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बहुरुपिया कोरोना: वायरस से रहें सावधान, नहीं तो पड़ सकते हैं मुसीबत में

कोरोना वायरस किसी भी अन्य वायरस की तरह तेजी से खुद को बदलने में सक्षम है। इस बदलाव के दौरान ये कभी पहले से ज्यादा शक्तिशाली तो कभी पहले से कमजोर हो जाता है। लगातार होते इस बदलाव को म्‍यूटेशन कहते हैं और इसी के आधार पर जब कोई वायरस तेजी से फैलने लगता है।

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Published on: 24 Dec 2020 7:42 PM IST
बहुरुपिया कोरोना: वायरस से रहें सावधान, नहीं तो पड़ सकते हैं मुसीबत में
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बहुरुपिया कोरोना: वायरस से रहें सावधान, नहीं तो पड़ सकते हैं मुसीबत में

नीलमणि लाल

लखनऊ। कोरोना वायरस की नई किस्म का पता चलने के बाद दुनिया भर में दहशत पैदा हो गयी है। ब्रिटेन समेत कई देशों ने क्रिसमस के मौके पर सख्त लॉकडाउन लगा दिया है जबकि कई देशों ने ब्रिटेन से फ्लाइट्स पर रोक लगा दी है। भारत में ब्रिटेन से आये यात्रियों की ट्रैकिंग शुरू कर दी है और भारत में आगमन पर एयरपोर्ट्स में ही कोरोना टेस्ट करना अनिवार्य कर दिया है। कोरोना का नया स्ट्रेन आने से कई सवाल उठने लगे हैं – ये स्ट्रेन पहले वाले से किस तरह अलग है, जो वैक्सीन बन गयी है क्या वो इस नए स्ट्रेन पर असरदार होगी और अब बचाव के लिए क्या एहतियात बरतने होंगे।

ये बदलाव पहला नहीं

कोरोना वायरस किसी भी अन्य वायरस की तरह तेजी से खुद को बदलने में सक्षम है। इस बदलाव के दौरान ये कभी पहले से ज्यादा शक्तिशाली तो कभी पहले से कमजोर हो जाता है। लगातार होते इस बदलाव को म्‍यूटेशन कहते हैं और इसी के आधार पर जब कोई वायरस तेजी से फैलने लगता है तो उसे वायरस का नया वर्जन या स्‍ट्रेन कहते हैं।

किसी भी वायरस की तरह कोरोना वायरस में भी लगातार बदलाव हो रहे हैं। कोरोना वायरस का ये कोई पहला म्यूटेशन नहीं है। इस वायरस के म्यूटेशन की रफ़्तार धीमी ही रही है।

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नए स्ट्रेन को छोड़ दें तो अभी तक कोरोना वायरस के कम से कम आठ स्ट्रेन मिल चुके हैं। पहले वाले सभी स्ट्रेन में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आये थे लेकिन नए स्ट्रेन में 17 बदलाव दिखाई पड़े हैं जो बड़ी और परेशान करने वाली बात है। दुनियाभर के वैज्ञानिक अब तक कोरोना वायरस के 8 से ज्यादा स्‍ट्रेन का पता लगा चुके हैं और दावा है कि कोरोना वायरस हर 15 दिन में खुद को बदलने की क्षमता रखता है।

नए स्ट्रेन में कम से कम 17 महत्वपूर्ण बदलाव हैं

वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन में कम से कम 17 महत्वपूर्ण बदलाव हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव ‘स्पाइक प्रोटीन’ में आया है। ये वो प्रोटीन होता है जिसका इस्तेमाल वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं में घुसने के लिए करता है।

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कोरोना वायरस दरअसल वायरस का एक ग्रुप है जिसके कई उप ग्रुप का अपता चल चुका है। वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को मुख्यतः चार उप ग्रुपों में बांटा है - अल्फ़ा, बीटा, गामा और डेल्टा। इनके सात वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं -

229 ई (अल्फा), एनएल 63 (अल्फा), ओसी43 (बीटा), एचकेयू1 (बीटा), मर्स कोव (ये बीता वायरस है जिससे मर्स बीमारी फ़ैली थी), सार्स कोव (ये भी बीता वायरस है जिससे सार्स बीमारी फ़ैली थी) और अब है सार्स कोव-2 जिससे कोविड-19 बीमारी होती है।

