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बजट का सबसे बड़ा बवालः घाटे की कंपनियों को बेचने की पेशकश पर भड़क उठे लोग

केंदीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट पेश करते हुए रणनीतिक विनिवेश की नीति की भी घोषणा कर दी। वित्तमंत्री ने इसके तहत रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों के लिए स्पष्ट रोडमैप भी दे दिया है।

Shivani Awasthi
Published on: 1 Feb 2021 10:52 PM IST
बजट का सबसे बड़ा बवालः घाटे की कंपनियों को बेचने की पेशकश पर भड़क उठे लोग
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रामकृष्ण वाजपेयी

केंदीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट पेश करते हुए रणनीतिक विनिवेश की नीति की भी घोषणा कर दी। वित्तमंत्री ने इसके तहत रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों के लिए स्पष्ट रोडमैप भी दे दिया है। हालांकि इस घोषणा के बाद केंद्र सरकार आलोचनाओं से घिर गई है। हालांकि सरकार के समक्ष बजट प्रस्तावों को पूरा करने के लिए इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है।

बजट 2021 का एलान

वित्तमंत्री की घोषणाओं पर गौर करें तो बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड आदि का रणनीतिक विनिवेश वित्त वर्ष 2021-22 में पूरा किया जाएगा। इसी वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण भी किया जाएगा। आवश्यक संशोधन के जरिए एलआईसी का आईपीओ इसी सत्र में लाया जाएगा।

विनिवेश से 1,75,000 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान

वित्तमंत्री के मुताबिक विनिवेश से 1,75,000 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान है। राज्यों को अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का विनिवेश करने पर लाभ प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा बेकार पड़ी भूमि से लाभ प्राप्त करने के लिए एक विशेष कंपनी बनाने का भी प्रस्ताव है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचकर 2.1 लाख करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया। पिछले साल बड़े विनिवेश की योजना तैयार की गई थी। जिसमें एलआईसी के शेयर बेचे जाने की बात भी शामिल थी। इस योजना को इस साल पूरा किया जा सकता है।

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सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 1.05 लाख करोड़ और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 80 हज़ार करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा था।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश की नीति लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए वित्त मंत्री ने निम्नलिखित मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित किया :

मौजूदा सीपीएससी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को इसके अंतर्गत कवर किया जाएगा।सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की न्यूनतम उपस्थिति और शेष का निजीकरण अथवा विलय अथवा अन्य सीपीएसई के साथ सब्सिडी के तौर पर विलय अथवा बंद किया जाना।

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गैर-रणनीतिक क्षेत्र में सीपीएसई का निजीकरण

इस नीति के तहत परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं रक्षा। परिवहन एवं दूरसंचार। विद्युत, पेट्रोलियम, कोयला तथा अन्य खनिज। बैंकिंग, बीमा एवं वित्तीय सेवाएं। ये चार क्षेत्र आ रहे हैं। गैर-रणनीतिक क्षेत्र में सीपीएसई का निजीकरण किया जाएगा अथवा उन्हें बंद किया जाएगा।

वित्त वर्ष 2021-22 में बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनेर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस और नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड समेत सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों के विनिवेश यानी निजीकरण को पूर्ण करने का प्रस्ताव है।

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वित्त मंत्री ने बताया कि आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों और साधारण बीमा निगम के निजीकरण को भी वर्ष 2021-22 में पूरा करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही जीवन बीमा निगम का आईपीओ भी आवश्यक संशोधन के जरिए इसी सत्र में लाया जाएगा।

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सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश

इस नीति को तीव्र गति से लागू करने के लिए ‘नीति’ को उन केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की अगली सूची तैयार करने का काम दिया गया है, जिनका रणनीतिक विनिवेश किया जाना है।

वित्त मंत्री ने राज्यों को अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए लाभ देने की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय कोष से उन्हें दिए जाने वाले प्रोत्साहन पैकेज को बाद में अंतिम रूप दिया जाएगा।

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वित्त मंत्री ने कहा है कि बेकार पड़ी भूमि का आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को प्राप्त करने में कोई योगदान नहीं है, और सरकार के विभिन्न मंत्रालय/विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के पास काफी मात्रा में ऐसी भूमि के रूप में परिसम्पत्तियां हैं, मंत्री ने एक विशेष कम्पनी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जो इस भूमि का मौद्रीकरण करेगी। यह कार्य या तो इस भूमि की प्रत्यक्ष बिक्री से अथवा रियायत से अथवा ऐसे ही किसी तरीके से किया जाएगा।

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बजट में वहीं मुद्दे, जिन पर सरकार घिर गई

सीतारमण ने बीमार अथवा घाटे में चल रहे सीपीएसई को समय पर बंद करना सुनिश्चित करने के लिए एक संशोधित तंत्र लाने का भी प्रस्ताव किया। कुल मिलाकर देखा जाए तो यही वह मुद्दे हैं जिन पर सरकार घिर गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट भाषण में जब विनिवेश नीति का जिक्र कर रहीं थी, उसी समय सोशल मीडिया पर इस को लेकर रिएक्शन आने शुरू हो गए थे। लोगों ने इन मुद्दों पर सरकार को इस कदर निशाना बनाया की ट्रेंड कर गया। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया।

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तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने ट्वीट किया, "भारत का पहला पेपरलेस बजट भी 100% दृष्टिहीन बजट है। नकली बजट का बेचे भारत है! रेलवे: बेची, हवाई अड्डे: बेचे, बंदरगाह: बेचे, बीमा: बेचा, PSUs: 23 बिके! आम आदमी की अनदेखी। किसानों की अनदेखी।अमीर अमीर हो रहा है, मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं, गरीब और गरीब हो रहा है."



एक अन्य ट्वीट में मीम बनाते हुए लिखा गया "एलआईसी आईपीओ कमिंग दिस फाइनेंशियल ईयर- निर्मला ताई।"



कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, "एलआईसी और जीआईसी जैसे सार्वजनिक उपक्रम बनाने वाले लाभ की बिक्री व्यापक राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए और अधिक करने की आवश्यकता है, गंभीर एनपीए चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है। अर्थव्यवस्था वी के आकार में नहीं है, बल्कि के के आकार की वसूली है क्योंकि कई क्षेत्रों में गंभीर तनाव जारी है।"



वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी नाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "जिस दिन कोई पब्लिक सेक्टर कंपनी न बेची जाए, वो दिन बेकार है- निर्मला सीतारमण"



एक अन्य ने लिखा, "ओलैक्स फाइनेंस मिनिस्टर"



कुल मिलाकर देखा जाए तो विनिवेश नीति को लेकर सरकार निशाने पर आ गई है। देखना यह है कि सरकार कैसे इन स्थितियों का सामना कर पाती है या फिर विनिवेश का मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

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Shivani Awasthi

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