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वो था 'हवस का पुजारी' जिसके करीब आने को तड़पती थीं लड़कियां

वो वहशी दरिंदा था, खूंखार कातिल था, लेकिन उसमें गजब की सेक्स अपील थी। ऐसी कोई लड़की नहीं थी उस दौर में जिसे उसने चाहा और वो उसके करीब न आई हो। उसके लिए किसी की भी जान लेना कभी मुश्किल नहीं रहा। जिसे जब चाहा मारा।

Rishi
Published on: 6 May 2019 8:56 AM GMT
वो था हवस का पुजारी जिसके करीब आने को तड़पती थीं लड़कियां
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मुंबई : वो वहशी दरिंदा था, खूंखार कातिल था, लेकिन उसमें गजब की सेक्स अपील थी। ऐसी कोई लड़की नहीं थी उस दौर में जिसे उसने चाहा और वो उसके करीब न आई हो। उसके लिए किसी की भी जान लेना कभी मुश्किल नहीं रहा। जिसे जब चाहा मारा। दुनिया की बड़ी से बड़ी जेल भी उसे उनकी मर्जी के बिना रोक नहीं सकती थी। जब मन हुआ चल दिए नई मंजिल की तलाश में। हम बात कर रहे हैं चार्ल्स शोभराज की।

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चार्ल्स भारतीय पिता और वियतनामी बिन ब्याही माँ का बच्चा था। बचपन में उसे माँ बाप का प्यार नहीं मिला, उसकी माँ ने बाद में एक फ़्रांसीसी से शादी कर ली और चार्ल्स भी उनके साथ पेरिस चला गया। उसने पहला अपराध वहीँ किया, इसके बाद भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में एक के बाद हत्या की जिनमें से लगभग 20 से ज्यादा आरोप उस पर हैं। युवा लड़कियां हमेशा उसके निशाने पर रहती थी उसकी लाइफ स्टाइल और उसकी बातें ऐसी होती कि लड़कियां उसके जादू में कैद, कुछ भी करने को तैयार हो जाती थी। चार्ल्स को 'द सर्पेंट' और 'बिकनी किलर' भी कहा जाता है।

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चार्ल्स भारत के साथ ही अफ़गानिस्तान, ग्रीस और ईरान की जेलों से भी भाग चुका है। फ्रांस के पर्यटकों को ज़हर देने के मामले में चार्ल्स भारत की जेल में 20 साल रहा, 1997 में वो जेल से बाहर आया तो फ्रांस के एक प्रोड्यूसर ने उसके जीवन पर फ़िल्म और किताब के अधिकार 97 करोड़ रुपये में ख़रीदे थे। जो उसके जीवन की पहली वाईट मनी थी। इस समय चार्ल्स नेपाल की एक जेल में बाद है।

चार्ल्स ने पाकिस्तान से और ईरान से महँगी गाड़ियाँ चोरी कर भारत के रईसों को बेचना शुरू किया। इस धंधे में उसे काफी मुनाफा होता था, लेकिन इसी बीच उसे जुएँ की लत लग गयी और वो अपना सब कुछ हार गया। इसके बाद उसने अफगानिस्तान के काबुल में अपना अड्डा बनाया, लेकिन वहां भी वो पकड़ा गया, जेल से भागने के बाद वो फिर भारत लौट आया। यहाँ वो ड्रग्स लेने वाले फ्रेंच और अंग्रेजी भाषी पर्यटकों से दोस्ती करता उनकी हत्या कर उनका पासपोर्ट और पैसे हथिया लेता।

कहा जाता है कि उसे लड़कियों के साथ सेक्स कर उन्हें मौत के घाट उतारने में बहुत मजा मिलता था। 1971 में चार्ल्स शोभराज अपेंडिसाइटिस का बहाना करके जेल से बाहर आया, और फिर अस्पताल से भाग निकला। इसके लिए उसने सीरिंज से अपना ही खून निकाला और उसे पी लिया। जेल में सुरक्षाकर्मी समझे की उसे मुहं से खून निकल रहा है, उसे अस्पताल ले जाया गया जहाँ से वो फरार हो गया।

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चार्ल्स 1976 में दोबारा गिरफ़्तार हुआ, और उसके दस साल बाद जेल में जन्मदिन की पार्टी रखी। पार्टी में जो कुछ भी खाने और पीने के लिया दिया गया, उसमें बेहोशी की दवा मिला दी गई थी। जब सब बेहोश हो गए तो, ये और इनके साथी टहलते हुए जेल से बाहर आ गए। वहां चार्ल्स ने दरवाजे पर अपनी तस्वीर भी खिंचाई। रिचर्ड नेविल की बायोग्राफी में चार्ल्स ने बताया भी है, कि जब तक मेरे पास लोगों से बात करने का मौका है, तब तक मैं उनसे कुछ भी करा सकता हूं।

कई रिपोर्ट्स में कहा जाता है, कि कि दस साल की सजा के आखिर में चार्ल्स इस लिए जेल से भागा और स्वयं को गिरफ्तार भी करवा लिया। ताकि उसपर भारत में ही अभियोग चलाया जाए। ऐसा कर वो थाईलैंड प्रत्यर्पण से बच गया। यदि वो थाईलैंड जाता तो पांच हत्याओं के आरोप में उसे मौत की सज़ा तय थी। 1997 में जब वो रिहा हुआ तो बैंकॉक में मुकदमा चलाने का समय बीत चुका था।

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इसके बाद उसे 2003 में पडोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक कसीनो से गिरफ़्तार किया गया। उसपर फ़र्जी पासपोर्ट और दो हत्या के आरोप थे। इनमें से एक अमेरिकी महिला थी। यहाँ भी जेल में उसने अपना जलवा बना कर रखा हुआ है, उसके कमरे में ऐशोआराम के सभी साधन मौजूद हैं। जेल में रहने के दौरान ही, अपने से 20 साल छोटी निहिता बिस्वास से उसने शादी कर ली।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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