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तमिलनाडु के इस शख्स ने बनाया था अनुच्छेद 360 का ड्राफ्ट, जानें पूरा मामला

आय्यंगर को सन 47 तक सात उपाधियां प्रदान की गईं थीं जिनमें दीवान बहादुर की भी उपाधि शामिल थी। ये ब्रिटिश वायसराय द्वारा दी जाने वाली सर्वोच्च उपाधि थी। उन्हें आर्र्डर आफ इंडियन अम्पायर, आर्डर आफ स्टार आफ इंडिया की भी उपाधि मिली थी।

Manali Rastogi
Published on: 6 Aug 2019 8:20 AM GMT
तमिलनाडु के इस शख्स ने बनाया था अनुच्छेद 360 का ड्राफ्ट, जानें पूरा मामला
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तमिलनाडु के इस शख्स ने बनाया था अनुच्छेद 360 का ड्राफ्ट, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले अनुच्छेद 360 को समाप्त करने पर बहुत तर्क-वितर्क चल रहे हैं। बार-बार अनुच्छेद 360 के साथ जवाहरलाल नेहरू का नाम जोड़ा जा रहा है। इस अनुच्छेद को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक भूल करार दिया गया है।

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इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि इस विवादास्पद अनुच्छेद को ड्राफ्ट करने वाले शख्स का नाम सर नरसिम्हा आय्यंगर गोपालास्वामी आय्यंगर था जो नेहरू के बहुत करीबी थे।

आय्यंगर का जन्म उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी (आज का तमिलनाडु) के तंजौर जिले में हुआ था। उन्होने 1905 में मद्रास सिविल सर्विस ज्वाइन किया और 1919 तक डिप्टी कलेक्टर के तौर पर काम किया।

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वे कई अन्य सरकारी विभागों में अलग अलग पदों पर रहे और उसके बाद राजनीतिक भूमिका में ज्यादा आ गए। 1937 में आय्यंगर को जम्मू कश्मीर का प्राइम मिनिस्टर नियुक्त किया गया और वे 1963 तक इस पद पर रहे। वर्ष 1963 से 1947 तक वे स्टेट काउंसिल रहे।

1947-48 के दौरान वे नेहरू कैबिनेट में मिनिस्टर विदआउट पोर्टफोलियो रहे। 1949 से 1952 तक वे रेलवे व ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहे जिसके बाद 1952-53 में आय्यंगर डिफेंस मिनिस्टर रहे।

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भारतीय संविधान के लिए 29 अगस्त 1947 को बनाई गई सात सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी के एक सदस्य आय्यंगर भी थे। उन्होंने बाद में अनुच्छेद 360 की ड्राफ्टिंग की।

जम्मू कश्मीर को मिला था स्पेशल स्टेटस

इसी अनुच्छेद के तहत जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेटस दिया गया था। बतौर मिनिस्टर विदआउट पोर्टफोलियो आय्यंगर के पास कश्मीर मामलों का चार्ज था और बाद में कश्मीर विवाद पर संयुक्त राष्ट्र जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल का उन्होंने ही नेतृत्व किया था।

आय्यंगर को सन 47 तक सात उपाधियां प्रदान की गईं थीं जिनमें दीवान बहादुर की भी उपाधि शामिल थी। ये ब्रिटिश वायसराय द्वारा दी जाने वाली सर्वोच्च उपाधि थी। उन्हें आर्र्डर आफ इंडियन अम्पायर, आर्डर आफ स्टार आफ इंडिया की भी उपाधि मिली थी। 1953 में 71 वर्ष की आयु में आय्यंगर का मद्रास में निधन हुआ।

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