TRENDING TAGS :
अमित शाह ने PoK को लेकर दिया बड़ा बयान, बोले- इसके लिए तो दे देंगे जान
पाकिस्तान की हार के बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में यह प्रावधान था कि कश्मीर के रक्षा, विदेश और संचार मामले भारत के अधीन रहेंगे जबकि अन्य विषयों पर जम्मू-कश्मीर राज्य अपना अधिकार रखेगा।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रस्ताव राज्यसभा से पारित होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को यह प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया। इस पर विपक्ष के हंगामे के बीच कांग्रेस नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर मामला संयुक्त राष्ट्र में लंबित है, इसलिए यह अंदरूनी मसला कैसे हो सकता है। इस पर शाह ने चुनौती देते हुए कहा कि हम पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को भी अपना मानते हैं। इसके लिए जान दे देंगे।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही चौधरी ने कहा कि आप कश्मीर के अंदरूनी मसला बताते हैं, लेकिन 1948 से यूएन इस मामले को देख रहा है। फिर इसे कैसे इसे अंदरूनी मामला कहा जा सकता है? हमने शिमला और लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए, ये अंदरूनी मामले हैं या फिर द्विपक्षीय?
यह भी पढ़ें: Article 370 मुश्किलें पैदा कर सकता है, इन्हें पहले से पता था
विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से कुछ दिनों पहले कहा था कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है, आप इसमें दखल नहीं दे सकते हैं। ऐसे में क्या जम्मू-कश्मीर अंदरूनी मसला रह जाता है?
शाह ने कांग्रेस को दिया करारा जवाब
कांग्रेस नेता के सवालों के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू-और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इस पर कोई कानूनी विवाद नहीं है। जब भारत और जम्मू-कश्मीर का संविधान बना था, तब भी स्वीकार किया गया था कि वह भारत का ही अभिन्न अंग है।
यह भी पढ़ें: लोकसभा में गृह मंत्री का बड़ा बयान, कहा- कश्मीर के लिए जान भी दे देंगे
देश को पूरा अधिकार है कि वह जम्मू-कश्मीर को लेकर कानून बना सके। जब मैं जम्मू और कश्मीर बोलता हूं तो PoK भी इसके अंदर आता है। हम इसके लिए जान दे देंगे। उन्होंने कहा कि हम आक्रामक क्यों न हों? क्या आप PoK को भारत का हिस्सा नहीं मानते? हमारे संविधान ने जम्मू-कश्मीर की जो सीमाएं तय की हैं, उसमें PoK भी आता है।
अगला एजेंडा PoK का होना चाहिए: स्वामी
इस बीच राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अब अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस भारत में शामिल करने का होना चाहिए। उन्होंने सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि अब इस मुद्दे में ऐसा कुछ नहीं रह गया है, जिसके लिए डोनाल्ड ट्रंप को मध्यस्थता करनी पड़े। अब उन्हें पाक पीएम इमरान खान से कहना चाहिए कि अवैध रूप से कब्जाई गई भारतीय जमीन लौटा दें।
यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर का सच: मुस्लिम राज्य में हिंदू शासक की ऐसी थी कहानी
उन्होंने कि पाकिस्तान के कब्जे में जो जमीन है उसे वापस पाना हमारा अगला एजेंडा है। मुझे उम्मीद है कि जिस निश्चितता के साथ प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने अनुच्छेद 370 पर फैसला लिया है, ठीक वैसे ही वे अगला फैसला भी लेंगे। स्वामी ने कहा कि नरसिम्हा राव सरकार के समय भी संसद ने पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन तब यह हो नहीं पाया।
PoK का क्या होगा: अखिलेश यादव
