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एक ऐसा राजा जिसने कभी किसी को मृत्‍यु दंड नहीं दिया

महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल को 'स्‍वर्ण युग' या ' रामराज्‍य' के रूप में देखा जाए तो इसमें कोई अतिश्‍योक्ति नहीं होगी। 'शेर-ए-पंजाब' की उपाधि से विभुषित पंजाब के इस माहाराजा ने अपने 40 वर्षों के शासनकाल में किसी को मृत्‍यु दंड नहीं दिया।

Vidushi Mishra
Published on: 12 May 2020 10:21 AM GMT
एक ऐसा राजा जिसने कभी किसी को मृत्‍यु दंड नहीं दिया
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अमृतसर। महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल को 'स्‍वर्ण युग' या ' रामराज्‍य' के रूप में देखा जाए तो इसमें कोई अतिश्‍योक्ति नहीं होगी। 'शेर-ए-पंजाब' की उपाधि से विभुषित पंजाब के इस माहाराजा ने अपने 40 वर्षों के शासनकाल में किसी को मृत्‍यु दंड नहीं दिया। जबकि, उनके समकालीन शासक बात-बात में अपने विरोधियो को सजा-ए-मौत देते थे।

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जबकि, रणजीत सिंह ने हमेशाअपने विरोधियों के प्रति उदारता और दया का भाव रखा। इतिहास इस बात का गवाह है कि जिस किसी राजा या नवाब का राज्य जीत कर उन्होंने अपने राज्य में मिलाया उस राजा को कोई न कोई जागीर निश्चित तौर पर दे देते थे।

एक नजर से देखते भी को

एक व्यक्ति के रूप में महाराजा रणजीत सिंह अपनी उदारता और दयालुता के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। इसलिए उनके बारे में कहा जाता है कि वह सभी को एक नजर से देखते थे।

उनकी इस भावना के कारण उन्हें लाखबख्श कहा जाता था। कहा जाता है कि बचपन में चेचक की वजह से उनकी बाई आंख ख़राब हो गयी थी। और चेहरे पर चेचक के गहरे दाग पड़ गए थे, फिर भी उनका व्यक्तित्व आकर्षक था।

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फकीर ने गवर्नर जनरल को दिया टका सा जवाब

कहा जाता है कि एक बाद तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ज़नरल लार्ड विलियम बेटिंक ने एक फ़क़ीर अजिजमुद्दीन से पूछा की महाराजा की कौन सी आंख ख़राब है। इसपर अजिजमुद्दीन ने कहा – ' महाराजा के चेहरे पर इतना तेज है कि मैंने कभी सीधे उनके चेहरे की ओर देखा ही नहीं।

इसलिए मुझे यह नहीं मालूम की उनकी कौन सी आंख ख़राब है ”। जून 1039 में लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद उनका कोई उत्‍तराधिकारी ऐसा नहीं हुआ जो उनके विशास साम्रराज्‍य को संभाल सके। और ना ही उनमें इतना गुण था कि उनका उल्‍लेख किया जा सके।

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रिपोर्ट- दुर्गेश पार्थ सारथी

Vidushi Mishra

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