×

प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, अब गर्भपात पर बनेगा ये कानून

Shivani Awasthi
Published on: 29 Jan 2020 9:58 AM GMT
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, अब गर्भपात पर बनेगा ये कानून
X

दिल्ली: गर्भवती महिलाओं के लिए मोदी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में महिलाओं के गर्भपात कराने की समय सीमा बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। बता दें कि गर्भपात कराने की समय सीमा बढ़ाने को लेकर पिछले साल कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी। जिसपर सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि मामले पर विचार हो रहा है। इसी कड़ी में अब मोदी सरकार ने इसपर मुहर लगा दी।

मोदी सरकार ने बताई गर्भपात की समयसीमा:

मोदी कैबिनेट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अमेंडमेंट) बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है। दरअसल, अब तक गर्भपात की समय सीमा 20 हफ्ते की थी, जिसे बढ़ा कर 24 हफ्ते कर दी गयी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस उद्देश्य के लिये गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट) 1971 में संशोधन किया जायेगा। इसके लिये संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जायेगा।

ये भी पढ़ें:हनीमून होगा शानदार, नहीं होगी इन चीजों की परेशानी, खुलकर करेंगे इन्जॉय

क्या है वजह:

कहा गया कि 20 सप्ताह में गर्भपात कराने पर मां की जान जाने के कई मामले सामने आए हैं, 24 सप्ताह में गर्भपात कराना सुरक्षित होगा। इस बाबत मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस कदम से बलात्कार पीड़िताओं और नाबालिगों को मदद मिलेगी।

क्या है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी:

अब तक मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में अंतर्गत गर्भपात से जुड़े मामले होते थे। जानें अब तक के प्रावधान...

-प्रावधान है कि 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता। इसके तहत सात साल तक की सज़ा का प्रावधान है। हालाँकि, यह छूट भी है कि यदि माँ या बच्चे को खतरा हो तो गर्भपात किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें: यहीं से निकला कोरोना वायरस: जिसने ली बहुतों की जान, हुआ खुलासा

-गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 कानून के अनुसार, कुछ विशेष परिस्थितियों में 12 से 20 सप्ताह तक ही गर्भपात कराने की व्यवस्था की गई है।

पहले भी उठी थी मांग:

गौरतलब है कि पिछले साल गर्भपात कराने की अवधि बढ़ाने को लेकर कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उसके गर्भपात की समयसीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते करने को लेकर मंत्रालय ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि उसने गर्भपात संबंधी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेन्सी (एमटीपी) कानून, 1971 में संशोधन को लेकर अपना मसौदा कानून मंत्रालय के पास भेज दिया है।

'अविकसित भ्रूण' के चलते SC ने 24 हफ्ते की गर्भवती महिला को दी गर्भपात की इजाजत

इन देशों में भी गर्भपात की अनुमति

बता दें कि नेपाल, फ्रांस, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, इथोपिया, इटली, स्पेन, आइसलैंड, नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन और स्विट्जरलैंड समेत 52 फीसदी देशों में बच्चे में विसंगतियां पाए जाने पर 20 हफ्ते से ज्यादा होने पर गर्भपात की इजाजत है। वहीं डेनमार्क, घाना, कनाडा, जर्मनी, विएतनाम, और जाम्बिया सहित 23 देशों में किसी भी समय गर्भपात की अनुमति है।

ये भी पढ़ें:अभी-अभी बंगाल में भगदड़: ताबड़तोड़ चली गोलियां, दो की मौत

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story