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धरती पर खतरा: कुछ घंटे में बगल से गुजरेगा उल्कापिंड, वैज्ञानिक भी डरे

सालों बाद पहली बार एक एस्टेरॉयड (Asteroid) धरती के बहुत करीब से गुजरने वाला है। इस उल्कापिंड की धरती से नजदीकी को देखकर दुनियाभर के वैज्ञानिक डरे हुए हैं।

Shreya
Published on: 24 Sept 2020 2:17 PM IST
धरती पर खतरा: कुछ घंटे में बगल से गुजरेगा उल्कापिंड, वैज्ञानिक भी डरे
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धरती पर खतरा: कुछ घंटे में बगल से गुजरेगा उल्कापिंड, वैज्ञानिक भी डरे

नई दिल्ली: अंतरिक्ष में तमाम उल्कापिंड टूट-टूट कर घूमते फिरते रहते हैं। लेकिन खतरा तब बढ़ जाता है, जब ये पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरते हैं। इन हरकतों से भूकंप और तूफान जैसे खतरों की संभावनाएं रहती है। इस बीच कहा जा रहा है कि सालों बाद पहली बार एक एस्टेरॉयड (Asteroid) धरती के बहुत करीब से गुजरने वाला है। इस उल्कापिंड की धरती से नजदीकी को देखकर दुनियाभर के वैज्ञानिक डरे हुए हैं। यह Asteroid बस के आकार का है।

धरती से मात्र 28,254 किमी की दूरी से गुजरेगा Asteroid

वैज्ञानिकों के मुताबिक, उल्कापिंड 24 सितंबर को अगले कुछ घंटों में धरती के बगल से गुजरेगा। इस इस एस्टेरॉयड का नाम 2020 SW है। यह एस्टेरॉयड धरती से मात्र 28,254 किलोमीटर की दूरी से निकलेगा। बता दें कि धरती के इतने पास तो चांद भी नहीं है। चांद की धरती से दूरी करीब 3.84 लाख किमी है। सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑबजेक्ट्स (CNEOS) के वैज्ञानिक ने अनुमान जताया है कि यह 14 से लेकर 32 फीट तक हो सकता है।

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Asteroid 2020 SW 27,900 किमी प्रति घंटा की गति से गुजरेगा उल्कापिंड (फोटो- सोशल मीडिया)

27,900 किमी प्रति घंटा की गति से गुजरेगा उल्कापिंड

इस उल्कापिंड को पिछले हफ्ते 18 सितंबर को एरिजोना स्थित माउंट लेमॉन ऑब्जरवेटरी ने खोजा था। बताया जा रहा है कि जब यह धरती के बगल से गुजरेगा तो इसकी स्पीड 27,900 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह आज शाम चार बजकर 48 मिनट पर धरती के बगल से गुजरने वाला है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह धरती की तरह ही सूरज के चारों ओर चक्कर लगाता है। हालांकि धरती 365 दिन में सूरज का एक चक्कर लगाती है, जबकि यह एस्टेरॉयड केवल सात दिन ज्यादा लेता है। यह 372 दिन में सूरज का एक चक्कर पूरा करता है।

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वैज्ञानिकों को सता रही इस बात की चिंता

वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब एस्टेरॉयड धरती के सबसे पास से निकलेगा, तब वह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के ऊपर होगा। वैज्ञानिकों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं यह धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की चपेट में आ गया तो यह भारी नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं अगर यह समुद्र में गिर गया तो तेज सुनामी भी ला सकता है। इसके अलावा अगर किसी जमीनी इलाके पर गिरा तो बड़ा गड्ढा कर देगा या बहुत बड़े इलाके को भी जला सकता है।

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