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जरूर देखें ये! कैसे 12वीं फेल बना IAS ऑफिसर, चौंका दिया सभी को
अधिकतर आपने ये सुना होगा कि लोग बहुत पढ़ाई करके किसी न किसी अच्छे मुकाम पर पहुंच जाते हैं। उन्हें अपनी लाइफ में कुछ हासिल करना होता है तो वो न दिन देखते हैं न रात सिर्फ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहते हैं और उसे हासिल भी करते हैं।
नई दिल्ली: अधिकतर आपने ये सुना होगा कि लोग बहुत पढ़ाई करके किसी न किसी अच्छे मुकाम पर पहुंच जाते हैं। उन्हें अपनी लाइफ में कुछ हासिल करना होता है तो वो न दिन देखते हैं न रात सिर्फ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहते हैं और उसे हासिल भी करते हैं। लेकिन क्या कभी आपने ये सुना की 12वीं में फेल हुआ एक शख्स आज देश का IPS ऑफिसर बन गया हो।
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हम आपको बतातें हैं ऐसे ही एक इंसान के बारें में जिसने UPSAC यानी संघ लोक सेवा आयोग 2018 की परीक्षा में 261वीं रैंक हासिल की है। लगातार असफलताओं का सामना करते हुए सैयद रियाज अहमद ने एक वक्त पर हौसला खो दिया था। लेकिन, फिर भी सपना पूरा करने की ललक ने उनका हौसला बढ़ाया और वो IAS बनने की तैयारी में जुट गए। तो आज हम आपको बताते हैं उनकी कहानी जो हर किसी को प्रेरित करने वाली है।
रियाज अहमद ने एक इंटरव्यू में बताई ये बात
रियाज अहमद ने एक इंटरव्यू में बताया कि मेरे घर में मेरे माता-पिता बहुत ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। मेरे पापा जहां तीसरी कक्षा पास हैं, वहीं मां ने सातवीं तक पढ़ाई की है। वो बताते हैं कि मैं 12वीं में एक विषय से फेल हो गया था। तब मुझे बहुत बुरा लगा, दोबारा तैयारी करके औसत नंबर लाया। लेकिन इसके बाद मेहनत करना नहीं छोड़ा और आगे की कक्षाओं में हमेशा अव्वल रहा। मूलत: नागपुर के रहने वाले रियाज कॉलेज में स्टूडेंट पॉलिटिक्स में आ गए थे। वो कहते हैं कि 2013 में स्टूडेंट लीडर था, घरवालों का सपोर्ट नहीं था कि लीडरशिप ज्वाइन करूं। तब मैंने सोचा कि इस लीडरशिप को एजुकेशन में कैसे ढाल सकता हूं। तब मेरे जेहन में सिविल सर्वेंट सबसे अच्छा विकल्प समझ आया।
उन्होंने साल 2013 में पूना जाकर तैयारी शुरू की। वो कहते हैं कि मुझे कुछ पता नहीं था, न टेस्ट सीरीज के बारे में पता था, न तैयारी के अलग अलग तरीकों के बारे में ज्ञान था। फिर साल 2014 में पहला अटेंप्ट किया और प्रीलिम्स से ही फेल हो गया। तब सोचा कि कोई बात नहीं, और साल 2015 में जामिया की IAS एकेडमी में एडमिशन लिया। फिर 2015 में प्रीलिम्स दिया। उस साल की परीक्षा में 93 सवाल किए, नेगेटिव के कारण एक मार्क से प्रीलिम्स क्वालीफाई नहीं हुआ तो लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया। दोस्तों ने कहा कि तैयारी ठीक नहीं है। तब मैंने समझा कि गलत स्ट्रेटजी के कारण ऐसा हुआ।
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बनाई खुद की 123 स्ट्रेटजी
उन्होंने तब प्रीलिम्स की खुद की स्ट्रेटजी बनाई और उसे 123 स्ट्रेटजी नाम दिया। वो बताते हैं कि 1 यानी जिन सवालों को लेकर मैं कान्फीडेंट हूं, उन्हे पहले करना था। फिर 2 में वे सवाल जिनमें मैं कन्फ्यूज्ड हूं उसे पहली बार में छोड़ देता था। फिर 3 जो बिल्कुल नहीं आते थे, उन्हें पूरी तरह छोड़ देता था। 1 करने के बाद 2 कैटेगरी पर आकर हल करता था।
