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97 दिन बाद हुआ मां और बेटे का मिलन, साढ़े तीन साल का बच्चा ऐसे पहुंचा घर
तीन महीने से ज्यादा की अवधि के बाद घर लौटे साढ़े तीन साल के बच्चे को बाहों में भर लेने को मां बेकरार थी। 97 दिनों बाद अपने दो बच्चों को सामने देखकर मां की खुशी का ठिकाना नहीं था।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: तीन महीने से ज्यादा की अवधि के बाद घर लौटे साढ़े तीन साल के बच्चे को बाहों में भर लेने को मां बेकरार थी। 97 दिनों बाद अपने दो बच्चों को सामने देखकर मां की खुशी का ठिकाना नहीं था। भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट पर स्टाफ ने पैरेंट्स की आईडी चेक करने के बाद जब दोनों बच्चों को मां-बाप के हवाले किए तो साढ़े तीन साल का माधव अपनी मां से लिपट गया। मां भी बार-बार अपने बच्चे को चूम रही थी मानो कितनी मुद्दत बाद दोनों की मुलाकात हुई हो।
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बच्चों से मिलकर मां की आंखों में खुशी के आंसू
इंडिगो की दिल्ली से आने वाली फ्लाइट से जब 13 साल की दिव्यांशी और साढ़े साल का माधव शनिवार की दोपहर भोपाल एयरपोर्ट पर पहुंचे तो दोनों के मां-बाप उन्हें रिसीव करने के लिए वहां पर मौजूद थे। दोनों बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद जब वे अराइवल गेट पर पहुंचे तो मां-बाप की खुशी कई गुना बढ़ गई। दोनों बच्चे 97 दिन बाद अपने मां बाप से मिलकर काफी खुश थे। बच्चों को बाहों में भरते समय मां की आंखों में भी खुशी के आंसू आ गए।
मोदीनगर में फंसे हुए थे दोनों बच्चे
भोपाल की मिनाल कॉलोनी में रहने वाले मूलचंद शर्मा ने बताया कि उनके दोनों बच्चे 13 साल की बेटी दिव्यांशी और साढ़े तीन साल का बेटा माधव होली से पहले 8 मार्च को अपनी नानी के घर मोदीनगर गए थे। 23 मार्च को दोनों बच्चों को वापस लौटाना था मगर लॉकडाउन की वजह से दोनों बच्चे अपनी नानी के घर पर ही फंस गए। उन्होंने बताया कि नानी के घर पर किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन माधव के काफी छोटा होने की वजह से हमें हमेशा उसकी चिंता सताती रहती थी।
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बच्चों से रोज बात करते थे मां-बाप
पिता मूलचंद ने बताया कि हम दोनों रोजाना ऑडियो और वीडियो कॉल के जरिए अपने दोनों बच्चों से बात करते थे। 25 मई से घरेलू उड़ानों की शुरुआत हो गई थी मगर यूपी दिल्ली बॉर्डर सील होने की वजह से मोदीनगर से बच्चों का दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंचना संभव नहीं था। इसलिए बच्चों की वापसी के लिए हमें और इंतजार करना पड़ा। तीन-चार दिनों पहले बॉर्डर खुलने के बाद हमने बच्चों का टिकट बुक किया। पहले हम उन्हें लेने के लिए जाने वाले थे मगर कोई फ्लाइट न मिलने की वजह से ऐसा नहीं कर सके।
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फ्लाइट के स्टाफ ने पूरा ख्याल रखा
उन्होंने बताया बच्चों के मामा ने उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंचा दिया था और वहां से इंडिगो के स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बच्चों का पूरा ख्याल रखा। हवाई यात्रा के दौरान आरोग्य सेतु ऐप होना भी जरूरी है। बिटिया के मोबाइल पर आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड था। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर अपने दोनों बच्चों को इतने लंबे समय बाद देखकर हम मां बाप खुशी से पागल हो गए। बच्चे भी इतने दिनों बाद अपने मां-बाप से मिलकर काफी खुश हैं।
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