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दिल्ली हिंसा में Facebook का हाथ: गवाहों से मिले सबूत, राघव चड्ढा ने किया खुलासा

राघव चड्ढा ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘समिति ने सोमवार को फेसबुक के खिलाफ की गई शिकायतों के मसले पर बैठक बुलाई थी। बैठक में समिति के सामने तीन गवाह पेश हुए।

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Published on: 31 Aug 2020 1:59 PM GMT
दिल्ली हिंसा में Facebook का हाथ: गवाहों से मिले सबूत, राघव चड्ढा ने किया खुलासा
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दिल्ली हिंसा में Facebook का हाथ: गवाहों से मिले सबूत, राघव चड्ढा ने किया खुलासा

नई दिल्ली: दिल्ली के दंगों में फेसबुक (Facebook) का बड़ा हाथ था, यह कहना है दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति के चेयरमैन राघव चड्ढा का। उन्होंने कहा कि फेसबुक को दिल्ली दंगों की जांच में सह-अभियुक्त की तरह मानना चाहिए और उसकी जांच होनी चाहिए। चड्डा ने यह भी कहा कि 'स्वतंत्र जांच एजेंसी की निष्पक्ष जांच के बाद फेसबुक के खिलाफ कोर्ट में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की जानी चाहिए। अपना बचाव करने और अपना पक्ष रखने के लिए फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को कमेटी समन जारी करेगी।'

समिति की बैठक में तीन गवाहों ने अपना बयान दर्ज कराया

राघव चड्ढा ने बताया कि फेसबुक पर जिस प्रकार के मटेरियल का प्रचार किया गया कोशिश यह थी कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दंगा हो जाए, लेकिन सफल नहीं हुए। बता दें कि सोमवार को शांति एवं सद्भाव समिति के चेयरमैन राघव चड्ढा की अध्यक्षता में दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति की बैठक में तीन गवाहों ने उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया है।

गवाहों ने दिल्ली हिंसा से संबंधित कई नए सबूत दिए- राघव चड्ढा

राघव चड्ढा ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘समिति ने सोमवार को फेसबुक के खिलाफ की गई शिकायतों के मसले पर बैठक बुलाई थी। बैठक में समिति के सामने तीन गवाह पेश हुए, जिसमें, आवेश तिवारी, जो एक पत्रकार और एक बड़े अखबार के संपादक रहे हैं। दूसरे, कुणाल पुरोहित यह भी पत्रकार रहे हैं और व्हाट्सएप और फेसबुक से संबंधित कई सारे मसलों पर खूब अध्ययन किया है और जांच कर रिपोर्ट किया है।

Delhi Violence and facebook-2

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तीसरे, सुभाष गड़के यह भी एक पत्रकार हैं। इन्होंने फेसबुक का क्या अन्य देशों में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने में भूमिका रही है, उस पर खूब रिसर्च किया है और उनकी पॉलिसी इस कम्युनिटी स्टैंर्ड से भलीभांति परिचित है।

फेसबुक के खिलाफ कोर्ट में दिल्ली दंगों के मामले में दर्ज होनी चाहिए

दिल्ली दंगों का मसला अभी कोर्ट में चल रहा है। यह स्वतंत्र जांच एजेंसी निष्पक्ष जांच करने के बाद यदि यह पाती है कि फेसबुक के खिलाफ जो आरोप लगे हैं, उनमें वजन है, तो एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी फेसबुक के खिलाफ कोर्ट में दिल्ली दंगों के मामले में दर्ज होनी चाहिए।’

दो समुदायों के बीच भाई-चारा, अमन, शांति वाले कंटेंट को फेसबुक हटा देता है

चड्ढा ने कहा कि समिति के सामने एक बड़ी अहम चीज सबूत के तौर पर आई है कि जो कंटेंट दो समुदायों के बीच भाई-चारा, अमन, शांति आदि को बढ़ावा देता है। उस कंटेंट को फेसबुक हटा देता है और दूसरे प्रकार का कंटेंट, जो दो समुदायों और दो धर्मों के लोगों के बीच झगड़ा-फसाद और दंगा कराने में मददगार साबित होता है, उसे ज्यादा प्रचारित करता है।

Delhi Violence and facebook

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फेसबुक के लिए दूसरे देशों में कुछ और नियम हैं, और भारत में कुछ और

कमिटी के सामने यह भी प्रदर्शित किया गया कि कैसे अमेरिका में मई के महीने में एक जॉर्ज फ्लाइड नामक शख्स की हत्या हुई, इसके बाद पूरे अमेरिका में ब्लैक लाइट्स नाम से एक आंदोलन की शुरुआत हुई और वहां पर भी एफेडन अमेरिकन समुदाय में और कुछ दूसरे समुदाय के लोगों में झड़पें और विरोध हुआ।

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लेकिन उसमें उस समय फेसबुक ने अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड लागू करके अपने बॉयलॉज का पालन करते हुए आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए काम किया और और आपसी भाईचारे को चोट पहुंचाने वाला जो भी कंटेंट था, उसे अपने प्लेटफार्म पर दबाया या हटा दिया।

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