×

हिंदुओं के लिए हुई ऐतिहासिक गलती, अब आरएसएस करने जा रही ये काम

संघ के एक नेता ने कहा कि हम चाहते हैं कि लोग सीएबी और एनआरसी के बीच का अंतर समझें और हिंदू शराणार्थियों को बांग्लादेश घुसपैठियों से न जोड़ें। संघ अब इस मामले को लेकर सांसदों, लेखकों, रणनीतिकारों और बुद्धिजिवियों तक पहुंचने की तैयारी कर रहा है।

SK Gautam
Published on: 21 Nov 2019 9:20 AM GMT
हिंदुओं के लिए हुई ऐतिहासिक गलती, अब आरएसएस करने जा रही ये काम
X

नई दिल्ली: आरएसएस यानि कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सहयोगी दल नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) को जनआंदोलन बनाने की तैयारी में हैं। बता दें कि संघ की कोशिश ये है कि विधेयक को बंटवारे और 1971 में बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर के दौरान 'हिंदुओं के लिए हुई ऐतिहासिक गलती' को ठीक करने के तौर पर पेश किया जाय।

ये भी देखें : जरूर देखें ये! कैसे 12वीं फेल बना IAS ऑफिसर, चौंका दिया सभी को

लोग सीएबी और एनआरसी के बीच का अंतर समझें

आरएसएस के एक नेता के मुताबिक सीएबी को सरकार और हिंदू समाज के 'संवैधानिक और नैतिक दायित्व' के रूप में पेश किया जाएगा। संघ के एक नेता ने कहा कि हम चाहते हैं कि लोग सीएबी और एनआरसी के बीच का अंतर समझें और हिंदू शराणार्थियों को बांग्लादेश घुसपैठियों से न जोड़ें। संघ अब इस मामले को लेकर सांसदों, लेखकों, रणनीतिकारों और बुद्धिजिवियों तक पहुंचने की तैयारी कर रहा है।

किसी हिंदू को यह देश नहीं छोड़ना होगा- मोहन भागवत

बता दें कि असम में जारी हुई एनआरसी लिस्ट में बड़ी संख्या में हिंदुओं के बाहर होने के बाद आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि किसी हिंदू को यह देश नहीं छोड़ना होगा। भागवत के इस बयान के बाद ही संघ ने यह योजना बनाई है। संघ ने अपने नेताओं से इस संदेश को आगे ले जाते समय बेहद सावधानी बरतने को कहा है। इस मामले पर उत्तर पूर्वी राज्यों में विरोध होने की काफी आशंका है।

ये भी देखें : इमरान को कड़ी चेतावनी! अपने ही देश में लगाई गई फटकार, भड़के जस्टिस

सिंध के मेघवाल और बांग्लादेश के नामशुद्रास को पहचान देने की भी जरूरत

आरएसएस के एक नेता ने एक बातचीत में कहा कि हमने बंटवारे के दौरान लोगों के ट्रांसफर की बात नहीं की है। जब पाकिस्तान और बांग्लादेश ने इस्लामिक देश बनने का फैसला किया, उस समय भारत धर्मनिरपेक्ष बना रहा। आरएसएस का कहना है कि पाकिस्तान में सिंध के मेघवाल और बांग्लादेश के नामशुद्रास उन समुदायों में से एक हैं। जिन्हें न सिर्फ भारत द्वारा सुरक्षा देने की जरूरत है बल्कि उनके संघर्ष के लिए पहचान देने की भी जरूरत है।

ये भी देखें : बहराइच में हुआ भीषण हादसा, सवारियों से भरी बस पलटी, 1 की मौत

हाल में हुई आरएसएस की बैठकों में तय किया गया था कि जब तक अयोध्या और कश्मीर का मामले का समाधान नहीं हो जाता तब तक एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि सीएबी से एनआरसी लागू करने में आसानी होगी।

SK Gautam

SK Gautam

Next Story