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देश में गहराया बर्ड फ्लू का संकट, केंद्र सरकार ने राज्यों से मांगी रिपोर्ट
राज्य सरकारें स्थिति से निपटने के लिए सक्रियता से कदम उठा रही हैं। कुछ राज्य में तो Bird flu को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, जबकि राजस्थान में तो धारा 144 लागू कर दी गई है।
नई दिल्ली: पूरी दुनिया अब तक कोरोना वायरस महामारी से उभर भी नहीं पाई है कि इस बीच देश में बर्ड फ्लू (Bird flu) का खतरा फैल गया है। देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और केरल जैसे राज्यों को बर्ड फ्लू ने अपनी चपेट में ले लिया है। इन राज्यों में सिर्फ कुछ दिनों में हजारों पक्षियों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी के चलते प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है।
पर्यावरण मंत्रालय ने लिखी ये चिट्ठी
राज्य सरकारें स्थिति से निपटने के लिए सक्रियता से कदम उठा रही हैं। कुछ राज्य में तो Bird flu को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, जबकि राजस्थान में तो धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं हिमाचल में मछली, मुर्गे व अंडों की बिक्री पर रोक लगा दी गई हैं। बर्ड फ्लू के गहराते संकट के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (MoEF & CC) ने मंगलवार को सभी राज्य मुख्य सचिवों और मुख्य वन्यजीव वार्डनों को एक चिट्ठी लिखी है और उनसे एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन करने की बात कही है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
मौंते और कारण की जानकारी मंत्रालय से करें साझा
साथ ही राज्य सरकारों को पशुपालन विभाग की ओर से सैंपलिंग टेक्नीक पर आयोजित ट्रेनिंग में हिस्सा लेने के लिए कर्मचारियों/अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा पर्यावरण मंत्रालय को प्रवासी पक्षियों की मौतें, उनकी संख्या और कारण बताने की भी बात कही गई है। मंत्रालय ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि भेजे गए सैंपल और टेस्टिंग रिपोर्ट्स के कलेक्शन, डिस्पैच के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए।
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निगरानी करने के लिए एक एक्शन प्लान
सभी राज्यों को कहा गया है कि वो प्रवासी पक्षियों की निगरानी करने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करे। मंत्रालय ने कहा है कि राज्य प्रवासी पक्षियों के सैंपल के कलेक्शन में राज्य पशु चिकित्सा विभागों के साथ सहयोग करेंगे। चिट्ठी में कहा गया है कि केंद्रशासित प्रदेश और राज्य इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए हर जरूरी कदम उठाए और कोई भी संकेत के मिलने पर पक्षियों की निगरानी करें। चिड़ियों की निगरानी के वक्त सिर का झुकाव, पैरालिसिस, कंपकंपी, दस्त जैसे लक्षणों को देखना है।
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