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1 साल में पैदा 4 बच्चे: मैडम ने तो पूरी स्क्रिप्ट ही तैयारी कर रखी थी

दिल्ली से सटे फरीदाबाद में एक अजीबों-गरीब मामला सामने आया है। जहां कुछ महिलाएं एक साल में 4 बार प्रेग्नेंट हो गई। यह काम ईएसआई कॉरपोरेशन (EST) के अधिकारियों के सहयोग से हुआ है।

Vidushi Mishra
Published on: 22 March 2023 2:38 PM GMT
1 साल में पैदा 4 बच्चे: मैडम ने तो पूरी स्क्रिप्ट ही तैयारी कर रखी थी
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1 साल में पैदा 4 बच्चे: मैडम ने तो पूरी स्क्रिप्ट ही तैयारी कर रखी थी

नई दिल्ली : दिल्ली से सटे फरीदाबाद में एक अजीबों-गरीब मामला सामने आया है। जहां कुछ महिलाएं एक साल में 4 बार प्रेग्नेंट हो गई। यह काम ईएसआई कॉरपोरेशन (ESI) के अधिकारियों के सहयोग से हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, एक निजी कंपनी में काम करने वाली कुछ महिलाओं ने एक साल में चार बार तो कुछ ने तो 8-10 बार तक मैटर्निटी लीव का लाभ लिया।

एक हजार से अधिक महिलाएं

सरकार के पूरे सिस्टम को ध्वस्त करके करोड़ों का चूना लगाया गया। यह मामला इतना गम्भीर है कि जांच सीबीआई को देनी पड़ी। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच-चंडीगढ़ की टीम ने इसे लेकर ईएसआई की सेक्टर-23 ब्रांच और सेक्टर-16 स्थित रीजनल ऑफिस के कागजात खंगाले हैं।

ये भी बताया जा रहा है कि ऐसी एक हजार से अधिक महिलाएं हैं जिनके नाम पर एक ही साल में कई-कई बार मैटर्निटी लीव सैलरी का फायदा दिया गया है। इसके साथ ही सूत्रों का यह भी कहना है कि असलियत में ऐसी कोई महिला थी ही नहीं। लाभ लेने वाली महिलाएं भी सिर्फ कागजों में गढ़ी गईं।

कागजों में वो महिलाएं किसी कंपनी में कार्यरत थीं। इसीलिए कागजों में ही उन्हें एक ही साल में कई बार प्रेगनेंट दिखाकर फरीदाबाद में ईएसआई कॉरपोरेशन से मैटर्निटी का लाभ ले लिया गया। इसमें मैनपॉवर सप्लाई करने वाले ठेकेदारों से लेकर ईएसआई के उच्चाधिकारी तक शामिल बताए जा रहे हैं।

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मैटर्निटी बेनिफिट

जानकारी के लिए बता दें कि निजी कंपनियों में कार्यरत उन महिलाओं का ईएसआई कारपोरेशन में कमाई का कुछ हिस्सा कटता है जो जिनकी सैलरी 21 हजार रुपये प्रतिमाह से अधिक नहीं है। कॉरपोरेशन में ऐसी महिलाओं को डिलीवरी के दौरान छह माह की मैटर्निटी लीव और पूरा वेतन देता है। इसे मैटर्निटी बेनिफिट कहते हैं।

गर्भपात के केस में 42 दिन की छुट्टी दी जाती है। इस छुट्टी का पैसा कॉरपोरेशन खुद महिला के बैंक खाते में भेजता है। इसी सुविधा का गलत लाभ उठाया गया। किसी महिला ने कागजों में खुद को साल में चार-चार बार तो किसी ने दस-दस बार प्रेगनेंट दिखाकर ईएसआई कारपोरेशन से पैसा लिया। सिस्टम इतना ज्यादा भ्रष्ट हो गया था कि ये सब करने पर किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई।

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फर्जी मेडिकल सर्टिफकेट

बता दें कि सूत्रों ने बताया कि ईएसआई कॉरपोरेशन की एक विजिलेंस रिपोर्ट में दो-तीन मामलों में गड़बड़ी दिखी थी। ऑनलाइन आए एप्लीकेशन के जब मूल कागजातों से मिलान किया गया तो वह अलग-अलग मिले। जिसमें महिला एक ही होती थी।

उसका बैंक अकाउंट एक ही होता था लेकिन वो अलग-अलग नाम से लाभ ले लेती थी। उसके कागजात फर्जी होते थे। कुछ ठेकेदारों ने फर्जी मेडिकल सर्टिफकेट बनवाया। उस पर डॉक्टर की मुहर लगवाई लोकल व रीजनल ऑफिस में मिलकर मैटर्निटी लीव का पैसा निकाल लिया।

स्पेशल ऑडिट टीम से जुड़े सूत्रों के अऩुसार, बहुत से लाभ कमाने वालों के बैंक खाते ऐसे पाए गए हैं जिनमें मैटर्निटी लीव के नाम पर एक साल में कई बार पैसा गया था। इस मामले में 10 अधिकारी और कर्मचारी सस्पेंड किए गए हैं।

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ईएसआई कारपोरेशन के अपर आयुक्त कारपोरेशन के गैर सरकारी सदस्य बेचू गिरी ने कहा, करोड़ों का घपला हुआ है। जब से जांच सीबीआई को गई है तब से अधिकारियों ने मुंह बंद कर लिया है। आगे गिरी का कहना है कि फैक्ट्रियों में ठेकेदारी पर काम करवाने वालों ने कागजों में ही औरतें गढ़ीं। फर्जी सर्टिफकेट से उन्हें प्रेग्नेंट दिखाया और अधिकारियों की मिलीभगत से उनके नाम पर सरकार के खाते से पैसा निकाल लिया।

Vidushi Mishra

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