×

Delhi Liquor Scam: केजरीवाल तक पहुंची जांच की आंच, जानें मुनाफे के लिए बनाई नीति में कैसे हुआ घपला

Delhi Liquor Scam: दिल्ली में हुए शराब घोटाले मामले में ईडी और सीबीआई अब तक 80 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बीआरएस नेता के. कविता भी शामिल हैं। केजरीवाल से अप्रैल में सीबीआई ने पूछताछ की थी, अब उन्हें पूछताछ के लिए ईडी ने नोटिस भेजा है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 31 Oct 2023 4:42 PM IST (Updated on: 31 Oct 2023 6:07 PM IST)
Delhi liquor scam, heat of investigation reached Kejriwal, know how the policy made for profit got scammed
X

दिल्ली शराब घोटाला, केजरीवाल तक पहुंची जांच की आंच, जानें मुनाफे के लिए बनाई नीति में कैसे हुआ घपला : Photo- Social Media

Delhi Liquor Scam: इन दिनों देशभर में दिल्ली शराब घोटाले का मामला चर्चा में बना हुआ है। इस मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी तो वहीं शाम को ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेज दिया और पूछताछ के लिए 2 नवंबर को बुलाया है। वहीं इस मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी इसी महीने गिरफ्तार किया गया था। संजय सिंह को भी जमानत नहीं मिली वे भी जेल में हैं।

क्योंकि मोदी जी को अरविंद केजरीवाल से डर लगता है-

ईडी द्वारा केजरीवाल को समन जारी होने के बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि यह पार्टी को खत्म करने की साजिश है। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा, आम आदमी पार्टी को खत्म करने पर तुली है। हर तरफ से खबर है कि 2 नवंबर को आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया जाएगा। ये गिरफ्तारी इसलिए होगी, क्योंकि मोदी जी को अरविंद केजरीवाल से डर लगता है।"

इन तमाम घटनाक्रमों के बीच अब सवाल उठते हैं कि आखिर ये शराब घोटाला है क्या? नई शराब नीति क्या थी? इसमें किस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप हैं? आप नेताओं पर क्या आरोप हैं जिसकी वजह से उनकी गिरफ्तारी हुई है? तो आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब-

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी: Photo- Social Media

पहले क्या थी दिल्ली की नई शराब नीति?

17 नवंबर 2021 को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 32 जोन में 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद सभी दुकानें 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। इस पर सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।

ये भी पढ़ें: Delhi liquor Scam: 'CM केजरीवाल की 2 नवंबर को होगी गिरफ्तारी', दिल्ली की मंत्री आतिशी ने किया बड़ा दावा, आप को खत्म करने की साजिश का आरोप

लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी-

यही नहीं केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।

क्यों लगे घोटाले के आरोप?-

दिल्ली सरकार की नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने का आरोप है। वहीं, बड़े शराब कारोबारियों को फायदा होने की बात कही जा रही है। भारतीय जनता पार्टी का यही आरोप है। वहीं तीन तरह से घोटाले की बात भी सामने आ रही है।

बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप-

शराब ब्रिकी के लिए ठेकेदारों को लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने लाइसेंस शुल्क तय किया है। सरकार ने कई तरह की कैटेगिरी बनाई है। इसके तहत शराब, बीयर, विदेशी शराब आदि को बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। अब उदाहरण के लिए पहले जिस लाइसेंस के लिए ठेकेदार को 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता था, वहीं नई शराब नीति लागू होने के बाद उसी के लिए पांच करोड़ रुपये देने पड़े। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया। इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके बदले में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।

ये भी पढ़ें: ED on AAP: शराब घोटाले में ईडी की दिल्ली और पंजाब में छापेमारी, AAP विधायक कुलवंत सिंह पर कार्रवाई

सरकार बता रही फायदे का सौदा-

वहीं सरकार का तर्क है कि लाइसेंस फीस बढ़ाने से सरकार को एकमुश्त राजस्व की कमाई हुई। इससे सरकार ने जो उत्पाद शुल्क और वैट घटाया उसकी भरपाई हो गई।

खुदरा बिक्री में सरकारी राजस्व में भारी कमी होने का आरोप-

दूसरा आरोप शराब की बिक्री को लेकर है। उदाहरण के लिए मान लीजिए पहले अगर 750 एमएल की एक शराब की बोतल 530 रुपये में मिलती थी। तब इस एक बोतल पर रिटेल कारोबारी को 33.35 रुपये का मुनाफा होता था, जबकि 223.89 रुपये उत्पाद कर और 106 रुपये वैट के रूप में सरकार को मिलता था। मतलब एक बोतल पर सरकार को 329.89 रुपये का फायदा मिलता था। नई शराब नीति से सरकार के इसी मुनाफे में खेल होने का दावा किया जा रहा है।

दावा किया जा रहा है कि नई शराब नीति में वही 750 एमएल वाली शराब की बोतल का दाम 530 रुपये से बढ़कर 560 रुपये हो गई। इसके अलावा रिटेल कारोबारी का मुनाफा भी 33.35 रुपये से बढ़कर सीधे 363.27 रुपये पहुंच गया। मतलब रिटेल कारोबारियों का फायदा 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया। वहीं, सरकार को मिलने वाला 329.89 रुपये का फायदा घटकर तीन रुपये 78 पैसे रह गया। इसमें 1.88 रुपये उत्पाद शुल्क और 1.90 रुपये वैट शामिल है।

संजय सिंह गिरफ्तार क्यों हुए, उन पर क्या आरोप हैं?

