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कोरोना से मजाक नहींः झुंड न बनाएं, मास्क दूसरे को बचाता है आपको नहीं

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लोगों के बीच 6 फुट की दूरी बनाये रखने को कहा जाता है लेकिन एक नई एनालिसिस में कहा गया है कि 6 फुट की दूरी पर्याप्त नहीं है।

Newstrack
Published on: 5 Sep 2020 9:16 AM GMT
कोरोना से मजाक नहींः झुंड न बनाएं, मास्क दूसरे को बचाता है आपको नहीं
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कोरोना में 6 फुट की दूरी काफी नहीं (social media)

लखनऊ: कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लोगों के बीच 6 फुट की दूरी बनाये रखने को कहा जाता है लेकिन एक नई एनालिसिस में कहा गया है कि 6 फुट की दूरी पर्याप्त नहीं है। मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी तथा ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए कई अन्य फैक्टर भी ध्यान में रखने चाहिए। वेंटिलेशन (बंद जगह में हवा आने जाने की स्थिति), लोगों की संख्या, एक्सपोज़र की अवधि, और चेहरा- मुंह-नाक ढंका गया है कि नहीं- ये सब बातें ध्यान में रखनी होंगी।

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ज्यादा जोखिम और कम जोखिम

शोधकर्ताओं का कहना है कि हाई रिस्क और लो रिस्क एक्सपोज़र को ध्यान में हमेशा रखना चाहिए। कुछ रिसर्च में पता चला है कि खांसने और चिल्लाने जैसी गतिविधि में कोरोना वायरस 6 फुट से ज्यादा दूर तक जा सकता है। बंद जगह, ज्यादा भीड़, ख़राब वेंटिलेशन वाली जगह, लोगों के करीब लम्बी अवधि में रहना, और चेहरा कवर नहीं करना- ये सब ज्यादा जोखिम यानी हाई रिस्क वाली बातें हैं। हाई रिस्क वाली जगहों में बार, रेस्तरां, स्टेडियम और जिम शामिल हैं। कम जोखिम में खुली जगहें, कम लाग, और चेहरा ढंकना जैसे कारक शामिल हैं।

ड्रॉपलेट्स का आकार और वायरस

फिजिकल डिस्टेंसिग में ये भी ध्यान में रखना होगा कि हवा में मौजूद ड्रॉपलेट्स का आकार कितना बड़ा है, ड्रॉपलेट्स में कितने वायरस हो सकते हैं और लोग इन ड्रॉप लेट्स के प्रति कितने संवेदनशील हो सकते हैं।

corona corona (Social media)

मानक बदले डब्लूएचओ

डब्लूएचओ ने अपनी एडवाइजरी में कह रखा है कि लोगों के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी रहनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि डब्लूएचओ का मानक अब बदल दिया जाना चाहिए। जुलाई में सैकड़ों वैज्ञानिकों ने इसकी अपील की थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बड़ी हैरत की बात है कि डब्लूएचओ अब भी कह रहा है कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं कि कोरोना वायरस हवा से फैलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हम ये कह रहे हैं कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं कि हवा से संक्रमण नहीं फैलता है।

पुराना मॉडल

नए विश्लेषण के शोधकर्ताओं ने कहा है कि एक मीटर की फिजिकल डिस्टेंसिंग के अनुमान गलत और आउटडेटेड विज्ञान पर आधारित हैं। इन अनुमानों के कुछ आधार तो 1930 के दशक तक पुराने हैं। उस दौरान ये बताया गया था कि जब कोई इनसान खांसता या छींकता है तो सांस से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स कितनी दूर तक उड़ सकते हैं। लेकिन इस मॉडल में ड्रॉपलेट्स में मौजूद वायरल लोड, वायरस के प्रकार और अलग अलग आकार के ड्रॉपलेट्स कितनी दूर जाते हैं, इन सबका ध्ययान नहीं किया गया था।