70 फीसदी संक्रामक है नया स्ट्रेन

ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस की नई किस्म पहले वाली किस्म के मुकाबले 70 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है। कोरोना का पहले वाला स्ट्रेन 50 फीसदी संक्रामक है। सर्दियों के मौसम में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। दूसरी ओर कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस पर काबू पाया जा सकता है।

संगठन के स्वास्थ्य आपात काल प्रमुख माइक रायन ने जिनेवा में कहा कि स्थिति काबू से बाहर नहीं है लेकिन इसे अपने पर छोड़ा भी नहीं जा सकता है। उन्होंने सभी देशों को उन सभी कदमों को उठाने को कहा जिनकी सफलता साबित हो चुकी है।

नए स्ट्रेन से और ज्यादा गंभीर या और ज्यादा घातक बीमारियां

बताया गया कि नए स्ट्रेन से जिन्हें संक्रमण हो जाता है वो औसतन 1.5 और लोगों को संक्रमित करते हैं जबकि ब्रिटेन में पहले से मौजूद स्ट्रेनों की रिप्रोडक्शन दर 1.1 है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य कोविड-19 वैज्ञानिक मारिया वान करखोव का कहना है कि अभी तक इस बात का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है कि नए स्ट्रेन से और ज्यादा गंभीर या और ज्यादा घातक बीमारियां होती हैं।

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कई देशों ने लगाया लॉकडाउन

ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, नीदरलैंड, वेल्स, चेक रिपब्लिक ने कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते फिर से देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया है। क्रिसमस के मौके पर लगाया गया ये लॉकडाउन अभूतपूर्व है। ये लॉकडाउन जनवरी के दूसरे हफ्ते तक लागू रहेगा यानी क्रिसमस की पूरी छुट्टियाँ लॉकडाउन में ही बीत जायेंगी।

लॉकडाउन के अलावा लोगों के आवागमन पर भी रोक लगा दी गयी है। यूनाइटेड किंगडम पर ट्रेवल बैन लगाने वाला पहला देश नीदरलैंड्स है। ये बैन 1 जनवरी तक ये बैन प्रभावी रहेगा। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, आयरलैंड, जर्मनी और फ्रांस ने भी यूके तक यात्रा को 6 जनवरी तक रोका है।

बुल्गारिया ने यूके से आने-जाने वाली सभी फ्लाइट्स को 31 जनवरी तक रोक दिया है। इजरायल, तुर्की और कुवैत ने भी अस्थायी रूप से यूके से आने-जाने वाली फ्लाइट्स को निलंबित कर दिया है. सऊदी अरब ने एक हफ्ते का ट्रेवल बैन लगाया है।

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क्या होगा वैक्सीन का

लोगों के मन में आशंकाएं हैं कि कहीं नए स्ट्रेन के खिलाफ कोरोना की वैक्सीन बेअसर न साबित हो जाए। लेकिन वायरसविज्ञानियों के बीच इस बात पर लगभग सहमति भी है कि इस के आगे मौजूदा वैक्सीनें बेअसर नहीं होंगी। फाइजर के साथ मिल कर वैक्सीन बनाने वाली जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक के प्रमुख उगुर साहीन ने कहा है कि उनकी वैक्सीन की वायरस की 20 अलग अलग किस्मों के खिलाफ जांच हुई है और उन जांचों में सफल इम्यून प्रतिक्रिया देखी गई है जिसने वायरस को निष्क्रिय कर दिया।

वैक्सीन की इसके खिलाफ भी जांच की जाएगी

साहीन ने यह भी बताया कि नया स्ट्रेन एक और मजबूत म्युटेशन का नतीजा है और अगले दो हफ्तों तक वैक्सीन की इसके खिलाफ भी जांच की जाएगी। अमूमन वैक्सीनें शरीर के इम्यून सिस्टम को वायरस के कई पहलुओं से लड़ने के लिए तैयार करती हैं। ऐसे में अगर वायरस के कुछ हिस्सों में म्युटेशन भी हो जाती है तो भी संभव है कि वैक्सीन उसका मुकाबला कर लेगी। लेकिन अगर वायरस पूरी तरह से म्यूटेट हो गया तो संभव है कि वैक्सीन उसके आगे बेअसर हो जाए।

