TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Heat Stroke : तत्काल जान ले सकता है हीट स्ट्रोक, आप भी निकल रहे घर से बाहर तो जाने लें ये बड़ी बात

Heat Stroke : प्रचंड गर्मी, तापमान 45 के आसपास। लू के थपेड़े। ये सब स्थितियां किसी की जान लेने के लिए काफी हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 18 Jun 2023 11:36 AM IST (Updated on: 19 Jun 2023 10:21 AM IST)
Heat Stroke : तत्काल जान ले सकता है हीट स्ट्रोक, आप भी निकल रहे घर से बाहर तो जाने लें ये बड़ी बात
X
Heat Stroke (social media)

Heat Stroke : नई दिल्ली। प्रचंड गर्मी, तापमान 45 के आसपास। लू के थपेड़े। ये सब स्थितियां किसी की जान लेने के लिए काफी हैं। बलिया में यही हुआ जहां 40 लोग देखते देखते मर गए। गर्मी सिर्फ असहज ही नहीं है। यह जानलेवा भी हो सकती है। बाहर खुले में ही नहीं, बल्कि घर के भीतर भी विनाशकारी परिणाम गर्मी का सबसे घातक परिणाम विनाशकारी परिणाम 2003 में यूरोपीय हीट वेव में देखा गया था जब अकेले फ्रांस में हाइपरथर्मिया से 14,802 लोग मारे गए थे।

गर्मी कैसे मारती है?

दरअसल जब शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो भीतर सब कुछ टूट जाता है। आंत शरीर में विषाक्त पदार्थों का रिसाव करने लगती है, कोशिकाएं मरना शुरू हो जाती हैं, और सभी अंगों में एक विनाशकारी प्रतिक्रिया हो सकती है। ब्रेन में सूजन्यनी इनफ्लामेशन हो सकता है।

जर्नल मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज में एक लेख के अनुसार, वृद्ध व्यक्तियों को गर्मी का सबसे अधिक जोखिम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वृद्ध लोगों के कार्डियोवस्कुलर सिस्टम अधिक गर्मी के कारण होने वाले स्ट्रेस के प्रति कम लचीले होते हैं।

कोई सुरक्षित नहीं

लेकिन अत्यधिक तापमान में कोई सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। भीषण गर्मी में शारीरिक रूप से फिट लोग भी जल्दी से दम तोड़ सकते हैं। भीषण गर्मी में खुले में काम करने वाले, किसान, फेरीवाले, मजदूर - कोई भी सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन बुजुर्ग और मानसिक रूप से बीमार हैं ही अधिकांश मौतों का कारण बनते हैं।

क्या होता है शरीर में

शरीर की अत्यधिक गर्मी के लिए मेडिकल शब्द है - "हाईपोथर्मिया।" इसकी पहली स्टेज में थकावट होती है, बहुत पसीना आता है, मतली, उल्टी और यहां तक ​​कि बेहोशी जैसी स्थिति हो जाती है। नाड़ी की रफ्तार बहुत तेज हो जाती है और त्वचा ढीली व चिपचिपी हो जाती है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, मांसपेशियों में ऐंठन यानी क्रैम्प गर्मी की थकावट का शुरुआती संकेत हो सकता है।

ऐसे में क्या करना चाहिए

हाईपोथर्मिया के संकेत देखते ही, पीड़ित व्यक्ति को ठंडी जगह पर ले जाना चाहिए। उसके कपड़ों को ढीला कर देना चाहिए और शरीर पर ठंडी और गीली तौलिया लगाकर हीट थकावट को पलटा जा सकता है।

सावधान!

ध्यान रखें - अगर हीट थकावट वाले लोगों को तुरंत राहत नहीं मिल पाती है, तो वे तेजी से हीट स्ट्रोक का शिकार हो सकते हैं। हीट स्ट्रोक की स्थिति तब होती है जब किसी व्यक्ति के शरीर का मुख्य तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो जाता है। वैसे यह संख्या एक अनुमान है; क्योंकि लोगों के बीच कुछ डिग्री का अंतर हो सकता है कि वे कितनी आंतरिक गर्मी सहन कर सकते हैं।

क्या होता है हीट स्ट्रोक में

हीट स्ट्रोक में पसीना आना बंद हो जाता है और त्वचा रूखी और निढाल हो जाती है। नाड़ी तेज चलने लगती है। पीड़ित व्यक्ति मतिभ्रम का शिकार या बेहोश हो सकता है।
होता ये है कि अत्यधिक गर्मी से बचने की कोशिश करते समय शरीर रक्त को ठंडा करने के प्रयास में शरीर स्किन की रक्त वाहिकाओं को फैलाता है। ऐसा करने के लिए शरीर को आंत की रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ना पड़ता है। आंत में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाने से कोशिकाओं के बीच वह कवच ढीला पड़ जाता है जो सामान्य रूप से आंत की सामग्री को अंदर रखता है। कवच कमजोर हो जाने से आंतों में मौजूद विषाक्त पदार्थ रिस कर खून में फैल सकते हैं।

विषाक्त पदार्थ शरीर में एक बड़े पैमाने पर भड़काऊ रिएक्शन को ट्रिगर करते हैं, इतने बड़े पैमाने पर कि विषाक्त पदार्थों से लड़ने का प्रयास शरीर के अपने ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है। मांसपेशियों की कोशिकाएं टूट जाती हैं और अपनी सामग्री को ब्लड सर्कुलेशन में फैला देती हैं और किडनी को ओवरलोड कर देती हैं, जो फिर फेल होने लगती हैं, इस स्थिति को रबडोमायोलिसिस कहा जाता है।

बेहद खतरनाक स्थिति

गर्मी के डायरेक्ट परिणाम के रूप में तिल्ली में प्रोटीन जमना शुरू हो जाता है।
ब्लड - ब्रेन बैरियर जो आमतौर पर विषाणुओं को ब्रेन से बाहर रखता है, वह बैरियर कमजोर हो जाता है, जिससे खतरनाक पदार्थ मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं।
मेडिकल पुस्तकों के अनुसार, हीट स्ट्रोक से मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम में अक्सर माइक्रोहेमरेज (छोटे स्ट्रोक) और सूजन का पता चलता है। हीट स्ट्रोक से बचे 30 फीसदी लोगों को ब्रेन फंक्शन में स्थायी क्षति का अनुभव होता है।

तत्काल मदद जरूरी

एक अनुमान है कि हीट स्ट्रोक का अनुभव करने वाले 10 फीसदी लोगों की मृत्यु हो जाती है। सो ये बेहद जरूरी है कि हीट थकावट के लिए तत्काल उपचार और तेजी से शरीर को ठंडा करने की कार्रवाई की जाए।

घर के भीतर

हीट थकावट और हीट स्ट्रोक कहीं भी हो सकता है। ट्रेन, बस, किसी बिल्डिंग या घर के भीतर भी हो सकता है। जिनके पास कूलर या एयर कंडीशनिंग नहीं है वे अपने ही घरों में निढाल हो सकते हैं। वृद्ध व्यक्ति पंखे की गर्म हवा के नीचे भी इसका शिकार हो सकते हैं।



\
Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

Next Story