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चंद्रयान 2 : किसी मुश्किल की घड़ी से कम नहीं आखिर के 14.5 मिनट

हालांकि, सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर इसरो ने भरोसा जताया है। मगर इसपर भी प्रकाश डालना जरूरी है कि सॉफ्ट लैंडिंग के महज 37% प्रयास ही अब तक सफल हो पाये हैं। हां, ये बात भी सही है कि अगर इसरो इसपर पूरा भरोसा जताया है तो इसके पीछे भी कोई कारण होगा। दरअसल, इसरो को अडवांस्ड टेक्नॉलजी पर पूरा भरोसा है।

Manali Rastogi
Published on: 30 March 2023 10:01 PM IST (Updated on: 30 March 2023 10:53 PM IST)
चंद्रयान 2 : किसी मुश्किल की घड़ी से कम नहीं आखिर के 14.5 मिनट
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चंद्रयान 2 : किसी मुश्किल की घड़ी से कम नहीं आखिर के 14.5 मिनट

बेंगलुरु: चंद्रयान 2 अब से महज कुछ ही घंटों में चांद की सतह पर कदम रखने वाला है। इसके साथ ही, भारत चांद पर कदम रखने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान 2 के लिए जितना उत्साहित भारत है, उतने बेसब्री से पूरी दुनिया भी इसके चांद पर उतरने का इंतजार कर रही है। वैसे चंद्रयान 2 के लिए आखिरी के 14.5 मिनट काफी जटिल होने वाले हैं। हालांकि, इसरो ने इसपर पूरा भरोसा जताया है।

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धरती से चांद की सतह तक का सफर

चांद की सतह पर उतरने की ओर विक्रम बढ़ चला है। वह बीते बुधवार जरूरी ऑर्बिट में दाखिल हो चुका है। ऐसे में अब शुक्रवार देर रात 1 से 2 बजे के बीच चंद्रयान 2 चांद की सतह की सोअर बढ़ेगा। लैंडिंग के लिए विक्रम चांद के आखिरी ऑर्बिट से निकलने के बाद सतह से 35 किमी दूर से ही बढ़ना शुरू कर देगा।

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बता दें, विक्रम 7.7 किमी की ऊंचाई तक पहले 10 मिनट में तय करेगा। इसके बाद अगले 38 सेकंड में 5 किमी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। इसके ठीक 89 सेकंड बाद विक्रम 400 मीटर और फिर 66 सेकंड में 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा।

लैंडिंग पर लिया जाएगा ये फैसला

लैंडिंग साइट को लेकर विक्रम सतह से 100 मीटर की दूरी पर अपना आखिरी फैसला लेगा। साउथ पोल पर पहले ही इसरो ने एक प्राइमरी और एक सेकंडरी साइट चुन रखी हैं। जिन साइट्स को इसरो ने चुना है, वह ऐसी जगहें हैं जहां से लैंडिंग के वक़्त सूरज सही ऐंगल पर हो। इसकी मदद से रोवर बेहतर तस्वीरें ले पाएगा। लैंडिंग के लिए विक्रम की प्राथमिकता रहेगी कि वह मैन्जीनियस और सिंपीलियस नाम के क्रेटर्स के बीच दक्षिण पोल से करीब 350 किमी दूर उतरे।

ऐसे उतरेगा 'विक्रम'

लैंड करने के लिए विक्रम के पास दो विकल्प हैं। ऐसे में विक्रम उस समय की स्थिति के हिसाब से यह तय करेगा कि उसका कहां उतरना है। इसके 78 सेकंड्स के अंदर ही विक्रम कुछ चक्कर लगाएगा और फिर 1:30-2:30 बजे के बीच सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

आखिरी 14.5 मिनट हैं जटिल

दूसरी लैंडिंग साइट चुनने के लिए विक्रम को पहले 40 सेकंड में वह 60 मीटर की दूरी तक जाएगा लेकिन उसके अगले 25 सेकंड में वह 10 मीटर तक पहुंचेगा। ऐसे में अगर विक्रम सतह से 10 मीटर की दूरी पर पहुंचता है तो उसको 13 सेकंड नीचे जाने में लग जाएंगे। इस लिहाज से विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐसी प्रक्रिया होने वाली है, जिसको लेकर सबसे ज्यादा सतर्कता बरती जानी है।

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हालांकि, सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर इसरो ने भरोसा जताया है। मगर इसपर भी प्रकाश डालना जरूरी है कि सॉफ्ट लैंडिंग के महज 37% प्रयास ही अब तक सफल हो पाये हैं। हां, ये बात भी सही है कि अगर इसरो इसपर पूरा भरोसा जताया है तो इसके पीछे भी कोई कारण होगा। दरअसल, इसरो को अडवांस्ड टेक्नॉलजी पर पूरा भरोसा है। इसरो का ये भी कहना है कि चंद्रयान 2 को लेकर जो भी टेस्ट किए गए हैं, उसमें वह सफल रहा है। इसलिए उनको इसकी सॉफ्ट लैंडिंग पर पूरा भरोसा है।

Manali Rastogi

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