वैसे, अच्छी बात ये है कि कंपनियां कुछ जरूरतों के हिसाब से अपनी वैक्सीन में कुछ बदलाव कर सकती हैं। इसके लिए फ्लू की वैक्सीन का उदाहरण लिया जा सकता है, जिसमें नए-नए स्ट्रेन के लिए ढेरों बदलाव हो चुके हैं और हर सीज़न में किये जाते हैं। फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन एमआरएनए तकनीक से बनी है, जिसे नए स्ट्रेन के हिसाब से ढालना आसान होगा। ये एकदम नई तकनीक है जिसमें वायरस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

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बहुत सतर्क रहने की जरूरत

एक्सपर्ट्स का कहना है कि वायरस का नया स्ट्रेन अपने जीनोम में 17 तरह के बदलाव दिखा रहा है और ये एक व्यापक बदलाव है। अभी नया स्ट्रेन ब्रिटेन से बाहर नहीं पाया गया है लेकिन इसका फैलाव होगा ही। भारत में भी ये स्ट्रेन जरूर आयेगा है। बहुत मुमकिन है कि नया स्ट्रेन भारत में आ भी चुका हो।

पहले की तुलना में अधिक सर्तक रहने की जरूरत

दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इंग्लैंड में कोरोना वायरस में म्यूटेशन के बाद जो नया वैरिएंट पाया गया वह अभी देश में नहीं है, लेकिन वह देश में आ सकता है। इसलिए पहले की तुलना में अधिक सर्तक रहने और सख्ती से कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करना होगा।

सतर्कता में लापरवाही से नए स्ट्रेन का संक्रमण यहां भी फैल सकता है। यदि नया स्ट्रेन यहां आता है तो मामले अचानक बढ़ सकते हैं। इसलिए लोगों को मास्क लगाने, दो गज की शारीरिक दूरी के नियम का पालन सख्ती से करना होगा। जब तक टीका नहीं आ जाता तब तक कोई विकल्प नहीं है।

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किन देशों में लग रही वैक्सीन

कोरोना के नए स्ट्रेन आने के बीच कम से कम 8 देशों ने कोरोना वैक्सीन लगाना शुरू कर दिया है या वैक्सीनेशन को मंजूरी दे दी है। फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश ब्रिटेन था। उसके बाद कनाडा और अमेरिका ने मंजूरी दी। इसके बाद इजरायल, स्विट्ज़रलैंड, मलेशिया, बहरीन और मेक्सिको ने फाइजर की वैक्सीन का रोलआउट शुरू किया है।

वैसे फाइजर की वैक्सीन आने से बहुत पहले से ही रूस और चीन ने अपने नागरिकों को कोरोना की वैक्सीन लगना शुरू कर दिया था। अभी रूस और चीन की वैक्सीन को किसी अन्य देश में लगना शुरू नहीं किया गया है।

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भारत में अभी किसी वैक्सीन को नहीं मिली मंजूरी

भारत में अभी किसी वैक्सीन को मंजूरी नहीं मिली है। देश में फाइजर और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने अपनी वैक्सीनों के इमरजेंसी इस्तेमाल का अप्रूवल माँगा है जो विचाराधीन है। उम्मेद्द जताई जा रही है कि इस महीने या जनवरी की शुरुआत में अप्रूवल मिल जाएगा और वैक्सीन लगाने का काम चालू हो जाएगा। जहाँ तक फाइजर की वैक्सीन की बात है तो उसका ट्रायल भारत में नहीं हुआ है।

इंडिया में नई वैक्सीन या दवा को तभी मंजूरी मिलती है जब उसका ह्यूमन ट्रायल भारत में किया गया हो। हालाँकि ड्रग कंट्रोलर को इए शर्त माफ़ करने का अधिकार होता है। फाइजर की वैक्सीन के साथ समस्या लोजिस्टिक्स की है क्योंकि इस वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री में रखना होता है और इसे ज्यादा समय तक स्टोर भी नहीं जा सकता सो भारत में ये एक समस्या हो सकती है।

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