नाक है कोरोना वायरस की एंट्री पॉइंट

शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कोरोना वायरस मानव शरीर में जिन सेल्स या कोशिकाओं के हुक में जा कर अटक जाता है वो हुक वाले सेल्स नाक के ऊपरी हिस्से में सबसे ज्यादा मौजूद रहते हैं। नाक के बाकी हिस्सों की लाइनिंग वाले सेल्स और फेफड़े में जा रही नली की अपेक्षा नाक के भीतर ऊपर वाली जगह पर इन हुक सेल्स की संख्या 700 गुना ज्यादा होती है। नाक के ऊपरी हिस्से में लाइनिंग वाले यही सेल्स सूंघने के फंक्शन के लिए जरूरी होते हैं।

corona corona (social media)

अमेरिका की जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की इस रिसर्च से कोविड-19 के इलाज के लिए लोकल एंटीवायरल दवा के अनुसंधान में मदद मिल सकती है। इस रिसर्च से ये भी जानकारी मिलती है कि कोरोना संक्रमित लोगों में सूंघने की क्षमता क्यों खो जाती है।

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सिर्फ मास्क लगाने से कुछ नहीं होगा

मास्क और दस्ताने लोगों की जिंदगियों का "न्यू नॉर्मल" बन गए हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सिर्फ मास्क लगा लेने से आप कोरोना से बच नहीं पाएंगे।

डब्ल्यूएचओ के एमरजेंसी प्रोग्राम की अध्यक्ष मारिया वान केरखोवे का कहना है, 'हम देख रहे हैं कि अब लोग फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। अगर आपने मास्क पहन रखा है, तो भी आपको कम से कम एक मीटर और हो सके तो उससे भी ज्यादा दूरी बना कर रखनी होगी। कोरोना से कैसे बचना है, यह तो पिछले छह महीनों से लगातार बताया जा रहा है। आंकड़े भले ही बढ़ रहे हों लेकिन धीरे धीरे लोगों में डर कम हो रहा है। ऐसे में लोग कोताही बरतने लगे हैं। मारिया वान केरखोवे के अनुसार, केवल मास्क पहनने से नहीं होगा, केवल फिजिकल डिस्टेंसिंग से भी नहीं होगा और केवल हाथ धोने से भी नहीं। आपको ये सब करना होगा।'

corona corona (social media)

मास्क बचाता किसे है - आपको या दूसरों को?

कोरोना और अन्य वायरस पर हुए शोध दिखाते हैं कि संक्रमित व्यक्ति के मास्क पहनने से इसे दूसरों में फैलने से रोका जा सकता है। ज्यादातर मामलों में लोगों को पता ही नहीं होता कि वे वायरस से संक्रमित हैं। ऐसे लोग अगर मास्क नहीं पहनते हैं, तो ये दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। साथ ही मास्क पहनने से कुछ हद तक संक्रमित होने से भी बचा जा सकता है। इस तरह से मास्क आपको भी बचाते हैं और दूसरों को भी।

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अब तक यह बात तो सब समझ ही चुके हैं कि छींकने और खांसने के दौरान हवा में फैले छोटे छोटे ड्रॉप्लेट्स से यह वायरस फैलता है। कपड़े के मास्क या फिर सर्जिकल मास्क काफी हद तक इसे रोकने में कामयाब होते हैं। यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया की डॉक्टर मॉनिका गांधी का कहना है कि थोड़ी मात्रा में वायरस के संपर्क में आने से लोग इतने ज्यादा बीमार नहीं होते हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका में दो फूड प्रोसेसिंग प्लांट्स में कोरोना फैलने के मामलों पर जब शोध किया गया तो पता चला कि चूंकि वहां सभी कर्मचारियों ने मास्क पहन रखा था, इसलिए उनमें संक्रमण के बावजूद बेहद कम या लगभग कोई लक्षण नहीं देखे गए।

झुंड बना कर खड़े न हो

तो अगर आप भी मास्क लगा कर अपने दोस्तों के साथ झुंड बना कर खड़े हो जाते हैं या आपने सड़कों पर लोगों को ऐसा करते देखा है, तो इस आदत को बदलिए और दूसरों को भी ऐसा करने को कहिए। मास्क लगा कर लोगों से एक से दो मीटर तक की दूरी रखिए और हाथ और मास्क दोनों को नियमित रूप से धोते रहिए।

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