TRENDING TAGS :
कोरोना का कहर: पत्नी ने पति का शव लेने से किया इंकार, बेटी ने नहीं खोला किवाड़
कोरोना संक्रमित होने के डर दूर तो क्या अपने करीबी रिश्ते भी टूटने लगे हैं। कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद पत्नी पति का शव लेने से इंकार कर देती है।
दुर्गेश पार्थ सारथी
अमृतसर : लग रहा है श्री रामचरित मानस की यह चौपाई 'धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी॥' कोरोना की महामारी में सच साबित होने लगा है। तभी तो कोरोना संक्रमित होने के डर दूर तो क्या अपने करीबी रिश्ते भी टूटने लगे हैं।
कहीं कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद लोग श्मशान घाट का गेट बंद कर दे रहे हैं तो कहीं पत्नी पति का शव लेने से इंकार कर देती है। और तो और जिस बेटी को समाज बेटे का दर्जा दे रहा है वही बेटी पिता के लिए अपने घर का किवाड़ बंद कर देती है। यह सब कैसे हुआ यह जानने से पहले पंजाब में कोरोना का कितना असर है यह जान लेना जरूरी है।
ये भी पढ़ेंःकोरोना से जंग में भारत-पाकिस्तान ऐसे आ सकते हैं साथ, शोएब अख्तर ने बताया
मोहाली और नवांशहर में हैं सबसे अधिक संक्रमित
हालत यह है कि पंजाब में अब तक कोरोना पीडि़तों की संख्या 99 से अधिक हो गई है। वहीं राज्य के बिभिन्न जिलों में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में अकेले अमृतसर के दो लोग शामिल हैं। जबकि 14 लोग कोरोना पर जीत हासिल कर चुके हैं। नवांशहर में 19 और मोहाली में 26 लोग संक्रमित पाए गए हैं। अमृतसर में 10, होशियारपुर में 7, पठानकोट 7, जालंधर और लुधियाना में 6-6, मानसा में 5, मोगा में 4, रोपड़ में 3, फतेहगढ़ साहिब में 2, पटियाला, फरीदकोट, बरनाला और कपूरथला में 1-1 व्यक्ति पॉजिटिव पाया गया है।
मोगा में मिले जमातिए, चार संक्रमित
कोरोना के खिलाफ लाड़ाई में पूरी तरह से कमर कस चुकी पंजाब सरकार ने प्रदेश के मोगा जिले के गांव चीदा की एक मस्जिद में ठहरे 13 तब्लीगी जमातियों की जांच करवाई। इनमें से चार की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिले में यह पहला केस है। रिपोर्ट आते ही पुलिस और सेहत विभाग ने तुरंत चीदा समेत साथ लगते गांव सुखानंद को पूरी तरह से सील कर दिया। चारों पीड़ितों को मोगा के सिविल अस्पताल में आईसोलेट कर बाकी के नौ जमातियों को सिविल अस्पताल में क्वारंटीन कर दिया है।
ये भी पढ़ेंःटैक्स देने वालों के लिये खुशखबरी, तुरंत रिफंड होंगे इतने लाख
परिजनों ने शव लेने से किया इंकार, प्रशासन ने किया अंतिम संस्कार
कोरोना से संक्रमित नगर निगम के पूर्व एडिशनल कमिश्नर जसविंदर सिंह की अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। सेवनिवृत्त जसविंदर सिंह को कुछ दिन पहले ही अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। पूर्व एडीसी के निधन के बाद प्रशासन ने उनके परिजनों से फोन पर संपर्क किया, लेकिन किसी ने शव ले जाने के लिए कोई उत्तर नहीं दिया। इसके बाद एसडीएम ने एमबीबीएस कर रही जसविंदर सिंह की बेटी से फोन पर संपर्क किया लकिन उसने भी शव लेने से इंकार कर दिया।
इसके बाद जिलाधिकारी शिवदुलार सिंह के आदेश पर प्रशासन ने उनका अंतिम संस्कार कर किया। रिश्तों को शर्मसार करने वाली इसे बड़ी बात और क्या होगी कि जिस परिवार के जसविंदर सिंह जीते रहे उन्हीं को उनके अपनों ने नहीं बल्कि पटवारियों और निगम कर्मचारियों ने कंधा और मुखाग्नि दी।
