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ओवैसी ने RSS पर कसा तंज: मोहन भागवत के बयान को बनाया मुद्दा, दी कड़ी प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन(AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने संघ(RSS) प्रमुख मोहन भागवत पर जोरदार तंज कसते हुए हमला बोला है।
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन(AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने संघ(RSS) प्रमुख मोहन भागवत पर जोरदार तंज कसते हुए हमला बोला है। असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के उस समय दिये गए बयान पर आपत्ति जाहिर की है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत का मुसलमान दुनिया में सबसे संतुष्ट है।
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कहीं नहीं, केवल भारत में ही ऐसा है
एआईएमआईएम(AIMIM) चीफ ओवैसी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मोहन भागवत के बयान पर उन्होंने कहा है कि मोहन भागवत यह न बताएं कि हम कितने खुश हैं, जबकि उनकी विचारधारा मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनानी चाहती है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की एक पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में आरएसएस(RSS) मोहन भागवत ने कहा था कि सबसे ज्यादा भारत के ही मुस्लिम संतुष्ट हैं। इस पर उन्होंने कहा था कि क्या दुनिया में एक भी उदाहरण ऐसा है जहां किसी देश की जनता पर शासन करने वाला कोई विदेशी धर्म अब भी वजूद में हो। अपने ही सवाल का जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि कहीं नहीं, केवल भारत में ही ऐसा है।
मोहन के इस बयान पर ओवैसी ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है। ओवैसी ने ट्वीट किया है, "खुशी का पैमाना क्या है? यही कि भागवत नाम का एक आदमी हमेशा हमें बताता रहा कि हमें बहुसंख्यकों के प्रति कितना आभारी होना चाहिए? हमारी खुशी का पैमाना यह है कि क्या संविधान के तहत हमारी मर्यादा का सम्मान किया जाता है या नहीं, अब हमें ये नहीं बताइए कि हम कितने खुश हैं, जबकि आपकी विचारधारा चाहती है कि मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाया जाए।"
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प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा
संघ(RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने अपने बयान में ये भी कहा था कि ऐसी कोई शर्त नहीं है कि भारत में रहने के लिए किसी को हिन्दुओं की श्रेष्ठता को स्वीकार करना ही होगा, और संविधान भी ऐसा नहीं कहता है।
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा, "मैं आपको ऐसा कहते हुए सुनना नहीं चाहता हूं कि हमें अपने ही होमलैंड में रहने के लिए बहुसंख्यकों के प्रति कृतज्ञता जतानी चाहिए। हमें बहुसंख्यकों की सह्रदयता नहीं चाहिए, हम दुनिया के मुसलमानों के साथ खुश रहने की प्रतिस्पर्द्धा में नहीं हैं, हम सिर्फ अपना मौलिक अधिकार चाहते हैं।"
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