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हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दी ये सलाह, जानिए क्यों कहा चलताऊ बयान न दें

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को सलाह दी कि बिना किसी विशेषज्ञों के राय के समाचार पत्रों से कोरोना वायरस का संक्रमण...

Ashiki
Published on: 27 April 2020 4:06 PM GMT
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दी ये सलाह, जानिए क्यों कहा चलताऊ बयान न दें
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मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को सलाह दी कि बिना किसी विशेषज्ञों के राय के समाचार पत्रों से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका जैसे बयान न दे। हाईकोर्ट ने अपने संज्ञान के आधार एक याचिका की सुनवाई में यह सलाह दी।

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जज ने खुद संज्ञान ली बात को

हाईकोर्ट के जस्टिस पीबी वराले ने राज्य सरकार के उस फैसले पर स्वसंज्ञान लिया, जिसमें राज्य सरकार ने अखबार के प्रसार को रोकने का आदेश दे दिया था। पीठ की सलाह के बाद अपने इस आदेश में संशोधन कर दिया है। अब अखबार केवल निरुद्ध घोषित क्षेत्रों यानी मुंबई, पुणे और कुछ स्थानों पर बंटवाने की बात की है।

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सरकार का हलफनामा नहीं माना

वकील डीआर काले ने सरकार की वकालत करते हुए हलफनामा भी दाखिल किया। इसमें सरकार की दलील थी कि कोरोना वायरस लंबे समय तक विभिन्न सतहों पर जीवित रह सकता है। अखबार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जाता है। इसलिए इससे संक्रमण फैलने की आशंका है।

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किसी विशेषज्ञ की राय न होने का हवाला दिया

उनके हलफनामे पर न्यायमूर्ति वराले ने कहा कि अदालत इस हलफनामे के तर्क को समझने में विफल है। उन्होंने आदेश में कहा कि लगता है कि हलफनामे में चलताऊ और सामान्य बयान दिया गया है। जवाब में विशेषज्ञों की किसी टिप्पणी या स्वास्थ्य डिपार्टमेंट में काम करने वालों की किसी राय का जिक्र नहीं किया गया।

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जनता की दिलचस्पी है

इसके उलट न्यूज पेपर्स में प्रकाशित विशेषज्ञों की राय है कि अखबार से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने की धारणा पालने की जरूरत नहीं। न्यायमूर्ति वराले ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान समाचार पत्रों के पढ़ने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है क्योंकि जनता की दिलचस्पी इसी में है कि वह विस्तृत जानकारी के साथ नवीनतम अपडेट पढ़े।

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