ये भी पढ़ेंःकोरोना: UP में मास्क पहनना हुआ अनिवार्य, नहीं पहना तो होगी कड़ी कार्रवाई
इसी तरह की बता दें कि इसी तरह की एक घटना लुधियाना निवासी कोरोना संक्रमित बुजुर्ग महिला की मौत के बाद भी सामने आया था। महिला के परिजनों ने भी उसका पार्थिव शरीर लेने से इनकार कर दिया था।
गांव वालों ने बंद कर दिया श्मशानघाट का गेट
अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब के रागी 47 वर्षीय पदृमश्री भाई निर्मल सिंह की कोरोना संक्रमण के कारण गत सप्ताह मौत हो गई थी। उन्हें भी यहां गुरु नानक देव अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
जिस समाज के भले के लिए निर्मल सिंह खालसा जिवन भर अरदास और कीर्तन करते रहे उन्ही का अंतिम संस्कार करने के लिए दो गज जमीन ढूंढने में जिला प्रशासन को चार घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। यहां कि अमृतसर के कई श्माशान घाट के गेट तक बंद कर दिए गए। अंत में शहर से दूर एक व्यक्ति ने पद्मश्री के संस्कार के लिए दस कनाल जमीन दान में दी तब जाकर उनका संस्कार हुआ।
दरवाजे पर गिड़गिड़ाता रहा बाप, बेटी ने नहीं खोला किवाड़
वैसे तो यह घटना बिहार के खगडि़या जिले कि है, लेकिन इसका संबंध पंजाब के लुधियान से जुड़ा हुआ है। यहां भी कोरोना के कारण संवेदनाएं दम तोड़ गई। लॉकडाउन के कारण लुधियाना में काम ठप हो गया। यहां एक फैक्ट्री में काम करने वाला व्यक्ति काम न मिलने की वजह से किसी तरह बिहार के खगडि़या पहुंचा।
ये भी पढ़ेंःइस एयरलाइंस ने सभी इंटरनेशनल फ्लाइट 30 अप्रैल तक की रद्द, ऐसे मिलेगा रिफंड
यहां वह यह सोच कर अपनी बेटी के घर पहुंचा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद वह अपने घर चला लाएगा। लेकिन, लेकिन पिता को दरवाजे पर आया देख उसकी बेटी और दामाद ने अपने घर का किवाड़ बंद कर लिया। बेटी के इस व्यवहार से आहत पिता स्टेशन रोड चौक पर बैठ कर फूटफूट कर रो रहा। यह बात जब पुलिस कर्मियों को पता चली तो व्यक्ति की सेहत जांच के बाद उसे उसके घर पहुंचाया।
प्रशासन की अपील का भी नहीं पड़ रहा असर
केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा स्थानीय प्रशासन की लगातार इस अपील -'कोरोना पीडि़तों और संदिग्धों के साथ उचित व्यवहार करें' के बावजूद लोगों की संवेदनाएं मरती जा रही है। कुछ लोग इसे प्रकृति का बदला मान रहे हैं । वहीं कुछ लोग राम चरित मानस में लिए उस चौपाई हवाला दे रहे है जिसमें गोस्वामी तुलसी दास जी ने आदप काल में रिश्तों परख होने की बात लिखी है।
मनोरोग विशेषज्ञ हैं चिंतित
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ, अमनदीप कौर कहती हैं कि कोरोना वायरस के कारण लोगों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिलेगा। उनका कहना है कि देश में यदि लॉकडाउन लंबा खिंचता है तो सोशल डिस्टेंस के साथ-साथ, पहले से अधिक मोबाइल की लत और हाथ मिलाने की जगह दूर से ही नमस्ते करने की आदत को महसूस किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित की मौत के बाद जिस तरह परिजन शव लेने से इंकार कर रहे हैं वह समाज में अच्छा संदेश नहीं है। यह कोरोना का ही असर है। हां लॉकडाउन का एक सकारत्मक असर यह देखने को मिल रहा है प्रदूषण का असर काफी हद तक कम हो गया है। नदियां भी साफ दिखने लगी हैं।
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।