उधर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर कहा कि देश आपसी विमर्श से ही चलेगा। उन्होंने कहा कि सवाल कश्मीर का ही नहीं है, अगला सवाल यह है कि पाक अधिकृत कश्मीर का क्या होगा।
यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर से अलग हुआ करगिल, बनेगा लद्दाख का हिस्सा
अखिलेश ने कहा कि किसी को दबाना नहीं चाहिए। सभी हमारे ही लोग हैं। हमें सबसे बात करनी चाहिए। सवाल कश्मीर का ही नहीं है, अगला सवाल यह है कि पाक अधिकृत कश्मीर के बारे में हम क्या नीति अपनाने जा रहे हैं।
PoK का इतिहास
ऐसे में PoK का इतिहास जानना जरूरी है। दरअसल, 1947 में आजादी के समय अंग्रेजों ने यहां की रियासतों को अपनी इच्छानुसार भारत अथवा पाकिस्तान के साथ जाने का विकल्प दिया था।
यह भी पढ़ें: आर्टिकल 370 हटने के बाद कुछ ऐसा होगा नया जम्मू-कश्मीर
इस विकल्प के बाद उस समय 500 से ज्यादा रियासतों ने भारत में अपना विलय कर दिया। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने विलय के लिए पाकिस्तान की जगह भारत को चुना।
हरि सिंह ने मांगी थी भारत से सैन्य मदद
हरि सिंह का यह कदम पाकिस्तान को रास नहीं आया। पाकिस्तान ने कश्मीर को अपने कब्जे में करने के लिए हमला बोल दिया। पाकिस्तानी फौज से सुरक्षा के लिए महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य मदद मांगी। इसके बाद भारतीय फौज कश्मीर पहुंची और पाकिस्तानी पश्तून लड़ाकों को वहां से मार भगाया।
यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर: आर्टिकल 370 पर अभी बाकी है ‘सूप्रीम’ न्याय
पाकिस्तान की हार के बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में यह प्रावधान था कि कश्मीर के रक्षा, विदेश और संचार मामले भारत के अधीन रहेंगे जबकि अन्य विषयों पर जम्मू-कश्मीर राज्य अपना अधिकार रखेगा।
पाक ने किया बड़े हिस्से पर कब्जा
साल 1947 में ही पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने इस हिस्से को दो भागों आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में विभाजित किया। आजाद कश्मीर 13,300 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है और इसकी आबादी करीब 45 लाख बताई जाती है।
यह भी पढ़ें:क्या इंदिरा ने बैन करा दिया था कश्मीर पर गाया रफी का ये गीत?
पाकिस्तान अपने कब्जे वाले हिस्से को आजाद कश्मीर कहता है,लेकिन वास्तविकता यह है कि यहां उसका ही नियंत्रण है। PoK की सीमाएं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, अफगानिस्तान के वखान कॉरीडोर,चीन के शिनजियांग क्षेत्र और भारतीय कश्मीर के पूर्वी क्षेत्र से मिलती हैं। आजाद कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद है और इसमें आठ जिले और 19 तहसीलें हैं।
पाक सेना करती है ज्यादती
PoK के लोग मुख्य रूप से मक्का और गेहूं की खेती करते हैं। यहां मुख्य रूप से पश्तो, उर्दू, कश्मीरी और पंजाबी बोली जाती है। इस क्षेत्र में स्कूलों एवं कॉलेजों की कमी है, लेकिन यहां की साक्षरता दर 72 प्रतिशत है। PoK का अपना सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट है।
यह भी पढ़ें: अनुच्छेद 370 हटने से बौखलाए मणिशंकर अय्यर, कहा- अब ये होगा
PoK के लोग पाकिस्तानी सेना की ज्यादती का शिकार हैं और समय-समय पर वे पाकिस्तान के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं। वे पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आजादी के लिए आंदोलन करते आए हैं, लेकिन पाक सेना जोर जबर्दस्ती से उनकी आवाज दबाती आई है। पाकिस्तानी सेना के जुल्म के कई वीडियो सामने आ चुके हैं। यह बात दूसरी है कि पाकिस्तान हमेशा PoK के लोगों पर जुल्म करने का खंडन करता रहा है।