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भारत को तगड़ा झटका: रूस ने किया ये काम, लेकिन अमेरिका आया साथ
इस मामले में रूस से भारत को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, रूस की तरफ से पेश की गई योजना में भारत का नाम शामिल नहीं था। वहीं, बाइडेन प्रशासन के प्रस्ताव से साफ जाहिर है कि अमेरिका अफगानिस्तान में भारत की सक्रिय भूमिका चाहता है।
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में अब शांति प्रक्रिया की बातचीत में पांच अन्य देशों के साथ भारत भी शामिल होगा। पहले बातचीत में केवल रूस, ईरान, चीन और पाकिस्तान शामिल थे, लेकिन अब शांति प्रक्रिया का रोडमैप निर्धारित करने में भारत की भी अहम भूमिका रहने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबकि, इस शांति प्रक्रिया की वार्ता में इंडिया को शामिल करने का प्रस्ताव अमेरिका द्वारा रखा गया है।
रूस से भारत को तगड़ा झटका
जबकि इस मामले में रूस से भारत को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, रूस की तरफ से पेश की गई योजना में भारत का नाम शामिल नहीं था। वहीं, बाइडेन प्रशासन के प्रस्ताव से साफ जाहिर है कि अमेरिका अफगानिस्तान में भारत की सक्रिय भूमिका चाहता है।
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अमेरिका ने रखा था ये प्रस्ताव
अफगानिस्तान के अखबार टोलो न्यूज के मुताबिक, बीते हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और हाई काउंसिल फर नेशनल रिकगनिशन के चेयरमैन अब्दुल्ला को एक पत्र लिखा था, जिसमें एक रीजनल कॉन्फ्रेंस बुलाने का प्रस्ताव था। जिसमें अमेरिका, भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान द्वारा अफगानिस्तान को लेकर एकमत होकर फैसला किया जा सके।
(सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)
अफगान में बढ़ सकती है आतंकियों की सक्रियता
आपको बता दें कि अफगानिस्तान बीते कई दशकों से गृह युद्ध की आग में झुलसता रहा है। इसमें अमेरिका और रूस भी शामिल रहे। वहीं, भारत को ये चिंता सता रही है कि अफगान से अमेरिका के सैनिकों के लौटने के बाद वहां आतंकी संगठन की सक्रियता बढ़ सकती है और इससे क्षेत्र में अस्थिरता। दूसरी ओर, पाकिस्तान की तालिबान को बढ़ावा देने में अहम भूमिका है।
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अगर तालिबान अफगानिस्तान में हावी हो गया तो साफ तौर पर पाकिस्तान की पकड़ और मजबूत हो जाएगी। ऐसे में अफगानिस्तान में भारत के निवेश और सामरिक रणनीति पर बुरा असर पड़ेगा।
इसलिए रूस ने किया ऐसा
वहीं, सूत्रों का कहना है कि रूस ने चीन से बढ़ती नजदीकियों के बीच बातचीत में चीन, अमेरिका, पाकिस्तान और ईरान को शामिल करने की बात कही थी, लेकिन इससे भारत को बाहर रखा। बकौल अधिकारी पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए ये फैसला किया गया, क्योंकि वो ऐसा नहीं चाहता था कि भारत अफगानिस्तान और क्षेत्र से जुड़े किसी भी रोडमैप का हिस्सा बने।
विदेश मंत्री ले सकते हैं कॉन्फ्रेंस में हिस्सा
हालांकि भारत ने अपनी जगह बनाने के लिए अफगानिस्तान के अहम पक्षों और अन्य देशों से बातचीत की। इस बातचीत में शामिल हो भारत आतंकवाद, हिंसा, महिला अधिकार, और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ी अपनी शर्तों को रखने की स्थिति में आ जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इस कॉन्फ्रेंस में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर शामिल हो सकते हैं।
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