अपनी स्ट्रेटजी से निकाला प्री-मेन्स
उन्होंने बताया कि 2016 में इस स्ट्रेटजी से प्री-मेन्स क्वालीफाई किया, लेकिन इंटरव्यू में फेल हो गया। तीसरे अटेंप्ट में फेल होने से मैं थोड़ा नर्वस हो गया था। इसके बाद घरवालों ने मोरल सपोर्ट किया। उनके पिता पापा रिटायर हो गए तो रियाज को लगता था कि अब उन्हें अपना फाइनेंशियली सपोर्ट खुद ही तलाशना चाहिए। पिता को परेशान न करके वो खुद ही जॉब करना चाहते थे।
पिता ने कही ये बात
रियाज कहते हैं कि मेरे पिता ने कभी प्रॉपर्टी नहीं बनाई, वो कहते थे कि मेरे बच्चे ही मेरी प्रॉपर्टी हैं, उनकी तालीम में ही पैसा लगाऊंगा। वो सरकारी नौकरी करते थे। उन्होंने तीसरे अटेंप्ट में फेल होने के बाद कहा कि तुम तैयारी न छोड़ो। हम चाहे घर गिरवी रख दें या बेच दें, लेकिन तू तैयारी कर।
चौथी असफलता से टूटा हौसला
रियाज कहते हैं कि 2017 में मैंने फिर से परीक्षा दी। उस बार प्री में हो गया लेकिन मेन्स में इंटरव्यू कॉल नहीं आया। चौथी बार फेल होने पर लगा कि सबकुछ छेाड़ देते हैं। पापा से कहा कि तैयारी छोड़ दूंगा और घर आकर बिजनेस शुरू करूंगा। इस पर पिता ने फिर समझाया कि छोड़ना है तो छोड़ दो लेकिन सपना सपना ही रह जाएगा। फिर घर जाकर सोचा कि अगर अब छोड़ दिया तो पूरी तैयारी ऐसे ही चली जाएगी। और फिर से परीक्षा दी। इस साल भी चौथे अटेंप्ट में मेन्स क्लीयर हुआ लेकिन इंटरव्यू में नहीं आया।
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अब दी दूसरी परीक्षा
उन्होंने बताया कि उस साल नौकरी तलाशने का विचार आ चुका था और मैंने स्टेट सर्विसेज की परीक्षा दी। ये परीक्षा बहुत अच्छे नंबर से पास की और रेंज फारेस्ट ऑफिसर बन गया। वहां से मुझे फाइनेंशियल स्टेबिलिटी का टेंशन खत्म हो गया। साथ ही आत्मविश्वास काफी बढ़ गया था। फिर 2018 में जब तैयारी की तो इस बार तीसरे चौथे अटेंप्ट से भी कम तैयारी की थी। लेकिन मेन्स की बाधा पार हो चुकी थी, इस बार मेरे कट ऑफ से 90 नंबर ज्यादा थे। अब बचा था सिर्फ इंटरव्यू।
टूटी उम्मीद तो ऐसे बंधा हौसला
पांचवें अटेंप्ट में मुझे उम्मीद थी कि इंटरव्यू अच्छा होगा, मॉक इंटरव्यू में अच्छे नंबर मिल रहे थे। लेकिन, वहां काफी फैक्चुअल सवाल पूछे गए। जब इंटरव्यू से बाहर आया तो पिता से कहा कि इंटरव्यू काफी खराब था। पापा साथ ही थे, उन्होंने हौसला बढ़ाते हुए कहा कि मुझे लग रहा है कि तू IAS बन गया।
रिजल्ट ने चौंका दिया, रुंध गया गला
पांच अप्रैल 2019 को जब रिजल्ट आया तो उनकी 261वीं रैंक थी। रियाज बताते हैं कि पापा को कॉल किया तो गला रुंध गया मैं कुछ बोल नहीं पाया। मेरी आंखों के सामने पांच साल का पूरा सफर नाचने लगा। मैं यकीन नहीं कर पा रहा था कि पापा जिस रिजल्ट का वेट कर रहे थे, वो आ गया है। मैंने पिता से यही कहा कि आपका इंतजार खत्म, मैं अब सेलेक्ट हो गया हूं।
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तैयारी कर रहे हैं तो रखे ये सोच
उन्होंने कहा कि तैयारी के दौरान हमेशा ऐसा होता है कि हमारा हौसला जवाब देने लगता है। कई लोग UPSC की प्रोसेस अच्छे से समझ नहीं पाते, वहीं घरवाले भी पीछे पड़े रहते हैं कि उम्र हो गई है, अब सेटल हो, शादी कर लो। वो कहते हैं कि आप कभी ये मत सोचो कि पांच लाख लोग कंपटीशन में है, बस ये सोचो कि 1000 में से एक पोस्ट मुझे चाहिए। इस तरह सोचकर अगर आप तैयारी करोगे तो आपको कोई हरा नहीं सकता।