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इकलौते बेटे की शहादत पर कर्नल की मां को गर्व, बेटी का चेहरा भी नहीं देख पाए शहीद कुंदन

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए हिंसक संघर्ष में शहीद जिन सैन्य कर्मियों के नाम सामने आए हैं उनमें बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं।

Ashiki
Published on: 17 Jun 2020 3:35 AM GMT
इकलौते बेटे की शहादत पर कर्नल की मां को गर्व, बेटी का चेहरा भी नहीं देख पाए शहीद कुंदन
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए हिंसक संघर्ष में शहीद जिन सैन्य कर्मियों के नाम सामने आए हैं उनमें बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं। शहीद कर्नल की मां को अपने इकलौते बेटे की शहादत पर गर्व है। चीन की धोखेबाजी से इसी रेजीमेंट के कई अन्य सैन्य कर्मी भी शहीद हुए हैं। शहादत देने वालों में बिहार रेजीमेंट के जवान कुंदन ओझा भी शामिल हैं। कुंदन 17 दिन पहले ही बेटी के पिता बने थे मगर दुर्भाग्य से वे अपनी बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए। घटना में शहीद हवलदार पलानी साल भर बाद ही रिटायर होने वाले थे मगर उसके पहले ही यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट गई।

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तेलंगाना के रहने वाले थे शहीद कर्नल

सैन्य सूत्रों का कहना है कि लद्दाख में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कर्नल संतोष बाबू, हवलदार पलानी और सिपाही कुंदन झा समेत 20 भारतीय सैन्य कर्मी शहीद हो गए। शहीद कर्नल संतोष बाबू तेलंगाना के सूर्यापेट के रहने वाले थे। उन्होंने हैदराबाद के सैनिक स्कूल में पढ़ाई की थी और फिर उसके बाद उनका चयन एनडीए में कर लिया गया था। उन्हें काबिल और सख्त अनुशासन वाला अफसर माना जाता था। कर्नल संतोष के परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।

बेटे ने दी है देश के लिए कुर्बानी

शहीद संतोष बाबू की मां का कहना है कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उन्होंने कहा कि मैं इस घटना से दुखी जरूर हूं क्योंकि मैंने अपना इकलौता बेटा खो दिया है मगर इसके साथ मुझे अपने बेटे पर गर्व भी है क्योंकि उसने देश के लिए कुर्बानी दी है। संतोष के पिता फिजिकल एजुकेशन टीचर हैं। जब चीन ने बातचीत में किए गए वादे के मुताबिक अपने सैनिकों को मोर्चे से पीछे नहीं हटाया तो कर्नल संतोष चीनी पक्ष से बातचीत करने के लिए गए थे मगर इसी दौरान हुई हिंसक झड़प में वे शहीद हो गए।

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17 दिन पहले पिता बने थे कुंदन

चीन की धोखेबाजी का शिकार हुए जवान कुंदन ओझा झारखंड के साहेबगंज जिले के दीहारी गांव के रहने वाले थे। शहीद कुंदन की पत्नी उनके गम में बेसुध हो गई हैं। कुंदन 17 दिन पहले ही पिता बने थे मगर वे अपनी बेटी का चेहरा देखने में भी कामयाब नहीं हो पाए। वे नौ साल पहले 2011 में बिहार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। परिजनों का कहना है कि कुंदन पांच महीने पहले घर आए थे और उन्होंने जल्द ही घर आने का वादा किया था मगर उनका वादा अधूरा ही रह गया। उनके पिता रविशंकर ओझा किसान हैं।

जल्द रिटायर होने वाले थे पलानी

चीन के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद होने वालों में हवलदार पलानी भी शामिल हैं। वे तमिलनाडु के रहने वाले थे। तमिलनाडु की सरकार ने बुलाने के परिवार को बीस लाख की आर्थिक मदद देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का एलान किया है। हवलदार पलानी तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के निवासी थे। वे 18 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं। वे साल भर बाद ही रिटायर होने वाले थे। उनकी पत्नी ने कहा कि हाल में उनके नए घर का गृह प्रवेश भी हुआ था मगर इस कार्यक्रम में भी पलानी सेना की सेवा करने के कारण नहीं आ सके थे।

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बिहार के लाल ने भी दी शहादत

इस हिंसक झड़प में शहादत देने वालों में बिहार के सुनील कुमार भी शामिल हैं। वे छपरा जिले के दिगरा परसा गांव के रहने वाले थे। देर शाम अधिकारियों की ओर से उनकी पत्नी मेनका राय को शहादत के बारे में सूचना दी गई। उनकी शहादत की खबर मिलते ही पूरे गांव में मातम का माहौल बन गया। गांव के हर शख्स को सुनील की शहादत पर गर्व है। उनका कहना है कि सुनील ने देश के लिए शहादत देकर गांव का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है।

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