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भगवान राम की ससुराल पर नया खुलासा, अब इस गांव का नाम आया सामने

बेशक दूरदर्शन पर रामायण और उत्‍तर रामायण का प्रसारण बंद हो चुका है, लेकिन भगवान श्रीराम और उनसे जुड़े स्‍थलों की चर्चा सामान्‍य...

Ashiki
Published on: 11 May 2020 5:51 PM GMT
भगवान राम की ससुराल पर नया खुलासा, अब इस गांव का नाम आया सामने
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मोगा, पंजाब: बेशक दूरदर्शन पर रामायण और उत्‍तर रामायण का प्रसारण बंद हो चुका है, लेकिन भगवान श्रीराम और उनसे जुड़े स्‍थलों की चर्चा सामान्‍य जनमानस में अब भी हो रही है। खास तौर से प्रभु श्रीराम की ससुराल और माता सीता के मायके को लेकर।

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देश के सीमावर्ती राज्‍य पंजाब के मोगा जिले का एक छोटा-सा गांव इन दिनों खासी चर्चा है। ऐसा इसलिए कि लोग इसे वैदेही (सीता) का मायका और राजा जनक का पुश्‍तैनी गांव बताते हैं। गांव वालों का कहना है कि जनेर का प्राचीन नाम जनकपुर था । इस नाते यह भगवान श्रीराम की ससुराल और लवकुश का ननिहाल है। हालांकि रामायण और श्रीरामचरित मानस जनकपुर को कहीं और बताते हैं। इतिहासकार भी ग्रामीणों के इन दावों को तर्कसंगत नहीं मानते।

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गांव में मिली विष्‍णु की मूर्ति है मान्‍यता का आधार

जिला मुख्‍यालय मोगा से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित टीले पर बसे गांव जनेर के लोगों की मान्‍यताओं का आधार यहां से मिली भगवान विष्‍णु की मूर्ति, मिट्टी बर्तनों के टुकड़े, मनके, प्राचीन ईंटें और सिक्‍के हैं। ग्रामीणों के अनुसार जनवरी 1968 में गांव के ही गुरमेल सिंह के घर में खुदाई के दौरान काले पत्‍थरों की बनी चतुभुर्जी भगवान विष्‍णु की मूर्ति मिली थी। जबकि 1984-85 में एक स्‍थान पर खुदाई करते समय बड़े आकार के सिक्‍के और काले व लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े व अन्‍य सामान मिले थे, जिसे पुरातत्‍व विभाग अपने साथ ले गया था। वर्तमान में यह मूर्ति आज भी गांव के मंदिर में प्रतिष्‍ठापित है।

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जजनेर था जनेर का पुराना नाम

केंद्रीय विश्‍वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफेसर व इतिहासकार डॉक्‍टर सुभाष परिहार कहते हैं कि जनेर का पुराना नाम जजनेर था। जो अपभ्रंस हो कर जनेर हो गया। डॉ. परिहार के अनुसार, 11वीं सदी के आरंभ में तुर्क आक्रमणकारी अल्‍बरूनी ने अपनी पुस्‍तक 'अलहिंद' में तत्‍कालीन भारत के रास्‍ते और पड़ावों का जिक्र करते हुए लिखा है कि महमूद गजनवी का एक पड़ाव पंजाब के जजनेर में डाला गया था। यही जजनेर आज का जनेर है।

इसके अलावा प्रवासी साहित्‍यकार नछत्‍तर सिंह बराड़ ने भी अपनी पुस्‍तक 'थेह वाला पिंड' में जनेर के इतिहास का उल्‍लेख किया है।

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श्रीवाल्‍मीकि रामायण और श्रीरामचरित मानस में जनकपुर

आदि कवि महर्षि वाल्‍मीकि द्वारा रचित रामायण और गोस्‍वामी तुलसी दास द्वारा लिखित श्रीरामचरित मानस में नेपाल स्थित जनकपुर के वैदेही (सीता) का मायका और राजा जनकी की नगरी बताया गया है। यही नहीं महाराजा जनक की राजसभा के महा पंडित याज्ञवल्‍क्य का संबंध भी जनकपुर से बताया जाता है। इसी जनकपुर को मिथिला भी कहते हैं। भगवान श्रीवाल्‍मीकि जी रामायण के बालकांड में लिखते हैं-

'तत: परमसत्‍कारं सुमते: प्राप्‍य राघवौ उष्‍य तत्र निशामेकां जग्‍मतु मिथिलां तत: दृष्‍टवा मुनय: सर्वे जनकस्‍य पुरीं शुभाम् , साधु साध्विति शंसंतो मिथिलां समपूजयन्'

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शोध का विषय हो सकता है जनेर

डॉ. देवेंद्र हांडा कहते हैं कि आस्‍था को अनुसंधान और अनवेषण की जरूरत नहीं होती। आस्‍था तो आस्‍था है। इतना जरूर है कि इतिहास के छात्रों के लिए जनेर शोध का विषय हो सकता है।

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रिपोर्ट: दुर्गेश पार्थसारथी

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