शराब नीति घोटाले में संजय सिंह का नाम पहली बार दिसंबर 2022 में सामने आया था। तब ईडी ने आरोपपत्र में कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान के हिस्से के रूप में आप नेता के नाम का उल्लेख किया गया था। एजेंसी ने दावा किया कि दिनेश अरोड़ा ने उन्हें बताया कि वह शुरू में संजय सिंह से मिले थे, जिनके जरिए वह बाद में एक रेस्तरां में एक पार्टी के दौरान मनीष सिसोदिया से मिले।

आरोप पत्र में कहा गया कि संजय सिंह के कहने पर चुनावों के लिए पार्टी फंड इकट्ठा करने के लिए सिसोदिया को पैसे देने की व्यवस्था की थी। अरोड़ा के हवाले से शिकायत में यह भी कहा गया कि उन्होंने सिसोदिया से पांच-छह बार बात की और संजय सिंह के साथ केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह: Photo- Social Media

ये भी पढ़ें: Delhi Liquor Scam: अब केजरीवाल की बारी, ED ने भेजा नोटिस, आप बोली-सीएम को जेल भेजना चाहती है बीजेपी

अब मनीष सिसोदिया का क्या?-

बता दें कि दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी भी इसी शराब घोटाले में हुई है। सिसोदिया 26 फरवरी से ही जेल में बंद हैं। पहले सीबीआई और बाद में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया। सिसोदिया पर अनुच्छेद-120 यानी आपराधिक साजिश रचने, 477ए धोखा देने की नीयत से कृत्य करने और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा सात के तहत गिफ्तार किया गया है।

ईडी ने लगाए ये आरोप-

ईडी ने आरोप लगाया कि साजिश निजी संस्थाओं को थोक व्यापार देने और उसी से छह फीसदी रिश्वत प्राप्त करने के लिए 12 फीसदी मार्जिन तय करने की थी। इसी मामले में मनीष सिसोदिया के साथ ही समीर महेन्द्रू, विजय नायर, पी. सरथ चंद्र रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा और 11 कंपनियों सहित कुल 17 संस्थाओं को आरोपी बनाया है।

अब तक कितनी गिरफ्तारी हुई?-

सीबीआई और ईडी इनमें से सिसोदिया के अलावा विजय नायर, अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा जैसे करीब 15 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, विजय नायर, समीर महेंद्रू, अरुण रामचंद्रन, राजेश जोशी, गोरन्तला बुचिबाबू, अमित अरोड़ा, बेनॉय बाबू (फ्रांसीसी शराब कंपनी पर्नोड रिकार्ड के महाप्रबंधक), पी सरथ चंद्र रेड्डी, अरबिंदो फार्मा के पूर्णकालिक निदेशक और प्रमोटर, व्यवसायी अमनदीप धाल और व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली शामिल हैं।

80 से अधिक लोगों से हो चुकी है पूछताछ-

इस मामले में एजेंसिया अब तक 80 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बीआरएस नेता के. कविता भी शामिल हैं। कविता तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी हैं। केजरीवाल से सीबीआई ने अप्रैल में पूछताछ की थी।

ये भी पढ़ें: Apple Alert: महुआ, थरूर और ओवैसी समेत कई बड़े नेताओं ने सरकार पर लगाए फोन हैक करने का लगाया आरोप, एप्पल ने भेजा एलर्ट

कैसे शुरू हुई घोटाले की जांच?-

दिल्ली शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया था।

सीबीआई ने 15 के खिलाफ दर्ज की एफआईआर-

सीबीआई ने अगस्त 2022 में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। बाद में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी।

ईडी और सीबीआई अलग-अलग कर रही हैं जांच-

ईडी और सीबीआई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है तो वहीं सीबीआई की जांच नीति बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।

ये भी पढ़ें: Rahul Gandhi: राहुल का बड़ा हमला! केंद्र सरकार में अडानी नंबर वन, उन्हीं में बसती है पीएम मोदी की आत्मा, एप्पल के अलर्ट पर भी सरकार को घेरा

शराब की दुकान: Photo- Social Media

इन खामियों ने भी उठाए सवाल-

जब शराब घोटाले के मामले ने तूल पकड़ा तो केंद्र सरकार ने भी इसकी जांच करवाई। मुख्य सचिव ने जांच करके एक रिपोर्ट तैयार की, जो दिल्ली के उप-राज्यपाल को दो महीने पहले भेजी गई थी। इस रिपोर्ट में भी सात बिंदुओं पर सवाल उठाए गए हैं।

-मनीष सिसोदिया के निर्देश पर आबकारी विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये वापस कर दिए। बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट सरकारी खाते में जमा हो जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने बिडर को वह पैसा लौटा दिया।

-केंद्र सरकार से मंजूरी लिए बिना आबकारी विभाग ने आठ नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया। बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट पास फीस को हटाकर लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। इसके चलते सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

-टेंडर दस्तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके रिटेल लाइसेंसियों को वित्तीय फायदा पहुंचाया गया। वह भी तब जब लाइसेंस फी, ब्याज और पेनाल्टी न चुकाने पर ऐसे लाइसेंस धारकों पर कार्रवाई होनी थी।

-सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं भी कोई प्रावधान नहीं था।

-केजरीवाल सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के और किसी के साथ चर्चा किए बिना नई नीति के तहत हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रख दी। बाद में एक्साइज विभाग ने केंद्र सरकार से मंजूरी लिए बिना नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों के बजाय कन्फर्मिंग वॉर्डों में लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त दुकानें खोलने की इजाजत दे दी।

-वहीं सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा दे रहे लाइसेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दिल्ली एक्साइज नियम, 2010 के नियम 26 और 27 का उल्लंघन है।

-लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंस धारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका ऑपरेशनल कार्यकाल पहले एक अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे एक जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए केंद्र सरकार और उप-राज्यपाल से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई। बाद में आनन-फानन में 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ऐसे कई गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया। शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने के बजाय 37.51 पर्सेंट कम रेवेन्यू मिला।

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story