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पेट्रोल-डीजल पर सरकार ने मानी कमाई की बात, जानें खुदरा महंगाई से कनेक्शन

सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में खुद स्वीकार किया कि 6 मई 2020 के बाद से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से क्रमश: 33 रुपये और 32 रुपये प्रति लीटर की कमाई हो रही है।

Shivani
Published on: 15 March 2021 9:36 PM IST
पेट्रोल-डीजल पर सरकार ने मानी कमाई की बात, जानें खुदरा महंगाई से कनेक्शन
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रामकृष्ण वाजपेयी

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन हो रही वृद्धि 27 फरवरी से थम सी गई है। लोग रोज इंतजार करते हैं कि शायद आज कीमत बढ़े और कोई बदलाव न होने पर राहत की सांस लेते हैं। कहीं इसकी वजह पांच राज्यों में होने जा रहे चुनाव तो नहीं हैं। हो सकता है ऐसा हो लेकिन जनता को इससे राहत मिल रही है। लेकिन पेट्रोल डीजल की कीमतों से महंगाई पर जबर्दस्त असर पड़ा है और जनता इसे आज भी झेल रही है।

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी और महंगाई के बीच क्या रिश्ता

महंगाई एक ऐसी रफ्तार पर है जिसके एक बार बढ़ने के वापसी की कोई सीढ़ी नहीं है। इसलिए वह बढ़ती जाती है। लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी और महंगाई के बीच क्या रिश्ता है। जनता महंगाई की तेज रफ्तार चक्की में पिस रही है और सरकार डंके की चोट पर पेट्रोल डीजल से कमाई की बात कबूल रही है। आखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है।

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2020 से पेट्रोल पर 33 रु. और डीजल पर 32 रु प्रति लीटर की कमाई

गौर करने की बात यह है कि सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में खुद स्वीकार किया कि 6 मई 2020 के बाद से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से क्रमश: 33 रुपये और 32 रुपये प्रति लीटर की कमाई हो रही है। जबकि मार्च 2020 से 5 मई 2020 के बीच उसकी ये आमदनी क्रमशः 23 रुपये और 19 रुपये प्रति लीटर के बीच थी।

PETROL

इस साल अब तक इतनी बढ़ी पेट्रोल-डीजल की कीमत

अगर सरकार के जवाब का विश्लेषण करें तो 6 मई 2020 से 31 दिसंबर 2020 और 1 जनवरी से अब तक पेट्रोल डीजल से सरकार की पेट्रोल से कमाई में 13 रुपये और डीजल से कमाई में 16 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है।

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देश में पेट्रोल डीजल इतना महंगा क्यों

अगर इस बात का और बारीकी से विश्लेषण करें कि देश में पेट्रोल डीजल इतना महंगा क्यों है। तो इसका मूल कारण यह है हमारे यहां पेट्रोल डीजल पर टैक्स बहुत ही अधिक हैं। उदाहरण के लिए दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 16 जनवरी को 84.7 रुपये था। तो इसमें पेट्रोल की मूल कीमत जिसे बेस प्राइस भी कहते हैं हुआ 28.13 रुपये। अब इसके लाने ले जाने का किराया (फ्रेट) आदि पर खर्च हुआ 0.37 रुपये। तब भी पेट्रोल का भाव होना चाहिए 28.5 रुपये। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई इसमें डीलर्स को 32.98 रुपये की एक्साइज ड्यूटी देनी पड़ेगी और 19.55 रुपये का वैट देना होता है। डीलर के कमीशन पर वैट ड्यूटी अलग से लगी 3.67 रुपये। अब इन सबको जोड़ने पर पेट्रोल का भाव आया 84.70 रुपये प्रति लीटर।

एक लीटर पेट्रोल पर 52.53 रुपये का टैक्स

इस प्रकार आम आदमी को अपनी जेब से एक लीटर पेट्रोल पर 52.53 रुपये का टैक्स देना पड़ा यानी 62 फीसदी। एक राज्य से दूसरे राज्य में तेल के भाव अलग अलग हो जाते हैं। क्योंकि इसमें स्थानीय बिक्री कर या वैट और जुड़ जाता है। इसके अलावा इस पर सेस लेवी भी लगाई जाती है। यानी कमाई सबकी हो रही है जेब जनता की कट रही है।

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राज्यों का 5 सालों मे वैट 43% बढ़ा

इसमें सबसे बड़ी गौर करने की बात यह भी है कि राज्यों को मिलने वाला वैट टैक्स बीते पांच साल में 43 फीसद बढ़ा है। मजे की बात यह है कि 2014 में जब पहली बार मोदी सरकार बनी थी तब 2014-15 में एक्साइज ड्यूटी से सरकार को 1.72 लाख करोड़ कमाई हुई थी, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर केंद्र सरकार ने 2019-20 में 3.34 लाख करोड़ रुपए कमाए। यानी सिर्फ 5 सालों में ही किसानों की कमाई दोगुनी हुई हो या नहीं हुई हो सरकार की इस एक मद से कमाई दोगुनी हो गई है।

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पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स वसूल रहे राज्य

अगर बात करें राज्यों की तो बिहार पेट्रोल पर 26%, डीजल पर 19% वैट टैक्स वसूलता है। चंड़ीगढ़ पेट्रोल पर 22.45 फीसद तो डीजल पर 14 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ पेट्रोल पर 25 फीसद तो डीजल पर भी 25 फीसद वसूलता है। दिल्ली में पेट्रोल पर 30 प्रतिशत तो डीजल पर 16.75 फीसद टैक्स वसूला जाता है। गुजरात में पेट्रोल डीजल पर क्रमशः 20.10 व 20.20 फीसद, हरियाणा में पेट्रोल पर 25 तो डीजल पर 16.40 फीसद, मध्यप्रदेश में पेट्रोल 33 तो डीजल 23 फीसद टैक्स वसूलता है।

पेट्रोल डीजल से सबसे ज्यादा कमाई महाराष्ट्र और यूपी की

झारखंड पेट्रोल डीजल पर क्रमशः 22-22 फीसद वसूलता है। राजस्थान पेट्रोल पर 36 तो डीजल पर 26 फीसद, हिमाचल प्रदेश पेट्रोल पर 25 तो डीजल पर 14 फीसद टैक्स वसूलता है। पंजाब पेट्रोल पर 24.79 फीसद व डीजल पर 15.94 फीसद और महाराष्ट्र पेट्रोल पर 25 तो डीजल पर 21 फीसद वैट टैक्स वसूलता है। 2019-20 में पेट्रोल डीजल से कमाई में महाराष्ट्र एक नंबर पर था तो उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था।

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इसके अलावा पेट्रोल डीजल की कीमतों में आग लगने के बाद पांच राज्य सरकारें इन पर लगने वाले टैक्स में कटौती कर चुकी हैं। इन राज्यों में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और नागालैंड शामिल हैं। लेकिन असम को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश सहित भाजपाशासित राज्यों का ऐसा कोई इरादा नहीं।

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पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों का असर खुदरा महंगाई पर

पेट्रोल डीजल उत्पादों की बढ़ती कीमतों का असर सीधे सीधे खुदरा महंगाई पर पड़ा है। जनवरी में जो थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर 2.03% था वह फरवरी में 4.17% हो गया। जबकि पिछले साल फरवरी में यह 2.26% था। यानी दोगुना से अधिक ऊपर उठा है। थोक महंगाई 27 महीने के शिखर पर है। अब चुनावी महीनों में कुछ राहत है लेकिन जनता को चुनाव खत्म होते ही जोर का झटका झेलने को तैयार हो जाना चाहिए।



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Shivani

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