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कोरोना वायरस: भारत में ठीक हुआ ब्रिटिश नागरिक, कहा- ऐसा इलाज तो...

अपने देश में कोविड-19 से ज्यादा प्रभावित राज्यों में केरल का नाम भी है। शनिवार तक इस राज्य में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 306 हो चुकी थी। अब तक...

Ashiki
Published on: 5 April 2020 7:50 PM IST
कोरोना वायरस: भारत में ठीक हुआ ब्रिटिश नागरिक, कहा- ऐसा इलाज तो...
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नई दिल्ली: अपने देश में कोविड-19 से ज्यादा प्रभावित राज्यों में केरल का नाम भी है। शनिवार तक इस राज्य में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 306 हो चुकी थी। अब तक यहां दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। यहां के 50 मरीज अब तक ठीक होकर घर लौट चुके हैं।

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7 विदेशियों का भी चला इलाज

ठीक हो चुके मरीजों में सबसे उम्रदराज एक दंपति भी है। पति थॉमस की उम्र 93 और मरियाम्मा की 88 साल है। केरल में ही 7 विदेशियों को भी पॉजिटिव पाए जाने पर भर्ती किया गया था। उनमें इंग्लैंड के ब्रायन लॉकवुड (57) भी शामिल हैं। उन्होंने भारत में हुए इलाज को लेकर सराहना की है।

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केरल टूर पर आया था विदेशी

ब्रायन पत्नी और अन्य 18 लोगों के साथ केरल टूर पर आए थे। उन्हें दुबई की फ्लाइट से कुछ समय पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ हफ्तों के इलाज से ठीक होने के बाद ब्रायन को कलामास्सेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। इस बीच उन्होंने मीडिया वालों से बातचीत की।

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फ्लाइट पकड़ने से चंद समय पहले रोका गया

उन्होंने बताया कि मुझे बुखार की वजह से कोविड की जांच की गई। फिर मैं और मेरी पत्नी ने आइसोलेशन में रहकर टेस्ट का रिजल्ट आने का इंतजार किया। 14 मार्च को मेरा टेस्ट निगेटिव आ गया। फ्लाइट पकड़ने से पहले ही हमारा फिर से रिजल्ट आया कि मेरा टेस्ट पॉजिटिव आया है।

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तबीयत बिगड़ी और...

मुझे लगा कि निमोनिया है। डॉक्टर फतेहुद्दीन और जैकब ने अपनी टीम के साथ जल्दी ही हमारा इलाज शुरू किया। डॉक्टरों ने मुझे HIV ड्रग्स या दूसरे एंटीवायरल्स में से विकल्प चुनने के लिए कहा। फिर मेरा निमोनिया बिगड़ा तो मुझे वेंटिलेटर पर रखा गया।

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अस्पताल और डॉक्टरों के व्यवहार को खूब सराहा

ब्रायन ने अस्पताल के माहौल और डॉक्टरों के बर्ताव को लेकर कहा कि माहौल कठोर था। मुझे अहसास हुआ कि वायरस को फैलने से रोकने की संभावना को घटाने के लिए था। आइसोलेशन रूम को रोजाना सेनेेटाइज किया जाता था क्योंकि स्थानीय अस्पताल था इसलिए खाना हमेशा पश्चिमी खानपान के अनुुसार नहीं था। लेकिन मेडिकल टीम की ओर से हमेशा पूछा गया कि और क्या-क्या विकल्प मिल सकते हैं। मेडिकल टीम वर्ल्ड क्लास थी। टीम के सदस्य बहुत विनम्र, खयाल रखने वाले और सही मायने में प्रोफेशनल्स थे। इससे बेहतर देखभाल की मैं नहीं सोच सकता था।

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