तरह के दावे किये जा रहे थे।

दिल्ली सरकार ने भी माना है कि शुरूआती चरण में इससे मरीजों को कुछ हद तक फायदा हुआ है। हालांकि इसको लेकर अभी और ट्रायल की जरूरत है।

इस बीच सोशल मीडिया में कोरोना वायरस के इलाज को लेकर एक और बड़ा दावा किया जा रहा है। कहा तो ये जा रहा है कि अगर आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज है तो कोरोना आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा, लेकिन क्या ये सच है। इस पर हेल्थ एक्सपर्ट से राय ली गई। आइये जानते हैं क्या कहना हैं उनका इस पर:-

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एंटीबॉडीज होने पर कोरोना को हरा देंगे, ऐसा दावा गलत: डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन( डब्ल्यूएचओ) की डॉ. मारिया वैन केरखोव का कहना है कि एंटीबॉडी जांच के द्वारा क्षमता की जानकारी मिल सकती है लेकिन एंटीबॉडी के स्तर से आप ये दावा बिल्कुल भी नहीं कर सकते कि आप पर कोरोना का अटैक नहीं होगा, या फिर आप कोरोना को हरा देंगे।

डॉ. मारिया का कहना है कि इस टेस्ट से केवल वायरस की पहचान की जा सकती है। वहीं जानकारों का कहना है कि एंटीबॉडी टेस्ट एक प्रक्रिया है इससे महज ये पता लगाया जा सकता है कि कितने प्रतिशत जनसंख्या संक्रमित है, और फैलने की क्या स्थिति है।

डब्ल्यूएचओ के डॉ. माइकल रायन का कहना है कि अगर आपके शरीर में एंटीबॉडीज हैं तो आप बीमार होने से जरूर खुद को बचा सकते है, लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल भी न निकालें कि आप के अंदर का वायरस अन्य लोगों को संक्रमित नहीं करेगा।

क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि काफी दिन तक आपमें संक्रमण नजर न आए लेकिन इस दौरान आप दूसरों में संक्रमण आसानी से फैला सकते हैं।

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आखिर क्या काम करता है एंटीबॉडीज

आइये अब समझ लें कि शरीर में एंटीबॉडी क्या काम करता है, और इसकी जांच कैसे करते हैं। ये वाई आकार का प्रोटीन है, शरीर में जो सफेद रक्त कोशिकाएं होती है उनका काम वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकना होता है।

जांच के दौरान इंसान के शरीर से खून का नमूना निकाला जाता है, फिर इस खून के नमूने को सीरम में मिलाया जाता है । इसके बाद इन्हे विशेष प्रकार के प्लेट मिक्सचर में डाला जाता है। प्लेट में मौजूद तरह पदार्थ का रंग अगर परिवर्तित होता है तो इसका अर्थ ये होता है कि रोगी में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज बन चुकी हैं।

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Aditya Mishra

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