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BS-6 एमिशन नॉमर्स आज से लागू, यहां पढ़ें पूरी जानकारी

1 अप्रैल मतलब की आज से बीएस-6 एमिशन नॉमर्स देश मेें लागू हो गए। बता दें कि ये वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा तकनीकी कदम है। इससे पहले 31 मार्च तक देश में बीएस-6 एमिशन नॉर्म्स लागू थे।

Vidushi Mishra
Published on: 1 April 2020 6:32 AM GMT
BS-6 एमिशन नॉमर्स आज से लागू, यहां पढ़ें पूरी जानकारी
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BS-6 एमिशन नॉमर्स आज से लागू, यहां पढ़ें पूरी जानकारी

नई दिल्ली : 1 अप्रैल मतलब की आज से बीएस-6 एमिशन नॉमर्स देश मेें लागू हो गए। बता दें कि ये वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा तकनीकी कदम है। इससे पहले 31 मार्च तक देश में बीएस-6 एमिशन नॉर्म्स लागू थे। वैसे तो आप भी लंबे समय से बीएस6 और बीएस4 जैसे शब्द सुन रहे होंगे, लेकिन शायद ही आपको पता हो कि ये नॉर्म्स क्या हैं और नए नॉर्म्स लागू होने से क्या बदलेगा और क्या नही। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

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बीएस ये होता है--

सरकार मोटर वीइकल्स से निकलने वाले प्रदूषकों (पलूटेंट्स) को नियंत्रित करने के लिए मानक तय करती है। इसे बीएस, यानी भारत स्टेज कहा जाता है। ये मानक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत निर्धारित किए जाते हैं।

लेकिन अब यह समझना जरूरी है कि मोटर गाड़ियों से किन प्रमुख प्रदूषकों का उत्पादन होता है। पेट्रोल-डीजल इंजन मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) और नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) का प्रॉडक्शन करते हैं। इनके साथ ही पार्टिकुलेट मैटर (PM) या कार्बन सुट डीजल के साथ-साथ डायरेक्ट-इंजेक्शन पेट्रोल इंजन का एक अन्य बाय-प्रॉडक्ट है।

BS4 के बाद सीधे BS6 क्यों?

बता दें कि भारत में पहली बार साल 2000 में ‘India 2000’ नाम से एमिशन नॉर्म्स लागू किए गए। इसके बाद साल 2005 में बीएस2 और 2010 में बीएस3 को लागू किया गया था। देश में बीएस4 एमिशन नॉर्म्स साल 2017 में लागू हुए। बढ़ते प्रदूषण के लेवल और लंबे गैप को देखते हुए बीएस5 को छोड़कर सीधे बीएस6 एमिशन नॉर्म्स लागू करने का निर्णय लिया गया।

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बीएस4 और बीएस6 में फर्क

बीएस6 एमिशन नॉर्म्स अपेक्षाकृत सख्त हैं। बीएस4 की तुलना में इसमें NOx का लेवल पेट्रोल इंजन के लिए 25 पर्सेंट और डीजल इंजन के लिए 68 पर्सेंट कम है।

इसके अलावा डीजल इंजन के HC + NOx की लिमिट 43 पर्सेंट और पीएम लेवल की लिमिट 82 पर्सेंट कम की गई है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए बीएस6 कम्प्लायंट इंजन में मॉडर्न टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है।

क्या बीएस4 गाड़ियां बीएस6 फ्यूल से चलेंगी?

तो बता दें कि इसका जवाब हां है। बीएस4 कम्प्लायंट वीइकल बीएस6 फ्यूल पर बिना किसी समस्या के चल सकते हैं, खासकर अगर यह पेट्रोल कार है। डीजल इंजन में फ्यूल में सल्फर कॉन्टेंट फ्यूल इंजेक्टर के लिए लूब्रिकेंट के रूप में कार्य करते हैं। बीएस4 फ्यूल की तुलना में बीएस6 फ्यूल में सल्फर कॉन्टेंट 5 गुना कम है। इसके चलते लूब्रिकेंट की कमी की वजह से लंबे समय बाद फ्यूल इंजेक्टर में खामी आ सकती है।

बीएस6 गाड़ियां बीएस4 फ्यूल का संबंध

पेट्रोल इंजन में कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि इसका फ्यूल कम्पोजिशन बहुत अलग नहीं है। मगर डीजल इंजन के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है। जब बीएस6 इंजन बीएस4 फ्यूल पर चलता है, तो यह उत्सर्जन में वृद्धि करेगा, ईंधन इकॉनमी को कम करेगा और फ्यूल डिलिवरी सिस्टम में भी समस्या पैदा कर सकता है।

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बीएस4 गाड़ियों का क्या होगा उपयोग

जीं हां 1 अप्रैल से बीएस6 लागू होने के साथ ही बीएस4 वीइकल्स की मैन्युफैक्चरिंग बंद हो जाएगी, यानी अब सिर्फ बीएस6 वीइकल्स बनेंगे। इसके साथ ही बीएस4 की सेल और इनका रजिस्ट्रेशन भी बंद होना था। मगर कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश भर में लॉकडाउन की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इसमें राहत दे दी है।

बात ये है कि लॉकडाउन को देखते हुए फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशन (एफएडीए) ने सुप्रीम कोर्ट से इस डेडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद बीएस4 गाड़ियों को सेल करने के लिए 10 दिन की मोहलत दी है। इसका मतलब 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने के बाद 24 तारीख तक कंपनियां बीएस4 वीइकल सेल कर सकती हैं।

लेकिन हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि बढ़े हुए 10 दिनों में बीएस4 के पूरे स्टॉक का 10 फीसदी ही सेल किया जाएगा और दिल्ली-एनसीआर में बीेएस4 वाहनों की सेल नहीं होगी। वहीं, जिनके पास बीएस4 गाड़ियां हैं, वे पहले की तरह सामान्य रूप से चलती रहेंगी।

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Vidushi Mishra

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